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भूषण,केजरीवाल और राहुल गाँधी के "झूठ" का सच !

पुरानी कहावत है कि बेईमान आदमी से किसी को डर नही लगता है और ईमानदार आदमी से सभी डरते हैं. देश के पी एम नरेन्द्र मोदी की यही अटूट ईमानदारी आज भ्रष्टाचार के समुद्र मे गोते लगा चुके विपक्षी नेताओं के गले नही उतर रही है और यह लोग पागलपन की हद तक जाकर मोदी के खिलाफ कुछ ना कुछ ऐसा षड्यंत्र 24 घंटे 365 दिन रचने मे लगे हुये हैं, जिससे मोदी भले ही आरोपित हो या ना हों, देश की जनता को यह लोग अपने दुष्प्रचार से भ्रमित करने मे उसी तरह कामयाब हो जाएं, जैसा कि यह लोग पहले भी होते आये हैं. जनहित याचिकाओं को एक व्यापार की तरह चलाने वाले तथाकथित वकील प्रशांत भूषण सबसे पहले अपनी "बेबुनियाद जनहित याचिका" लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और सुप्रीम कोर्ट से यह गुहार लगाई थी कि आदित्य बिरला ग्रुप और सहारा ग्रुप पर मारे गये छापों के दौरान कुछ कागज ऐसे मिले हैं, जिनमे "गुजरात सी एम" का नाम लिखा हुआ है, लिहाज़ा जो गुजरात के उस समय सी एम थे, वह आज देश के पी एम हैं, और इसीलिये सुप्रीम कोर्ट एक SIT गठित करके देश के पी एम के खिलाफ इस भ्रष्टाचार की जांच करने का आदेश करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस

क्या हो सकता है मोदी सरकार का अगला कदम ?

नोट बंदी की समय सीमा  समाप्त होने मे अब कुछ ही दिन बाकी रह गये है. 30 दिसंबर 2016 को नोट बंदी का यह अभूतपूर्व जन आन्दोलन समाप्त होने वाला है. लेकिन जैसा कि खुद पी एम मोदी यह बात कई बार कह चुके हैं कि काले धन, भ्रष्टाचार और सामाजिक अन्याय के प्रति जो कुछ भी किया जाना बाकी है, नोट बंदी उसकी एक शुरुआत भर है. दूसरे शब्दों मे कहा जाये तो नोट बंदी या विमुद्रीकरण उस प्रक्रिया की पहली किश्त है, जिसके जरिये पिछले 70 सालों की गंदगी को साफ किया जाना बाकी है.  नोट बंदी के साथ साथ मोदी सरकार ने चुप चाप बेनामी प्रॉपर्टी के कानून को भी 1 नवंबर 2016 से लागू कर दिया है, जिसे कांग्रेस सरकार के समय 1988 मे लाया गया था लेकिन कांग्रेस क्या, मोदी सरकार से पहले किसी भी सरकार की इतनी हिम्मत नही हुई कि वह इस कानून को लागू कर पाती. बेनामी प्रॉपर्टी से सम्बंधित कानून लागू करने का विरोध विपक्षी दलों ने दो कारणो से नही किया. पहला तो यह कि विपक्षी दल नोट बंदी से ही इतने अधिक सदमे मे थे कि उन्हे कुछ और सूझ नही रहा था. दूसरे, बेनामी प्रॉपर्टी के कानून को कांग्रेस के शासनकाल मे  ही पास किया गया था-मोदी सरकार ने उसे स

नोट बंदी से केजरीवाल बेचैन क्यों ?

