२०१९ में एक बार फिर होगी मोदी की धमाकेदार वापसी

२१ दिसंबर २०१७ को मेरा एक लेख इसी मंच पर प्रकाशित हुआ था. शीर्षक था-“मोदी जी, भ्रष्टाचारियों से नहीं निपटे तो आपकी सरकार निपट जाएगी”. २०१९ में लोकसभा के चुनाव होने हैं और भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करने के लिए समय अब बहुत कम बचा है- जो काम पिछले ४ सालों में नहीं हुआ, उसे अब सिर्फ आखिर के एक साल में करने की बड़ी चुनौती मोदी सरकार के सामने है. पंजाब नेशनल बैंक के नीरव  मोदी घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है. इस घोटाले के बारे में अगर विस्तार से और ठीक से लिखना हो तो एक २५० पन्नों की पूरी किताब लिखनी पड़ेगी. लेकिन ब्लॉग में यह सब लिखना न तो संभव है और न ही उसे कोई पाठक पढ़ना चाहेगा. हम इस घोटाले को बेहद सरल तरीके से समझने का प्रयास करते हैं. किसी भी बैंक में अगर आप कोई “होम लोन” भी लेने जाते हैं तो आपका वह मकान गिरवीं रख लिया जाता है और उसके बाजार मूल्य की लगभग ८० या ९० प्रतिशत रकम आपको “होम लोन” के रूप में दे दी जाती है. फ़र्ज़ कीजिये कि आपको एक २५ लाख रुपये की कीमत का मकान खरीदना है तो उसके लिए बैंक आपके मकान को गिरवीं रखकर उसके लिए सिर्फ २० लाख रुपये का लोन ही देगा और बाकी की रकम का इंतज़ाम आपको खुद करना होगा. इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकारी बैंकों से लोन लेना कितना मुश्किल काम है, यह वे सभी लोग भली भांति जानते होंगे जिन्हे कभी लोन की जरूरत पडी है और वे किसी बैंक के पास लोन लेने गए हैं.
साल २०११ में नीरव मोदी भी पंजाब नेशनल बैंक के पास गया और बोला कि मुझे विदेश से कुछ सामान आयात करना है और इसके लिए मुझे आपके बैंक से “लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग” चाहिए जिसके आधार पर मुझे विदेश में स्थित बैंक से सस्ते दर पर लोन मिल सकेगा और मैं उस लोन की रकम से उस आयात किये हुए सामान की रकम का भुगतान कर सकूंगा. यहां तक कोई दिक्कत नहीं थी. यह सब बैंकिंग कार्यप्रणाली का हिस्सा है. लेकिन यहां जो सबसे बड़ी “चूक” या “घोटाला” हुआ वह यह था कि पंजाब नेशनल बैंक ने इस “लोन” के बदले नीरव मोदी से कुछ भी गिरवीं रखने के लिए नहीं कहा और एक तरह से यह सुविधा बैंक ने बिना किसी “सिक्योरिटी” लिए ही उसे प्रदान कर दी. जिन लोगों ने यह सुविधा प्रदान की वे कोई छोटे मोठे बैंक अधिकारी नहीं रहे होंगे. उस समय इस बैंक के चेयरमैन कौन थे, वित्त मंत्री कौन थे और आर बी आई के गवर्नर कौन थे, यह बात सुनने में तो  राजनीति से प्रेरित लग सकती है लेकिन दरअसल देखा जाए तो सिर्फ इन्ही तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी ही इस घोटाले की सजा का दंड हो सकती है.
