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Showing posts from May, 2017

देशद्रोहियों को दण्डित करने के लिए अध्यादेश लाये मोदी सरकार

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर का हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमे वह हुर्रियत के अलगाववादियों के साथ देशद्रोह की बातों में संलिप्त दिखाए गए हैं. मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद पहले भी सन २०१५ में पाकिस्तान के एक टी वी चैनल तो इंटरव्यू देते वक्त  पाकिस्तान सरकार से यह गुजारिश करते हुए रंगे हाथों पकडे जा चुके हैं कि पाकिस्तान  मोदी सरकार को हटाने में उनकी मदद करे. कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं का देशद्रोह की घटनाओं और बयानों से चोली दामन का साथ रहा है. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जब देशद्रोही नारे लगाए गए थे, तब भी नारे लगाने वालों का सबसे पहले समर्थन करने के लिए राहुल गाँधी और केजरीवाल ही वहां पहुंचे थे. केजरीवाल क्योंकि खुद ही कांग्रेस पार्टी के दिखाए गए रास्ते पर चल रहे हैं, इसलिए वह कांग्रेस पार्टी की सोच से हटकर कुछ नया कर पाने में आज तक असमर्थ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी और उसके साथ नकली "सेक्युलरिज्म" का झुनझुना बजाने वालों ने क्योंकि इस देश में लगभग ६० सालों तक एकछत्र राज किया है, उनकी इस सोच को पिछले ६-७ दशकों में आधिकारिक मान्यता मिल चुकी है, जिसम

जब अब्दुल्ला को सेना ने जीप से बांधकर घसीटा

पत्रकार महोदय गर्मियों की छुट्टियां मनाने कश्मीर आये हुए थे, सो सोचा कि क्यों न अब्दुल्ला बाप बेटों से भी मुलाक़ात कर ली जाए. पत्थरबाजों से डरते डराते पत्रकार अब्दुल्ला निवास पहुँच गया . अब्दुल्ला बाप बेटे तो एकदम तैयार ही थे सो पत्रकार का स्वागत करते हुए बोले-" आइये पत्रकार महोदय. आजकल तो हमें कोई पूछ ही नहीं रहा है. आप दिल्ली से हमारा इंटरव्यू लेने आये हैं, हमारे बड़े भाग्य हैं." पत्रकार ने इधर उधर की बातें छोड़कर , सीधे मुद्दे पर आते हुए अपना पहला सवाल दाग दिया-" आप दोनों पर यह इलज़ाम लगातार लग रहा है कि आप लोग खाते तो हिंदुस्तान का हैं और गाते पाकिस्तान का हैं. इस बात में कहाँ तक सच्चाई है ?" पत्रकार की बात सुनते ही अब्दुल्ला का बेटा भड़क गया -" पत्रकार महोदय, यह सरासर गलत आरोप है. हम इसका पूरी तरह से खंडन करते हैं. हम लोग पूरी तरह से पाकिस्तान से आने वाले पैसों पर ही अपना जीवन यापन  कर रहे  हैं - पकिस्तान से आ रहे इसी पैसे में से हमें पत्थरबाजों को भी भुगतान करना होता है. लिहाज़ा हम लोगों पर यह आरोप नहीं लगाया जा सकता. हम लोग खाते भी पाकिस्तान का है

Furnishing of statement of financial transaction.

Furnishing of statement of financial transaction . 114E. (1) The statement of financial transaction required to be furnished under sub-section (1) of section 285BA of the Act shall be furnished in respect of a financial year in Form No. 61A and shall be verified in the manner indicated therein. (2) The statement referred to in sub-rule (1) shall be furnished by every person mentioned in column (3) of the Table below in respect of all the transactions of the nature and value specified in the corresponding entry in column (2) of the said Table in accordance with the provisions of sub-rule (3), which are registered or recorded by him on or after the 1st day of April, 2016, namely:— Sl. No./Nature & value of transaction/ Class of person *🐌(reporting person)* 1.(a) Payment made in cash for purchase of bank drafts or pay orders or banker's cheque of an amount aggregating to ten lakh rupees or more in a financial year. (b) Payments made in cash aggregating to ten lakh rupees or more

25 Key Takeaways of Final GST Rules passed by GST Council

GST Rules: 25 Key Takeaways of Final GST Rules passed by GST Council: In its 14th meeting in Srinagar on 18th and 19th May,2017 the all-powerful GST council cleared seven rules pertaining to different aspects of GST.  These rules relate to Registration, Input Tax Credit, Payment, Refund, Invoice, Valuation and Composition and have paved the way for the rollout of GST from  July 1, 2017 . The key highlights of these final GST Rules are as follows: Registration : 1)  PAN is mandatory for taking registration under GST. PAN will be validated by CBDT. After successful validation, registration will be granted. 2)  If a person has a SEZ unit, then he is required to make separate registration application for that unit. Similarly, a separate application of registration is required for becoming Input Service Distributor. 3)  A non- resident seeking registration under Non-Resident Taxable Person has to appoint an authorized signatory who will sign the application of registrat

भ्रष्ट देशद्रोहियों से निपटने में मोदी सरकार नाकाम ?