जब से पी एम मोदी ने काले धन के खिलाफ अपनी निर्णायक जंग का एलान करते हुये, पुराने 500-1000 के नोट बंद किये हैं, केन्द्र की भाजपा सरकार और पी एम मोदी खुद केजरीवाल समेत सभी विपक्षी नेताओं के निशाने पर हैं. केजरीवाल जो खुद अन्ना हज़ारे के साथ एक भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन करने की सफल नौटंकी कर चुके हैं, उनकी बेचैनी विपक्ष के बाकी सभी नेताओं से काफी ज्यादा लग रही है. नोट बंदी से केजरीवाल इतने बेचैन क्यों हैं, इस पर सभी लोग अपने अपने ढंग से कयास लगा रहे हैं लेकिन असली कारण कोई भी खुलकर नही बताना चाहता है . केजरीवाल की बेचैनी का विश्लेषण करने से पहले हमे उन बातों पर ध्यान देना होगा, जिनके ऊपर इस नोट बंदी का सबसे ज्यादा असर पड़ा है. (1) नोट बंदी से सबसे ज्यादा मार उन लोगों पर पड़ी है, जो लोग 500 और 1000 के नकली नोटों के कारोबार मे लिप्त थे. जैसा कि सभी को मालूम है कि नकली नोटो की छपाई का सारा काम पाकिस्तान मे होता था और व़हाँ से इन नकली नोटों को भारत मे जारी किया जाता था. पाकिस्तान से भारत मे फैलाया जा रहा आतंकवाद इसी नकली नोटों के कारोबार की बदौलत ही पिछले कई दशकों से बे रोक टोक चल रह

नोटबंदी: सरकार पास, बैंक फेल !!!

नोट बंदी के ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले की जहाँ एक तरफ हर व्यक्ति, तकलीफ़ें उठाने के बाबजूद भी तारीफ कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमारे भ्रष्ट बैंक अधिकारियों और निकम्मे बैंक कर्मचारियों की वजह से देश की जनता को ऐसी तकलीफों का भी सामना करना पड रहा है, जिनसे बचा जा सकता था. दरअसल पिछले 70 सालों मे बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरदस्त कामचोरी की आदत पड चुकी है और ऐसा लग रहा है मानो उन्हे पहली बार काम करना पड रहा है. बैंक की शाखाओं मे किस तरह से आधे-अधूरे मन से काम होता आया है, वह इस देश की जनता से छिपा हुआ नही है. ग्रामीण इलाकों की बैंक शाखाओं मे तो यह हालत और भी अधिक खराब है. नोट बंदी से एक तो आम आदमी पहले से ही परेशान है क्योंकि जिन लोगों ने पुराने नोट बैंक मे जमा कराये हैं, उन्हे नये नोट बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते नही मिल रहे हैं. अभी हाल ही मे चेन्नई मे आयकर के छापे मे 70 करोड़ रुपये के नये नोट पकड़े गये हैं- ऐसे और भी मामले सामने आ रहे हैं. यह रुपया बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना तो बैंको से बाहर नही गया होगा. कायदे मे यह सभी रुपया अगर भ्रष्ट ब

इस दशक के नेता नरेन्द्र मोदी

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हाल ही में राजीव गुप्ता की लिखी हुईं पुस्तक "इस दशक के नेता नरेन्द्र मोदी" प्रकाशित हुईं है. इस पुस्तक में लेखक ने नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक जीवन के इर्द गिर्द घूमती हुईं घटनाओं को आधार बनाकर जो रचनाएँ (लेख, व्यंग्य और कवितायेँ आदि) लिखी थीं और जो समय समय पर लेखक के "नवभारत टाइम्स ब्लॉग" पर प्रकाशित हुईं थीं, उन्ही में से कुछ चुनी हुईं रचनाओं को इस पुस्तक में शामिल किया गया है.  यह पुस्तक सभी ऑनलाइन पोर्टल्स पर उपलब्ध है. पुस्तक के बारे में सुझाव और प्रतिक्रियाएं भेजने के लिए  rajeevg@hotmail.com   पर संपर्क करें. Follow Rajeev Gupta on Twitter  @RAJEEVGUPTACA

#नोटबंदी पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा !!!

