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कैसी कैसी चाल- चले केजरीवाल !!!

"जिस राज्य की प्रजा लोभी और लालची होती है, वहां ठग शासन करते हैं.” चाणक्य ने जब यह बात अपनी चाणक्य नीति में लिखी थी, उस समय शायद उन्हें भी नहीं मालूम था कि कभी दिल्ली जैसे राज्य में उनकी लिखी गयी नीति को पूरी सच्चाई के साथ अमल में लाया जाएगा. जब से दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनी है, लोग अपने मुफ्त के वाई-फाई, मुफ्त के पानी और सस्ती बिजली के लालच में अपना वोट एक ऐसी पार्टी को देने पर लगातार अपना सर पीट रहे हैं, जिसे न सरकार चलाना आता है और न ही सरकार चलाने कि कोई मंशा नज़र आती है. नतीजतन दिल्ली में पिछले लगभग दो ढाई सालों से जो कुछ भी हो रहा है, वह सब भगवान् भरोसे चल रहा है. अगर कुछ अच्छा हो जाए तो दिल्ली सरकार उसका श्रेय अपनी सरकार को दे देती है और जो कुछ भी ख़राब हो जाए या न हो पाए, उसके लिए वह सीधे सीधे मोदी सरकार को जिम्मेदार बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है. दिल्ली में विधान सभा चुनावों से पहले केजरीवाल ने जनता से यह वादा किया था कि दिल्ली कि बिजली कंपनियां गड़बड़ कर रही हैं और उनका सी ऐ जी ऑडिट कराया जाएगा और उस ऑडिट के बाद से दिल्ली में बिजली अपने आप ही सस्ती हो ज...

मृत्युशैया पर आखिरी साँसें गिनता "सेकुलरिज्म" !!!

हाल ही में ५ राज्यों के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अभूतपूर्व प्रदर्शन से सभी चुनावी विश्लेषक और मीडिया में बैठे " वरिष्ठ पत्रकार " स्तब्ध   हैं . सभी तरह के पूर्वानुमानों को धता बताते हुए भाजपा ने ५ में से ४ राज्यों में   विजय तो प्राप्त की ही है , उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में प्रचंड बहुमत से ४०३ में से ३२५ सीटें जीतकर सभी को सकते में दाल दिया है . उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों से सबसे बड़ा धक्का उन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ( छद्म धर्मनिरपेक्ष ) ताकतों को लगा है , जो आज तक देश की जनता को जाति - पाति और धर्म - संप्रदाय के नाम पर बांटकर देखा करते थे . इन लोगों का चुनावी आकलन कभी भी " मुस्लिम - दलित " या फिर " अल्पसंख्यक - पिछड़ा वर्ग " के गठजोड़ के आगे   नहीं बढ़ सका . इस “ घोर साम्प्रदायिकता और जाति - पाति की राजनीति” को गैर - भाजपाई राजनीतिक दल , मीडिया में बैठे उनके चाटुकार और कुछ स्व - घोषित बुद्धिजीवी लोग " ध...