यहां हम सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिख लिखकर यह कह रहे हैं कि मोदी जी भ्रष्टाचारियों पर लगाम नहीं लगा रहे हैं और उधर मोदी जी चुपचाप इस तरह से इन भ्रष्टाचारियों की जड़ें हिलाने में लगे हुए हैं, जिससे न सिर्फ यह घोटाले खुद बा खुद निकलकर बाहर आएं, बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचकर भागने का मौका भी न मिले. नोटबंदी, जी एस टी , बेनामी कानून और आधार से सब कुछ लिंक करने का विरोध जो लोग कर रहे थे, अगले कुछ ही दिनों में वे सभी जेल जाने वाले है, इसमें अब कोई शक बाकी नहीं रह गया है. कांग्रेस पार्टी ने क्योंकि दुष्प्रचार के बल पर इस देश में एक लम्बे अरसे तक सत्ता का सुख भोगा है, इसलिए वह अपने हर घोटाले को किसी तरह से मोदी से ही जोड़ने की कोशिश करने लगती है. इस बार तो कांग्रेस ने हद कर दी जब उसने नीरव मोदी को पी एम मोदी से जोड़ने की कोशिश सिर्फ इस आधार पर  की क्योंकि दोनों में “मोदी” सरनेम लगा हुआ है. हाल ही में दावोस में एक ग्रुप फोटो में जहां पी एम मोदी मौजूद थे, उसी फोटो में नीरव मोदी की फोटो दिखाकर कांग्रेस यह साबित करने पर टूल गयी कि २०११ में हुए इस बैंकिंग घोटाले के लिए मोदी जी जिम्मेदार हैं.आज से १५-२० साल पहले तक इस तरह का दुष्प्रचार चल जाता था क्योंकि उस समय न तो इंटरनेट था और न ही सोशल मीडिया. लेकिन आज हालात बिलकुल विपरीत हैं, जिन्हे कांग्रेस पार्टी समझने के लिए तैयार नहीं है. आज अगर कोई पार्टी दुष्प्रचार करके झूठ बोलने का प्रयास करती है, तो सोशल मीडिया पर उसकी धज्जियां उड़ा दी जाती हैं और झूठ बोलने वाले की अच्छी खासी फजीहत होती है सो अलग. जिस तरह से रघुराम राजन का “छोटा राजन” से कोई सम्बन्ध नहीं है, ठीक उसी तरह से नरेंद्र मोदी का “नीरव मोदी” से कोई सम्बन्ध नहीं है. १२५ साल पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस अगर इस तरह को ओछी हरकत करती है तो यह और भी अधिक शर्मनाक है.
राजनीति  से हटकर दुबारा से हम बैंक घोटाले की तरफ वापस आते हैं. बैंक में एक बार जो लोन या इससे जुडी सुविधा मंजूर हो जाए, वह सालों साल चलती रहती है क्योंकि लोन की सुविधा का नवीनीकरण एक निश्चित अवधि के बाद   ही होता है.इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि लोन पास करने वाले और उस सुविधा का क्रियान्वन करने वाले लोग अलग होते है. लोन की मंजूरी बहुत बड़े लेवल के अधिकारी या अधिकारियों द्वारा की जाती है लेकिन एक बार वह सुविधा मंजूर हो गयी तो उसका क्रियान्वन तो बैंक में बैठे जूनियर अफसर और क्लर्क ही करते है. २०१७ तक यह अधिकारी जब तक अपनी सीट पर रहे, नीरव मोदी घोटाला चलता रहा और २०१७ में यह लोग जब रिटायर हो गए और जब इस सुविधा का नवीनीकरण जनवरी २०१८ में नए अफसरों के पास आया तो उन्होंने इस मामले की तह में जाने की कोशिश की. जब तह में गए तो मालूम पड़ा कि सिर्फ “दाल में कुछ काला नहीं है”, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है. इसके बाद जो कुछ भी हुआ , वह सभी पाठकों को अखबारों और टी वी चैनलों के जरिये मालूम पड़ ही रहा है.
२०१८ का साल इस लिहाज़ से काफी उथल पुथल वाला रहेगा क्योंकि मोदी जी इस बार २०१९ के चुनावों से ठीक पहले भ्रष्टाचारियों पर पूरी तैयारी के साथ हमला करने वाले हैं. इस घोटाले की लपटें कांग्रेस पार्टी से होती हुई आम आदमी पार्टी तक पहुँच रही हैं. घोटाले की रकम बढ़ सकती है और इसमें शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ सकती है लेकिन देश की जनता के सामने मोदी जी ने कांग्रेस को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया है. कांग्रेस पार्टी ने अपने अखबार नेशनल हेराल्ड पर एक ऑनलाइन पोल आयोजित करके लोगों से यह जानना चाहा कि इस घोटाले के लिए कौन जिम्मेदार है ? पोल लगभग २४ घंटे तक चलना होता है. लेकिन जब कुछ ही घंटों के बाद जब ९० प्रतिशत लोगों ने इस घोटाले के लिए कांग्रेस को ही दोषी ठहराया तो शर्मा शर्मी कांग्रेस पार्टी के इस अखबार ने उस पोल को ही हटा लिया. वेबसाइट से पोल हटाना आसान है लेकिन देश की जनता के दिलों से भी कांग्रेस अपने घोटालों वाली छवि को हटा पाएगी, यह कांग्रेस के लिए इस जन्म में तो संभव नहीं लगता है.
यह लेख लम्बा और बोरिंग हो गया है, इसलिए मैं इसका समापन कुछ रोचकता के साथ कर देता हूँ. कांग्रेस और दूसरी मोदी विरोधी पार्टियों के जबरदस्त विरोध और दुष्प्रचार के बाबजूद २०१९ के लोकसभा चुनावों में मोदी जी कम से कम ३०० सीटों के साथ वापसी करने वाले हैं. जिन्हे यह बात गलत लगती हो वे इस लेख को सेव कर के रख सकते हैं.

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