नोट बंदी की घोषणा हुये तीन दिन हो चुके थे. सभी टी वी चैनल अपनी टी आर पी बढाने के चक्कर मे इस बात की होड़ मे लगे हुये थे कि देश मे जहाँ कही भी किसी की भी मौत किसी भी वजह से हुई हो, उसे किसी भी तरह से नोट बंदी से जोड़कर दिखलाया जाये. "खबरदार" टी वी चैनल अभी तक इस दौड़ मे शामिल नही हुआ था और लिहाज़ा इस टी वी चैनल की टी आर पी का बैंड बज़ा हुआ था. टी वी चैनल की संपादक मंडली के लोग गंभीर सोच विचार मे ही थे कि अचानक ही चैनल के चीफ एडिटर ने अपने प्राइम टाइम शो को पेश करने वाले एँकर-पत्रकार को  एक सुझाव दिया-"भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरु करने की नौटंकी करने वाले क्रेजीवाल आजकल जरूरत से ज्यादा बैचेन नज़र आ रहे हैं- उनकी अद्भुत चीख पुकार का हम अपने चैनल की टी आर पी बढाने के लिये उपयोग कर सकते हैं." संपादक जी के इशारे को समझते हुये पत्रकार महोदय ने क्रेजीवाल जी को फोन लगा दिया और उन्होने उछलते हुये "खबरदार" चैनल के प्राइम टाइम शो मे शामिल होने के लिये हामी भर दी.  प्राइम  टाइम शो के कार्यक्रम का नाम भी धमाकेदार रखा गया -"नोट बंदी पर अब तक का सबसे बड़ा खुलास

विपक्ष पर लागू नहीं होगी नोटबंदी

नोट बंदी के अचानक आये फैसले से जिन राजनेताओं के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गयी थी और जिनकी रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो गया था, उनके लिये एक राहत की खबर आ रही है. संसद के शीतकालीन सत्र मे चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिये, सरकार ने यह फैसला लिया है कि पी एम मोदी ने जिस नोट बंदी की घोषणा 8 नवंबर 2016 को की थी, उससे देश के सभी विपक्षी राजनेताओं को मुक्त रखा जायेगा. यह सभी नेता अपनी गतिविधियों को पहले की तरह उसी तरह से जारी रखने के लिये आज़ाद होंगे, जिस तरह से यह लोग पिछले 70 सालों से थे.दुश्मन देश पाकिस्तान से जितने नकली नोट 8 नवंबर 2016 तक देश मे आ चुके है, उनके इस्तेमाल की भी पूरी छूट 30 दिसंबर तक रहेगी, ताकि हमारे माननीय नेताओं को उन्हे चलाने मे किसी तरह की तकलीफ ना हो. सरकार के इस कदम से जहाँ विपक्षी नेताओं की चाँदी हो जायेगी, वहीं जनता के लिये भी इस फैसले से जबरदस्त राहत मिलने की संभावना है, क्योंकि अब जब विपक्षी नेताओं को अपने पुराने नोट बदलवाने या जमा करवाने के लिये अपने कार्यकर्ताओं को या भाड़े पर लिये गये दिहाड़ी के मजदूरों को बैंक की लाइनो मे खड़ा नही करना पड़ेगा. ज

नोटबंदी पर सुप्रीमकोर्ट की दंगों की भविष्यवाणी

नोट बंदी के खिलाफ डाली गयी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट खुद ही रद्द कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के मद्दे नज़र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह गुहार लगाई थी कि देश की अन्य अदालतों मे इस तरह् की याचिकाएं अभी भी डाली जा रही हैं और उन पर भी रोक लगाई जानी चाहिये. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की यह याचिका यह कहते हुये खारिज़ कर दी कि लोगों को नोट बंदी के चलते भारी परेशानी हो रही है और उन्हे अदालतों मे अपनी याचिका डालने के अधिकार से वंचित नही किया जा सकता है. यहाँ तक तो बात हज़म होने लायक लग रही थी. लेकिन अपनी इस दलील मे सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसी टिप्पणी भी जोड़ दी जिसके अनुसार बैंकों के बाहर लगी लम्बी लम्बी लाइनों की वजह से देश मे दंगे भी हो सकते हैं. बैंकों मे लगी लम्बी लाइनो की वजह से दंगे होने की भविष्यवाणी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर की, इसके बारे मे तो मीडिया मे कोई खबर नही आई है, लेकिन सोशल मीडिया मे सुप्रीम कोर्ट की इस अनावश्यक भविष्यवाणी को लेकर काफी चर्चा हो रही है. लोगों का यह मानना है कि सर्वोच्च अदालत का काम फैसला करना है और भविष्यवाणी करने का काम हमे भविष्यवक्ताओं और ज्योत

देश आपका है- फैसला आपको करना है !

