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Showing posts from March, 2018

“पाकिस्तान जिंदाबाद” से “पाकिस्तान नंगाबाद ” तक का सफर

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की  अमेरिका के हवाई अड्डे पर सारे कपडे उतारकर तलाशी ली गयी है. इस खबर की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी हैं. देखा जाए तो यह कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम के ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के उतारे गए हैं और अमेरिका ने एक बार पूरी दुनिया को “आतंकवाद का मजहब” बताते हुए पाकिस्तान को सभी के सामने निर्वस्त्र  कर दिया है. भारतीय मीडिया और टी वी चैनलों के साथ साथ खुद पाकिस्तानी मीडिया और टी वी चेनल इस खबर को काफी रोचकता के साथ पेश कर रहे हैं. दरअसल  यह मामला इतना सीधा नहीं है, जितना लग रहा है. कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम या पाकिस्तान के ही नहीं उतरे हैं. हमारे अपने ही देश में ऐसे हज़ारों लोग हैं तो खाते तो हिन्दुस्तान का हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का हैं. उन सब के भी यकायक सभी कपडे उतर गए हैं. आइये देखते हैं, ऐसे कौन कौन से लोग हैं, जिनके कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं : १. वे सभी लोग जो भाजपा की हार पर “पाकिस्तान जिंदाबाद-भारत तेरे टुकड़े होंगे” के नारे लगाते हैं, उनके सभी कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं. २. वे सभी लोग जो जे एन यू जैसे तथाकथित श

मोदी ने अगर कुछ नहीं किया तो विपक्ष घबराया हुआ क्यों है ?

मोदी सरकार को सत्ता संभाले लगभग ४ साल का समय पूरा हो चूका है. मोदी सरकार बनने से पहले देश में ज्यादातर समय या तो कांग्रेस पार्टी का शासन था या फिर कांग्रेस के समर्थन से चलने वाली सरकारों का शासन था. कांग्रेस और इसके समर्थन से चलने वाली सभी सरकारों ने देश को जी भरकर लूटा और अपने जबरदस्त भ्रष्टाचार और कुशासन से देश को लगभग महाविनाश के कगार पर पहुंचा दिया. क्योंकि पिछले ६०-७० सालों से कांग्रेस और उसके सहयोगी मिल बांटकर देश को लूट रहे थे,मोदी सरकार के आने से इन सबकी कमाई भी बंद हो गयी और इन लोगों के समर्थन और सहयोग से चलने वाली वे सभी दुकाने भी बंद हो गयीं, जो सामाजिक कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री , फिल्मकार, इतिहासकार और कलाकार आदि के नामों से चल रही थीं. यह सभी लोग “अवार्ड वापसी गैंग” का हिस्सा बन गए और अपनी दुकानों के बंद होने के विरोध में अपने अपने अवार्ड भी वापस करने लगे. देखा जाए तो इन विपक्षी राजनीतिक दलों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है. किसी भी व्यक्ति ने बड़ी मुश्किल से पिछले ६०-७० सालों में जनता को निर्ममता से लूटने की जो दुकाने खोल रखी हों, अगर उन्होंने अचानक ही बंद करना पड़

थूककर चाटने वाले को केजरीवाल कहते हैं

केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब के एक विरोधी राजनीतिक नेता मजीठिया से मानहानि मामले में कोर्ट के सामने जाकर अपना लिखित माफीनामा दाखिल किया है. पंजाब चुनावों के समय केजरीवाल ने अपनी गन्दी आदत के मुताबिक बेबुनियाद और गंभीर आरोप मजीठिया पर लगाए थे, जिन्हे वह अदालत में साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहे. केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का यह कोई पहला मामला नहीं है और न ही आखिरी मामला है. जब से केजरीवाल  राजनीति में आये हैं, पहले ही दिन से उनकी यह आदत रही है कि विपक्षी पार्टी के नेताओ पर गंभीर आरोप लगाकर किसी भी तरह चुनाव जीत जाओ और बाद में जब वह व्यक्ति केजरीवाल के ऊपर मानहानि का दवा ठोंक दे तो उन आरोपों को साबित करने की बजाये लिखित में  माफी मांग लो. इसी तरह का एक बड़ा मानहानि का मामला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी केजरीवाल के ऊपर कर रखा है और इस मामले में भी केजरीवाल अभी तक कुछ भी आरोप साबित नहीं कर पाए हैं. इस बात की पूरी सम्भावना है कि अरुण जेटली समेत बाकी से सभी मानहानि के मामलों में भी केजरीवाल लिखित माफीनामा ही दाखिल करेंगे. जहां तक मुझे ध्यान है केजरीवाल के खिलाफ सबसे अधिक और सबसे पहले ब

मोदी ने कैसे किया वामपंथ का अंत !

पूर्वोत्तर राज्यों में नरेंद्र मोदी का जादू कुछ इस तरह से सर चढ़कर बोला कि वामपंथ और वामपंथी विचारधारा का एक ही झटके में अंत हो गया. इस देश में आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के लिए वामपंथी ताकतों और उनकी विचारधारा को पनपने का भरपूर मौका दिया. वामपंथ की अपनी कोई विचारधारा नहीं है. इन लोगों की विचारधारा यही रही है कि “जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो”. दूसरे शब्दों में वामपंथ, माओवाद या फिर नक्सलवाद , यह सभी विचारधाराएं देशद्रोह पर आधारित हैं. जाहिर है कि जो भी व्यक्ति या संगठन इस विचारधारा का पक्षधर है, वह अव्वल दर्ज़े का  देशद्रोही  है. कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए इन लोगों को देश का इतिहास लिखने पर लगा दिया और यह लोग अपनी मन मर्ज़ी से मन गढंत इतिहास लिख लिखकर देश के लोगों को गलत मलत इतिहास पढ़ने पर मजबूर करते रहे. इन लोगों का लिखा हुआ इतिहास कितना हास्यास्पद है, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन लोगों की माने तो “राहुल गाँधी एक करिश्माई नेता” हैं और “शहीद भगत सिंह एक आतंकवादी” हैं. इन लोगों को पिछले ६०-७० सालों में तरह तरह के