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के सुपुत्र कार्ति  चिदंबरम लन्दन भाग गए हैं. लन्दन भागने के बाद कार्ति चिदंबरम पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले के आधार पर उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग (धनशोधन) का एक मामला दर्ज किया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब कोई व्यक्ति पहली बार देश छोड़कर भागा हो. इससे पहले ललित मोदी और विजय माल्या भी लन्दन भाग चुके हैं और इन दोनों को भी सरकार पकड़कर वापस लाने में पूरी तरह नाकाम रही है.  कार्ति चिदंबरम पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी, भ्रष्ट या अवैध तरीके से फायदा उठाने, सरकारी अधिकारी को प्रभावित करने तथा आपराधिक आचरण का आरोप लगाया गया है. सवाल यह उठ रहा है कि पी चिदंबरम, कार्ति  चिदंबरम और लल्लू यादव पर जो हालिया छापेमारी हुई है, क्या उसके मद्देनज़र सरकार और सरकारी एजेंसियों को पहले से ही इस बात का अंदेशा नहीं हो जाना चाहिए था कि यह सब लोग या इनमे से कोई भी व्यक्ति देश छोड़कर भाग सकता है. क्या सरकार ललित मोदी और विजय माल्या के भागने से कोई भी सबक लेने को तैयार नहीं है. जब इ

विरोधियों की चाल पर भारी पड़ते मोदी के 3 साल !

मोदी सरकार को बने हुये लगभग तीन साल पूरे हो चुके हैं. 2014 मे जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी तो विपक्ष को भाजपा की जीत और अपनी हार दोनो ही हज़म नही हुई थी. एक हारे हुये खिलाड़ी की बौखलाहट विपक्ष के हर नेता मे पिछले 3 सालों से साफ साफ देखी जा सकती है. ऐसा कोई षड्यंत्र नही था, जिसे विपक्षी दलों ने पिछले 3 सालों मे अंज़ाम ना दिया हो. यह ठीक है कि मोदी ने शालीनता के चलते इन षड्यंत्रकारियों पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नही की है, जिसकी देश की जनता को बेताबी से प्रतीक्षा है, लेकिन विपक्षी दलों के यह सभी षड्यंत्रकारी जनता की नजरों मे पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं और पिछले 3 सालों मे इन विपक्षी दलों की जनता ने इस तरह से ठुकाई की है कि संसद से लेकर विभिन्न राज्यों की सत्ता भी इन  षड्यंत्रकारियों   के हाथ से आहिस्ता आहिस्ता खिसकती जा रही है. बिहार और दिल्ली की जनता ने इन षड्यंत्रकारियों के हाथ मे सत्ता सौंपकर जो भयंकर भूल की थी, उसका भारी खामियाजा इन दोनो राज्यों की जनता आज तक चुका रही है.  मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही काले धन पर ठोस कार्यवाही करने के लिये एस आई टी गठित कर दी और इस क्रांति

मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है बढ़ती आबादी

जिस समय देश आज़ाद हुआ था, देश की आबादी लगभग ३३ करोड़ के आसपास थी, जो अब बढ़कर लगभग चार गुनी होकर सवा सौ करोड़ के आसपास पहुँच गयी है. आबादी किस रफ़्तार से बढी है, वह अपने आप में चिंता का एक विषय है. लेकिन उससे भी अधिक चिंता वर्तमान सरकार को इस बात की होनी चाहिए कि आज़ादी के बाद से ही लगातार बढ़ रही इस आबादी में विभिन्न समुदायों में आबादी किस अनुपात में बढी है. पिछली सरकारों की बेहद गलत और भेदभावपूर्ण जनसँख्या नीतियों का ही यह नतीजा है कि देश में जहां एक तरफ तो आबादी में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है,वहीं दूसरी तरफ बहुसंख्यकों की आबादी में कमी आयी है. २०११ की जनगणना के आंकड़े यह बताते हैं कि जहां १९५१ से लेकर २०११ तक बहुसंख्यकों की आबादी का प्रतिशत ८४.४८ से घटकर ८३.८० रह गया, वहीं मुस्लिम आबादी का अनुपात ९.८ प्रतिशत से बढ़कर १४.२३ प्रतिशत हो गया. मुसलमान शासकों   और अंग्रेजों   के काल में भारत में जनगणना का आधार बिल्कुल भिन्न था. वस्तुत : उस समय इसका आधार होता था   किसी भी प्रकार से अपने शासन को मजबूत बनाए रखना. मुसलमान आक्रमणकारियों , पठानों तथा मुगलों ने भारत का