देश मे एक के बाद एक, लगातार दो अलग अलग "सर्जिकल स्ट्राइक" हुई है. दोनो बार की कार्यवाही मे समानता यही है कि दोनो ही बार इनकी घोषणा अचानक की गयी और दोनो ही बार देश के विपक्षी नेता या कहिये कि गैर-भाजपाई नेताओं की समझ मे यह नही आया कि तत्कालिक रूप से इन "सर्जिकल स्ट्राइक्स" पर क्या प्रतिक्रिया दी जाये. जब जब इन "सर्जिकल स्ट्राइक्स" की सूचना सेना या सरकार द्वारा मुहैया कराई गयी, देश के सम्पूर्ण विपक्ष की हालत ऐसी हो गयी जैसे काटो तो खून नही. लकवा मारा हुआ विपक्ष जब कुछ सोचने समझने लायक होता है तो फिर कुछ काल्पनिक कहानी गढनी शुरु करता है ताकि वर्तमान सरकार को उसके ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले का श्रेय ना मिल पाये. विपक्ष इस गलतफ़हमी मे आज तक है कि देश मे सोशल मीडिया का कोई वजूद नही है और जो कुछ भी "दुष्प्रचार" यह विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ करेंगे, उसे जनता सच मान लेगी और यह अपने दुष्प्रचार मे उसी तरह कामयाब होते रहेंगे जैसे कि पिछले 60-70 सालों से हो रहे थे. पहली सर्जिकल स्ट्राइक तो विपक्ष के नेताओं से हज़म ही नही हुई और उन्होने उसे फर्ज़ी

लगा दिया मोदी ने उनको आज बैंक की लाइन मे

काले धन पर पड़ी चोट तो भ्रष्ट दरिंदे चिल्लाये जनता  का  ये करें बहाना, चोट को अपनी सहलाएं जनता का कर रहे बहाना, परअपनी पीड़ा भारी है जनता को तो खूब ठग चुके,अब खुद इनकी बारी है लूट रहे थे 60 साल से, देश को दोनो हाथों से मोदी ने औकात दिखा दी, इनको अपनी बातों से. नकली नोटों के सौदागर करते इनकी रखवाली उनका धंधा बंद हुआ तो ये देते मोदी को गाली "अन्ना का चेला" बन बैठा, काले धन का सौदागर इसकी काली करतूतों पर मोदी की है कडी नज़र धनकुबेर लगते थे जिनके घर पर आकर लाइन मे लगा दिया मोदी ने उनको आज बैंक की लाइन मे -राजीव गुप्ता (C) सर्वाधिकार सुरक्षित

4000 के नोट बदलने पर तुरंत रोक लगाये सरकार

8 नवंबर की रात को मोदी सरकार ने काले धन को समाप्त करने का जो ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसला लिया है, उसके तहत कोई भी सड़क चलता व्यक्ति, जिसके पास बैंक खाता नही है, अपना कोई भी पहचान पत्र दिखाकर देश के किसी भी बैंक की किसी भी शाखा से जाकर 4000 रुपये तक के पुराने नोटों के बदले नये नोट ले सकता है. सरकार ने यह नियम इसलिये बनाया था ताकि जिन लोगों ने अभी तक बैंक मे खाते नही खुलवाये हैं, उन्हे इस योजना के चलते किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े, लेकिन बड़े बड़े राजनेताओं, व्यापारियों और उद्योगपतियों ने आम आदमी को राहत पहुंचाने वाली इस योजना का भी जमकर दुरुपयोग करना शुरु कर दिया है और इसी दुरुपयोग के चलते बैंकों के बाहर लम्बी लम्बी लाइने लगी हुई हैं. दरअसल इस योजना का दुरुपयोग करते हुये भ्रष्ट नेता अपने कार्यकर्ताओं को रुपये बदलने का फॉर्म और पहचान पत्र की फोटोकॉपी के सैंकड़ों सेट देकर अलग अलग बैंकों की अलग अलग शाखाओं मे भेज रहे हैं. उदाहरण के लिये, अगर कोई भी व्यक्ति एक दिन मे दस बैंक शाखाओं से भी रुपये बदलने मे कामयाब हो जाता है, तो वह दिन भर मे 40000 रुपये आसानी से बदलवा सकता है. हर राज

