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Showing posts from 2017

मोदी जी, भ्रष्टाचारियों से नहीं निपटे तो आपकी सरकार निपट जाएगी !

हाल ही मे 2जी घोटाले मे स्पेशल सी बी आई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करते हुये यह कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई भी ठोस सुबूत पेश नही कर सका है, लिहाज़ा सभी आरोपियों को बरी किया जाता है. जयललिता और सलमान ख़ान के मामले मे जिस तरह से हमारे देश मे अदालती फैसले आते रहे हैं, उन्हे देखते हुये इस फैसले पर भी कोई बहुत ज्यादा हैरानी किसी को नही होनी चाहिये. समय समय पर मैं अपने लेखों मे यह लिखता रहा हूँ कि सरकार को न्यायालय की अवमानना से सम्बंधित कानून Contempt of Courts Act को या तो पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिये या फिर इसमे इस तरह से संशोधन करना चाहिये ताकि अदालतों द्वारा किये गये गलत फैसलों की समीक्षा और आलोचना का लोकतांत्रिक रास्ता खुला रहे. न्यायपालिका निष्पक्ष रूप से पूरी पारदर्शिता के साथ काम करे, इसकी जिम्मेदारी सरकार की है. सीधे और सरल शब्दों मे कहा जाये तो न्यायपालिका को बेलगाम नही छोड़ा जा सकता अन्यथा जयललिता, सलमान ख़ान और 2 जी जैसे फैसले आते रहेंगे और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी. रोज शाम को टी वी चेनल वाले जिस तरह से हर छोटे-बड़े मुद्दे पर बहस शुरु कर देते हैं,

“कांग्रेस मुक्त भारत” बनाने की तरफ मोदी का एक और कदम

आज से लगभग ९ महीने पहले मार्च २०१७ में मैंने इसी मंच पर एक लेख लिखा था -”दिल्ली ,हिमाचल और गुजरात में भाजपा की जीत लगभग तय”. दिल्ली में उस समय नगर निगम के चुनाव होने थे जिनमे  भाजपा को जीत मिली थी. हाल में ही  हुए चुनावों के बाद गुजरात और हिमाचल में भी भाजपा ने अभूतपूर्व जीत दर्ज़ करके देश को कांग्रेस मुक्त बनाने की तरफ दो और कदम आगे बढ़ा दिए हैं. यहां देखने वाली बात यह है कि भाजपा ने गुजरात में लगातार २२ साल सरकार में रहते हुए लगातार  छठवीं बार यह जीत दर्ज़ की है. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस और उसके समर्थक मीडिया ने मोदी और भाजपा को हराने के लिए अपने षड्यंत्रों को रचने  में कोई कसर उठा रखी थी. कांग्रेस ने जाति गत आरक्षण से लेकर साम्प्रदायिकता और देशद्रोह के जहर को भी इन चुनावों में बड़ी बेशर्मी के साथ घोलने की नाकाम कोशिश की थी जिसे गुजरात और हिमाचल की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है. पहले तो कांग्रेस ने विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की बजाये विकास को पागल घोषित कर दिया और  गुजरातियों को जात-पात के आधार पर बांटने के लिए कुछ ऐसे लोगों से  जाति गत आधार पर गठबंधन कर लिया जिन

यही मोदी का “गुजरात मॉडल” है

२०१४ के पहले से ही नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की चर्चाएं काफी गर्म रहती थीं. जहां मोदी के समर्थक गुजरात मॉडल का हवाला देकर वहां भ्रष्टाचार रहित एवं विकास शील व्यवस्था का गुणगान करते थे, वहीं देश की विपक्षी पार्टियों के नेता मोदी के गुजरात मॉडल पर तंज़ करते नज़र आते थे. उत्तर प्रदेश के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया था कि- “हम यू पी को गुजरात नहीं बनने देंगे”. कमोबेश यही बात हर विपक्षी नेता की जुबान पर भले ही न आयी हो, लेकिन सबके मन में यही डर कहीं न कहीं बैठा हुआ था कि अगर “गुजरात मॉडल” चल पड़ा तो मोदी और देश की जनता के अच्छे दिन आ जाएंगे और उनके लिए सत्ता का स्वाद चखना अगले कई दशकों तक एक दिवा स्वप्न बनकर रह जाएगा. चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले यह समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर यह “गुजरात मॉडल” है किस चिड़िया का नाम: [१] गुजरात में होने वाला विधान सभा का चुनाव स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा चुनाव है जिसमे कोई भी नेता गोल जालीदार टोपी पहने दिखाई नहीं दे रहा है. यही गुजरात मॉडल है. [२] भगवान् श्री राम को “काल्पनिक” बताने वाले राहुल गाँधी पिछले दो महीने में २२ बार मंदिरों में जाकर अपनी नाक

