मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति
मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति
कठुआ में एक बालिका की कुछ रोहिंग्या आतंकवादियों ने हत्या कर दी और उसकी लाश को एक मंदिर में रख दिया. बालिका का नाम आसिफा था और वह मुस्लिम समुदाय से थी. इस वारदात को हमारा मीडिया और टी वी चैनल कुछ अलग ढंग से ही पेश कर रहे हैं. मीडिया की माने तो इस बालिका का रेप इस मंदिर में किसी हिन्दू ने किया था. इस सफ़ेद झूठ को टी वी चैनल और मीडिया २४ घंटे इसलिए दिखा रहे हैं ताकि वह कहावत सही साबित हो जाए कि अगर एक झूठ को भी सौ बार दोहराया जाए तो वह सच लगने लगता है. कर्नाटक में १२ मई को चुनाव होने हैं और उसीके मद्देनज़र इस तरह से झूठ को फैलाया जा रहा है जिस तरह से हर चुनाव से पहले "अवार्ड वापसी गैंग" कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की मदद करने के लिए झूठ के सहारे दुष्प्रचार करना शुरू कर देता है. इस बार इस झूठ और दुष्प्रचार में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया ने भी अपनी निर्णायक भूमिका अदा की है. रोहिंग्या आतंकवादियों द्वारा एक बालिका की निर्मम हत्या और उसकी लाश को एक मंदिर में रखकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की नापाक साज़िश में इस बार मीडिया भी शामिल हो गया है. आतंकवादियों के गुनाहों पर पर्दा डालकर हिन्दुओं को बदनाम करने की कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की बहुत पुरानी आदत रही है. जिस तरह से आसिफा के तथाकथित "रेप" की झूठी खबर मीडिया में और टी वी चैनलों में कांग्रेस पार्टी और इसके सहयोगी दलों के इशारे पर फैलाई जा रही हैं, उससे यही साबित होता है कि यहां पर मंशा एक तीर से दो शिकार करने की है. पहले तो इस झूठ के सहारे रोहिंग्या आतंकवादियों के काले कारनामों पर पर्दा पड़ गया. दूसरें उस बालिका की लाश को हिन्दू मंदिर में रखकर यह बताने की भी कोशिश की गयी कि किसी हिन्दू ने उस बालिका से साथ पहले तो मंदिर में रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी. फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी इस झूठ को सच बताते हुए कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की ताल में ताल ठोंकने लगे. इन लोगों कि नौटंकी कुछ इस हद तक बढ़ गयी मनो इस देश में कोई "रेप" पहली बार हुआ है. केरल और पश्चिम बंगाल में सैंकड़ों हिन्दू बालिकाओं के साथ जब रेप होता है, तब इन सभी फ़िल्मी नौटंकीबाजों, मीडिया वालों और कांग्रेस और उनके सहयोगियों के मुंह पर ताले लग जाते हैं. पहले तो यहां "रेप" जैसी कोई घटना नहीं हुयी, लेकिन अगर देश में कहीं भी "रेप" जैसी वारदात होती है तो उस पर राजनीति क्यों होनी चाहिए ? रोहिंग्या आतंकवादियों के अपराध पर पर्दा डालने के लिए और हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए "आसिफा का रेप" जैसी मनगढंत कहानी बनाने वाले कांग्रेसी, मीडिया वाले और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ , रेप की असली घटनाओं पर अक्सर चुप्पी क्यों साध लेते हैं ?
"रेप" एक जघन्य अपराध है और इसमें बिना किसी जाति-पाति या धर्म देखे बिना दोषियों को कठोर सजा देनी चाहिए. लेकिन मीडिया और फिल्म जगत के नौटंकी बाज़ इन घटनाओं में भी गंभीरता से चिंतन करने की बजाय उस पर भी कांग्रेसी पार्टी के हाथों बिकते नज़र आते हैं. उत्तर प्रदेश में उन्नाव के भाजपा विधायक सेंगर के तथाकथित "रेप" पर शोर शराबा करने वाले लोग भोपाल के कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे के अपराध पर चुप्पी साध लेते हैं जो "रेप" के एक मामले में एक महीने से फरार चल रहा है. मसलन कुल मिलाकर रेप की उन्ही घटनाओं का पर्दाफाश मीडिया और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ों द्वारा किया जाएगा जिसमे दोषी या तो कोई हिन्दू होगा या फिर उसका भाजपा से कोई ताल्लुक होगा. पिछले ७० सालों में मीडिया की इतनी किरकिरी पहले कभी नहीं हुई है जितनी इस बार "आसिफा के रेप" की काल्पनिक कहानी को खबर बनाकर परोसने वाले चैनलों ने खुद अपने आप कर ली है. इस "रेप" की झूठी वारदात के लिए कुछ कांग्रेसी नौटंकी बाज़ों ने कैंडल मार्च भी निकाला लेकिन कैंडल मार्च निकालने वाले नेता खुद यह भूल गए कि इस "फ़र्ज़ी रेप " जिसके लिए वे कैंडल मार्च निकाल रहे हैं, जब "रेप" की सैंकड़ों वारदातें असल में घटित हुई थीं और ज्यादातर रेप की वारदातें गैर भाजपा शासित राज्यों में घटित हुई थीं, तब इन लोगों ने कैंडल मार्च क्यों नहीं निकाला था ?
इस सारे घटनाक्रम से जो एक और बात साबित होती है वह यह कि चाहे कांग्रेस और उसके सहयोगी राजनीतिक दल हों या फिर उनके हाथों बिक चुके मीडिया और फ़िल्मी नौटंकीबाज़ हों, यह सभी कहीं न कहीं, रोहिंग्या आतंकवादियों को बचाने में लगे हुए हैं और सरकार को इस बात की गहन जांच करनी चाहिए कि आखिर यह सब मिलकर इन रोहिंग्या आतंकवादियों को किसके इशारे पर बचा रहे हैं ?
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