काले धन पर पी एम मोदी की "सर्जिकल स्ट्राइक"

500 और 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण करते हुये पी एम मोदी ने अपनी सरकार का अब तक का सबसे अधिक साहसी कदम उठाते हुये  काले धन के खिलाफ एक ऐसा प्रहार किया है, जिसके वार से जहाँ एक ओर ईमानदारी से पैसा कमाने वाली जनता खुशी से फूली नही समा रही है,वहीं उन लोगों के चेहरे पर मातम छाया हुआ है, जिन्होने जनता को लूट लूट कर काले धन को अपनी तिजोरियों मे इकट्ठा किया हुआ था. काले धन के खिलाफ छेड़े गये इस युद्ध की मार किस पर सबसे ज्यादा पड़ी है, आइए उन लोगों के बारे मे विचार करते हैं : 1. पाकिस्तान की सरकार खुद 500 रुपये और 1000 रुपये के नकली नोट छाप-छापकर उन्हे आतंकवादियों के मार्फत हमारे देश मे भेज रही थी और पाकिस्तान का सारा का सारा आतंकवादी तामझाम इन्ही नकली नोटों के गोरखधंदे पर चल रहा था. पाकिस्तान सरकार को और उसकी आतंकवादी गतिविधियों को इससे बहुत बड़ा झटका लगा है. 2. जिन राजनेताओं ने पिछले 70 सालों मे जनता को लूट लूटकर प्रचुर मात्रा मे काला धन इकट्ठा किया हुआ था, उनकी हालत सिर्फ देखने लायक है- जिन लोगों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की "सर्जिकल स्ट्राइक" पर भी सवाल उठा दिये थे, फिल

क्या मोदी टिक पायेंगे केजरीवाल के सामने ?

भ्रष्टाचार को खत्म करने की नीयत से राजनीति मे आये और दुनिया के सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दल के साथ दिल्ली मे गठबंधन सरकार चला रहे केजरीवाल जी को लोकसभा चुनावों मे जाने की इस कदर हड़बड़ी मची हुई है कि वह सही और गलत का फर्क ही नही कर पा रहे हैं. अब तो उनकी चौकड़ी इतनी शातिर हो चुकी है कि उन्होने जनता से एस एम एस करके राय लेना भी बंद कर दिया है. आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वाश केजरीवाल जी को प्रधान मंत्री बनाने को लेकर किस हद तक बढ़ा हुआ है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यह पार्टी दूसरी राजनीतिक पार्टियों से अपने आपको कई मायनों मे अलग दिखाने की नाकाम कोशिश कर रही है. दिल्ली विधान सभा के चुनाव नतीजे 8 दिसंबर को घोषित हुये थे जिसमे 28 विधायक आम आदमी पार्टी के भी चुने गये थे-दल बदल कानून के हिसाब से अगर 28 के एक तिहाई विधायक यानी कि 10 विधायक अपने आप को अलग करके किसी दूसरी पार्टी को समर्थन दे देते है तो उनकी विधान सभा की सदस्यता भी बनी रहेगी और आम आदमी पार्टी का कानूनी तरीके से विभाजन भी हो जायेगा. आम आदमी पार्टी के नेताओं के पस कुछ ऐसी दिव्य शक्ति भी मौजूद है जो उन्हे 8 दिसं

बहुत मंहगी पड़ेगी ये "मोदी ब्रांड" चाय !