गुजरात चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होना लगभग तय

लोकतंत्र में हार और जीत तो लगी ही रहती है और जनता अपने विवेक और समझ का इस्तेमाल करते हुए किसी एक पार्टी को सत्ता के सिंहासन तक पहुँचाने का काम करती है. उस तरह से देखा जाए तो गुजरात चुनावों में कांग्रेस को मिलने वाली पराजय पर किसी को भी  हैरानी नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह पार्टी और इसके नेता अभी तक यह नहीं समझ सके हैं कि जनता ने जब इस पार्टी को २०१४ में सत्ता से बाहर किया था तो उसे पिछले ६० सालों के कुशासन , भ्रष्टाचार और देशद्रोह का दंड दिया था. २०१४ का सत्ता परिवर्तन कोई मामूली सत्ता परिवर्तन नहीं था. जो लोग पिछले कई दशकों से देशद्रोहियों के तलवे चाट चाट कर देश के बहुसंख्यकों का लगातार अपमान कर रहे थे और  जो लोग अपने कुशासन और भ्र्ष्टाचार से लगातार जनता और देश को लूटने का काम कर रहे थे, जनता ने २०१४ में उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था.   २०१४ में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी को ज्यादातर राज्यों में भी उसी तरह की शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस पार्टी ने न तो अपनी हार से कोई सबक लेने की कोशिश की और न ही कभी अपनी  भ्रष्टाचा

गुजरात और हिमाचल में भाजपा की बम्पर जीत लगभग तय

गुजरात और हिमाचल में इसी साल विधान सभा चुनाव होने हैं. दोनों ही जगह मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. अपने राजनीतिक वजूद की आखिरी लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी इन दोनों ही चुनावों में अपनी पूरी “ताकत” झोंकने का प्रयास कर रही है. क्योंकि कांग्रेस इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, इसलिए यह समझना ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी की असली ताकत क्या है, जिसके बल बूते पर इस पार्टी ने इस देश को लगभग ६० सालों तक निर्ममता से लूटा है. दरअसल कांग्रेस पार्टी की असली ताकत है -दुष्प्रचार. अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मनगढंत दुष्प्रचार करके सत्ता हथियाने में इस पार्टी को महारथ हासिल रही है. लेकिन पिछले कुछ सालों में लोगों में बढ़ती जागरूकता और सोशल मीडिया के विस्तार के चलते कांग्रेस पार्टी  का यह दुष्प्रचार रूपी ब्रह्मास्त्र अब पूरी तरह बेकार हो गया है. अख़लाक़ और रोहित वेमुला जैसे फ़र्ज़ी मसलों पर कांग्रेस पार्टी और इसके चाटुकारों ने जमकर भाजपा पर हमला बोला. अपने “अवार्ड वापसी गैंग” से अवार्ड भी वापस करवाए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. नतीजा नहीं निकला लेकिन कां

पटाखे सिर्फ दिवाली पर ही प्रदूषण क्यों फैलाते हैं ?

" दिव्य देश " के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपना एक " ऐतिहासिक " फैसला सुनाते हुए " सिर्फ " दीपावली के अवसर पर पटाखे जलाने पर रोक लगा दी है . पटाखों पर लगी यह रोक सिर्फ १ नवम्बर तक के लिए ही है . इस तारीख के बाद पटाखे बेचे भी जा सकते हैं और जलाये भी जा सकते हैं . एक खोजी टी वी चैनल को यह बात कुछ हज़म नहीं हुयी सो उसने अपने एक होनहार रिपोर्टर को देश के पर्यावरण   मंत्री के पास   इंटरव्यू   लेने के लिए भेज दिया . टी वी रिपोर्टर ने पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय माँगा . मंत्री जी तो साक्षात्कार देने के लिए खुद ही उतावले हुए जा रहे थे . लिहाज़ा   तय समय पर रिपोर्टर मंत्री जी के निवास पर पहुँच गया . बिना किसी औपचारिकता के रिपोर्टर ने मंत्री जी से अपना पहला सवाल दागा -" सर , अपने " दिव्य देश " में   पर्यावरण को लेकर लोग काफी जागरूक हो रहे हैं . अभी हाल ही में अपने सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले