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Showing posts from April, 2017

देश को मोदी-योगी जैसे नेता चाहियें,केजरीवाल जैसे नहीं

केजरीवाल के चाल, चरित्र और चेहरे को बेनकाब करने वाले सबसे ज्यादा लेख शायद मैंने ही लिखे हैं. १८ मार्च २०१४ को भी केजरीवाल को बेनकाब करता हुआ मेरा लेख प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक था-” केजरीवाल: महानायक से खलनायक बनने तक का सफर”. मीडिया ने तो दिल्ली MCD चुनावों के बाद उन्हें खलनायक घोषित किया है लेकिन मेरे हिसाब से तो वह इस “सम्मान” के अधिकारी आज से लगभग तीन साल पहले ही हो चुके थे, उसी के चलते २०१४ के लोकसभा चुनावों में भी उनका सूपड़ा साफ़ हो गया था लेकिन, मोदी की २०१४ की जीत से बौखलाए अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण के चलते केजरीवाल ६७ सीटों के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए. केजरीवाल किसी भी कारण से मुख्यमंत्री बने हों, लेकिन उनके पास अपने आप को साबित करने का एक बेहतरीन मौका था -जिन मुद्दों को वह अन्ना आंदोलन के वक्त और उससे पहले जोर शोर से उठाने की नौटंकी कर रहे थे, उन्हें अमली जामा पहनाने का भरपूर मौका उनके पास था. जनता ने दिल खोलकर बहुमत दिया था. मेरे जैसे लोग तो खैर हैरान थे, क्योंकि मुझे यह मालूम था कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है- काम करना केजरीवाल की फितरत में नहीं है. अपनी पढाई

56 इंची जिनका सीना, यह बात उन्हें बतलानी है.............

जो सैनिक को थप्पड़ मारे, वे सब के सब जेहादी हैं. जो हैं कश्मीर की सत्ता में, वे ही असली अपराधी हैं. **************************************** मुफ्ती,अब्दुल्ला और हुर्रियत तो छप्पन भोग लगाते हैं सीमा की जो रक्षा करते, वे मुफ्त में थप्पड़ खाते हैं. **************************************** सत्ता की खातिर कर डाला है राष्ट्रवाद से गठबंधन तुम जिसको कहते गठबंधन,जनता कहती है ठगबंधन ***************************************** ५६ इंची जिनका सीना, यह बात उन्हें बतलानी है पिट गया अगर कोई सैनिक तो गठबंधन बेमानी है. **************************************** पहले गठबंधन ख़त्म करो, फिर दुष्टों का संहार करो अब नहीं पिटे कोई सैनिक, ऐसा घातक प्रहार करो *************************************** कश्मीर नहीं है अब्दुल्ला-हुर्रियत जैसे शैतानों का कश्मीर पे हक़ है भारत का-भारत के वीर जवानो का ***************************************** © सर्वाधिकार सुरक्षित : राजीव गुप्ता

कश्मीर समस्या पर सरकार को अब्दुल्ला की खरी-खरी

सारे देश में कश्मीर में बढ़ती देशद्रोह की घटनाओं को लेकर जब सभी टी वी चैनल अपनी अपनी टी आर पी बढ़ाने में लगे हुए थे, उस वक्त “खबरदार” न्यूज़ चैनल के  सीनियर एडिटर ने अपने एक सीनियर रिपोर्टर और कैमरामैन को बुलाया और उन्हें यह हिदायत दे डाली: “देखों हमें भी धंधे में बने रहने की लिए कुछ न कुछ करना होगा और बाकी सभी लोगों की तरह अपनी टी आर पी बढ़ाने की लिए हाथ पाँव इधर उधर मारने होंगे. तुम लोग ऐसा करो कि तुरंत कश्मीर के लिए रवाना हो जाओ. वहां थोक में देशभक्त नेता उपलब्ध हैं. उन नेताओं से एक धमाकेदार इंटरव्यू लेना है जिसे हम लोग कम से एक हफ्ते तक अपने चैनल पर दिखा दिखा कर अपने दर्शकों को भी देशभक्ति के  लिए प्रेरित कर सकें..” सीनियर रिपोर्टर और कैमरामैन दोनों ही गर्मियों में कश्मीर यात्रा के इस अचानक मिले अवसर पर मन ही मन बहुत खुश हुए लेकिन अपनी खुशी को दबाते-छुपाते हुए उन्होंने सीनियर एडिटर से यह सवाल किया, “कहीं आपका इशारा मारूक अब्दुल्ला और उसके बेटे कुमर अब्दुल्ला की तरफ तो नहीं है?” सीनियर एडिटर: “हाँ मेरा इशारा इन्ही दोनों की तरफ है, क्योंकि यह दोनों ही ऐसे नेता हैं जो न सिर्फ अव्वल द

मोदी,भाजपा और एल. जी. की साज़िश का शिकार क्रेज़ीवाल

भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करके व्यवस्था परिवर्तन करने जैसी "क्रांतिकारी" बातें करने वाले क्रेज़ीवाल जी हमेशा से ही सुर्ख़ियों में रहने के आदी हो चुके हैं. अक्सर उनके ऊपर "ईमानदार" होने के आरोप भी लगते रहते हैं. इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए जब मैंने क्रेज़ीवाल जी से इंटरव्यू के लिए समय माँगा तो उन्हें तो मानो मुंह माँगी मुराद मिल गयी और उन्होंने खुशी खुशी उसके लिए हामी भरते हुए कहा-"देखिये पत्रकार महोदय, मैं आपके बताये गए समय पर आपके चैनल के स्टूडियो खुद ही पहुँच जाऊँगा." अपने वादे के मुताबिक़ क्रेज़ीवाल जी ठीक समय से लगभग दस मिनट पहले ही हमारे टी वी चैनल के स्टूडियो में तशरीफ़ ले आये और बोले-" देखिये नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं. मेरा बढ़िया सा मेक अप कर दें, ताकि मैं शक्ल से भी वही लगूँ जो मैं हूँ और दर्शक मेरे बारे में कोई गलतफहमी अपने मन में न पाल लें." क्रेज़ीवाल के चेहरे की मन माफिक झाड़ पोंछ करते -करते हमारे चैनल के प्राइम टाइम शो का वक्त भी हो गया था, जिसका नाम था-" क्रैज़ीवाल पर लगने वाला यह आरोप बेबुनियाद है.&qu

केजरीवाल और जेठमलानी पर उठते सवाल

देश के नामी वकील राम जेठमलानी केजरीवाल की तरफदारी करते हुए उनका मानहानि का मुकदमा लड़ रहे हैं. यह बात पूरा देश जानता है कि केजरीवाल अपनी घटिया दर्जे की ओछी राजनीति को चमकाने के लिए सभी ईमानदार लोगों को बेईमान बता बताकर उन पर बेबुनियाद आरोप लगाते रहते हैं और जब वह व्यक्ति उन पर मानहानि का दावा ठोंकते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाता है तो केजरीवाल अपनी जान बचाने के लिए जेठमलानी जैसे वकीलों की शरण में पहुँच जाते हैं. यहां तक तो बात सही है कि हर व्यक्ति को अदालत में अपना मुकदमा लड़ने के लिए वकील नियुक्त करने का पूरा अधिकार है लेकिन जब अदालत में मुकदमा केजरीवाल पर चल रहा हो और उसके वकील की भारी भरकम फीस का बिल दिल्ली सरकार से भरने के लिए कहा जाए तो सवालों का खड़ा होना लाज़मी है और उन सवालों के जबाब देने की जिम्मेदारी सिर्फ केजरीवाल की ही नहीं, उनके वकील जेठमलानी की भी बनती है. अब समय आ गया है कि केजरीवाल और जेठमलानी दोनों मिलकर देश की जनता द्वारा पूछे जा रहे इन सवालों का जबाब दें . सवाल इस तरह से हैं : १.       जेटली मानहानि मामले में केजरीवाल का अदालतों में बचाव करने के लिए जेठमलानी ने उन