जी हाँ यहाँ किसी पांच सितारा होटल मे 100-200 रुपये मे एक कप मिलने वाली घटिया चाय की बात नही हो रही है. यहाँ उस चाय की बात हो रही है जिसके सपा नेता नरेश अगरवाल से लेकर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर तक दीवाने हैं और उस चाय का एक घूँट पीने के लिये ये दोनो नेता और इनकी पार्टियाँ युगों युगों से तरस रही हैं. कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी राजनीतिक दल और उत्तर प्रदेश मे गुंडा राज की स्थापना करने वाली पार्टी सपा के नेता जब यह बोले कि मोदी तो चiय बेचने वाले हैं और वह क्या खाकर पी एम बनेंगे, तो किसी को बहुत ज्यादा हैरानी नही हुई- दरअसल उत्तर प्रदेश को पूरी तरह से जंगल राज मे तब्दील कर चुके सपा के नेताजी की योजना यह थी कि धीरे धीरे इस गुंडा राज और जंगल राज की स्थापना  प़ूरे   भारत मे की जाये क्योंकि सभी देशवासियों का यह पूरा अधिकार है कि उन्हे भी इस अभूतपूर्व गुन्डाराज और जंगलराज का आनन्द मिले-यह आनन्द सिर्फ उत्तर प्रदेश के लोगों की बपौती थोड़े ही है-लेकिन सपा के मनसूबों पर तब पानी फिरने लगा जब सब तरफ से यह चुनाव सर्वे आने लगे कि मोदी जी उत्तर प्रदेश मे भी जंगल और गुंडा राज को समाप्त करने का मन बना

तीसरे मोर्चे की अंतिम यात्रा निकलेगी इस बार ?

हिन्दी मे एक बड़ी ही मशहूर कहावत है-धोबी का कुत्ता, न घर का ना घाट का ! हमारे बड़े बुजुर्गों ने पता नही क्या सोचकर यह कहावत बनाई होगी लेकिन उन्हे क्या मालूम था कि उनकी बनाई हुई यह कहावत आज की तथाकथित राजनीति मे समय समय पर बनने वाले "थर्ड फ्रंट " यानि कि तीसरे मोर्चे पर बखूबी लागू हो जायेगी ! पहले तो यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह तीसरा मोर्चा है किस चिड़िया का नाम ? दरअसल कुछ ऐसे नेता और राजनीतिक दल हमारी व्यवस्था मे अपने आप पैदा हो गये हैं जिनका मुख्य कार्य ही देश, समाज और सरकार के अंदर "अव्यवस्था" पैदा करना है ! यह वे लोग हैं जो गलती से किसी तरह जीत कर विधान सभा या संसद मे पहुंच तो जाते हैं लेकिन उसके बाद क्या करें, उसका पता ना तो इन्हे होता है और ना ही उस जनता को जो इनको चुनकर भेजती है. ये वह राजनीतिक दल या नेता होते हैं जो चुनावों से पहले तो जनता से यही कहते रहते हैं कि हम किसी भी दूसरे दल के साथ किसी भी तरह का कोई गठबंधन नही करेंगे और सभी 545 सीटों पर चुनाव लडकर किसी ना किसी तरह प्रधान मंत्री बन जायेंगे, लेकिन जैसे जैसे चुनावों का समय नज़दीक आता है औ

केजरीवाल को पी एम बनने से कोई नही रोक सकता !

दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के  अभूतपूर्व  नेता अरविन्द केजरीवाल जी को पिछले कुछ दिनो से इस बात का खूब शौक चर्राया हुआ है कि वह बिना मांगे ही लोगों को ईमानदारी और बेईमानी का प्रमाण पत्र दे देकर खुद को धन्य समझ रहे हैं-मीडिया ने भी एकता कपूर के सास बहू के धारावाहिकों को छोड़कर इस चटपटी नौटंकी पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करने मे ही अपनी भलाई समझ ली है. खबर तो यह भी आ रही है की खुद एकता कपूर ने अपनी बदहाली से परेशान होकर यह फैसला किया है कि अब वह सिर्फ एक ही सीरियल पर अपना ध्यान केन्द्रित करके मनचाहा पैसा कमाएँगी. सीरियल का नाम होगा-"केजरीवाल को पी एम बनने से कोई नही रोक सकता." यह धारावाहिक लोगों को तब तक झेलना पड़ेगा जब तक केजरीवाल जी का पी एम के रूप मे राज्याभिषेक नही हो जाता. इशारा सॉफ है कि या तो केजरीवाल को पी एम बनाओ या फिर 24 घंटे हर चैनल पर यह सीरियल देखो-इस सीरियल को बनाने मे कलाकारों का खर्चा कोई नही आयेगा-यह भी एक बहुत बड़ी बचत होगी,क्योंकि कलाकारों की तो केजरीवाल साहब के पास कोई कमी नही है. सर्वगुण संपन्न और अनोखी प्रतिभा से युक्त ये कलाकार

चंदा वसूलने के लिये किये जा रहे हैं अंबानी पर हमले ?

मुकेश अंबानी ने देश को लूट लिया-अनिल अंबानी ने भी देश को लूट लिया ! अब हम लुटे पिटे मरे कुचले लोग जाएं तो जाएं कहाँ ? यह लोग सभी राजनीतिक दलों को दिल खोलकर चंदा देते हैं क्योंकि इस चंदे से सभी राजनीतिक दल अपना चुनाव प्रचार करते हैं-लेकिन यह लुटेरे इतने अजीब है कि अभी तक इन लोगों ने राजनीति मे हमारी उपस्थिति का संज्ञान ही नही लिया ! अगर बाकी के राजनीतिक दल राजनीति कर रहे हैं तो हम राजनीति मे क्या जनसेवा करने के लिये आये है जो चंदा बाकी के राजनीतिक दलों को मिलता है-एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल होने के नाते उस चंदे पर हमारा भी तो उतना ही हक है- देखा जाये तो हमारा हक कुछ ज्यादा ही है क्योंकि हम राजनीति मे नये नये आये हैं और हमारी जरूरतें भी कुछ ज्यादा ही है क्योंकि चुनाव प्रचार के अलावा हमे एक और भारी खर्चे का सामना भी करना पड सकता है दरअसल हम लोगों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिये लोगों पर भ्रष्टाचार के अनाप शनाप मनगढ़ंत और झूठे आरोप लगा तो दिये है-सब लोगों के पास तो मानहानि का दावा ठोंकने के लिये समय नही है लेकिन अगर कुछ लोगों ने भी हमारे ऊपर मानहानि का दावा ठोंक दिया तो हमारी बची

इस तरह बनेंगे केजरीवाल पी एम !

अन्ना हज़ारे यकायक भारत की राजनीति  मे पूरी तरह से सक्रिय होकर कूद पड़े है और राजनीति मे एक एक कर करके जितने भी खोटे सिक्के हैं, उनको आज़माकर उन पर अपना दाव खेलने के चक्कर मे हैं ! इस सारी कवायद मे यह भी सॉफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ किये गये अपने तथाकथित आन्दोलन से उन्होने जनता की जितनी भी सहानुभूति और सम्मान पाया था, उसकी भी उन्होने लगभग बलि चढ़ाने का फैसला कर लिया है ! आजकल अन्ना हज़ारे महाराज पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी की वकालत करते घूम रहे हैं ! पश्चिम बंगाल मे सरकार किस तरह चल रही है यह सभी को    मालूम है- पश्चिम बंगाल के जंगल राज को देखकर लल्लू द्वारा किसी जमाने बिहार मे फैलाये गये गुन्डाराज और जंगल राज की याद ताज़ा हो जाती है- शायद पश्चिम बंगाल के कुशासन की सही तुलना उत्तर प्रदेश मे बसपा और सपा के गुन्डाराज और जंगल राज से ही की जा सकती है-ऐसे मे सवाल यह पैदा होता है कि अपने पुराने चेले केजरीवाल तो अराजकता मे धकेलने के बाद क्या अन्ना हज़ारे अब ऐसे नेताओ के समर्थन का बीड़ा उठाने चले है, जो अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुके हैं ?  लल्लू जिस

"मोदी का रास्ता रोको" अभियान !

भ्रष्ट कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली मे 49 दिनों तक गठबंधन सरकार चलाने मे पूरी तरह से नाकाम होने के बाद   केजरीवाल जी आजकल मीडिया पर बुरी तरह बरस रहे है ! जिस मीडिया ने उन्हे एक सड़कछाप आन्दोलनकारी से उठाकर मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया, वही मीडिया आज उन्हे बिका हुआ लगने लगा है ! उनकी इस अपराधिक सोच का समर्थन उनके आका यानि कि हमारे गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे भी करते नज़र आ रहे है जो मीडिया को धमकाते हुये उसकी आई बी से जांच कराकर उसे कुचलने की बात कहते है ! दरअसल 1975 मे एमर्जेन्सी की आग मे देश को झोंकने वाली कांग्रेस अपनी बौखलाहट के जुनून मे किसी भी हद तक जा सकती है ! अपने राजनीतिक विरोधियों को नीचा दिखाने के लिये कांग्रेस कुछ भी कर सकती है यह तो शिन्दे के बयान से साफ हो ही चुका है- पहले भी कांग्रेस के इशारे पर एक तथाकथित पत्रिका "तहलका" के संपादक तरुण तेजपाल के जरिये  भाजपा पर हमला साधने की नाकाम कोशिस की गयी थी ! तरुण तेजपाल महोदय कांग्रेस पार्टी के इशारों पर नाच नाचकर लगातार दुष्कर्म करते रहे और अपने सभी दुष्कर्मों को उन्होने "तहलका" का नाम दे दिया !

मोदी से 7 तीखे सवाल !

मोदी से लोग पहले भी बहुत सवाल कर चुके हैं- आजकल आम आदमी पार्टी को भी मोदी से सवाल करने का चस्का लग गया है ! ठीक भी है, अब दिल्ली का काम काज़ तो देखना नही है, वक़्त गुजारने के लिये सबके पास कुछ ना कुछ काम तो होना ही चाहिये- सो मोदी से सवाल पूछ पूछकर ही अपना वक़्त काटते रहो ! सवाल पूछने की इसलिये भी जल्दी रहती है कि पिछले 65 सालों से जुबां पर ताले पड़े हुये थे- इसलिये जो सवाल पिछले 65 सालों मे नही  पूछ पाये वह फटाफट मोदी से  पूछ लिये जाएं- कहीं ऐसा ना हो कि कल को हमारे ना चाहते हुये भी मोदी जी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाएं और फिर मामला उल्टा पड जाये और मोदी जी हम लोगों से ही सवाल पूछने शुरु कर दे और 65 सालों मे हम लोगों ने जो भयंकर दुष्कर्म किये है, उनका हिसाब किताब ना चाहते हुये भी देना पड जाये ! क्योंकि सवाल पूछने का मौसम चल रहा है इसलिये हमने सोचा कि हम भी एक दो सवाल मोदी जी से कर ही डालें ! हमारे मोदी जी से यह सवाल हैं : 1. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन लोगों के लिये किस प्रकार के दंड का प्रावधान किया जायेगा जो लोग "देशद्रोह" नामक वस्तु को "सेकुलरिज्म"

किन मुददों पर लड़े जायेंगे 2014 के चुनाव ?

आम आदमी पार्टी के समर्थकों को इस बात  से कुछ निराशा हो सकती है और कांग्रेस के समर्थकों को इस बात से कुछ राहत मिल सकती है कि पहले की तरह ही 2014 के लोकसभा चुनावों मे भी भ्रष्टाचार कोई बहुत बड़ा मुद्दा नही बन सकेगा ! इस आकलन के पीछे मुख्य कारण यही है कि भ्रष्टाचार एक राजनीतिक समस्या नही है जैसा कि इसे प्रचारित किया जा रहा है, बल्कि यह एक सामाजिक समस्या है और जिस देश मे संतरी से लेकर मंत्री तक सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हों, वहां सिर्फ यह मान लेना कि सिर्फ हमारे राजनेता ही भ्रष्ट है,बिल्कुल गलत होगा ! हम लोग वही नेता चुनकर संसद या विधान सभा मे भेजते है, जो हमे पसंद होते है और हम उन्ही को चुनकर भेजते है जो हमारी विचारधारा से मेल खाते है ! पिछले 65 सालों के शासन मे भी अगर हम देखें कि जब जब किसी राजनीतिक दल ने भ्रष्टाचार से लड़ने की कोशिश की, उसे वहा की जनता ने चुनावी शिकस्त देकर भ्रष्ट या फिर ज्यादा भ्रष्ट लोगों के हाथ मे सत्ता सौंप दी ! कर्नाटक, उत्तराखंड और हिमाचल मे विधान सभा चुनावों मे हुई भाजपा की हार को इसी संदर्भ मे लेकर देखा जाना चाहिये ! कर्नाटक मे भाजपा ने भ्रष्ट येदु