#नोटबंदी पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा !!!

नोट बंदी की घोषणा हुये तीन दिन हो चुके थे. सभी टी वी चैनल अपनी टी आर पी बढाने के चक्कर मे इस बात की होड़ मे लगे हुये थे कि देश मे जहाँ कही भी किसी की भी मौत किसी भी वजह से हुई हो, उसे किसी भी तरह से नोट बंदी से जोड़कर दिखलाया जाये. "खबरदार" टी वी चैनल अभी तक इस दौड़ मे शामिल नही हुआ था और लिहाज़ा इस टी वी चैनल की टी आर पी का बैंड बज़ा हुआ था. टी वी चैनल की संपादक मंडली के लोग गंभीर सोच विचार मे ही थे कि अचानक ही चैनल के चीफ एडिटर ने अपने प्राइम टाइम शो को पेश करने वाले एँकर-पत्रकार को  एक सुझाव दिया-"भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरु करने की नौटंकी करने वाले क्रेजीवाल आजकल जरूरत से ज्यादा बैचेन नज़र आ रहे हैं- उनकी अद्भुत चीख पुकार का हम अपने चैनल की टी आर पी बढाने के लिये उपयोग कर सकते हैं." संपादक जी के इशारे को समझते हुये पत्रकार महोदय ने क्रेजीवाल जी को फोन लगा दिया और उन्होने उछलते हुये "खबरदार" चैनल के प्राइम टाइम शो मे शामिल होने के लिये हामी भर दी. 

प्राइम  टाइम शो के कार्यक्रम का नाम भी धमाकेदार रखा गया -"नोट बंदी पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा !!!" प्राइम टाइम शो रात 9 बजे शुरु होना था. लेकिन क्रेजीवाल जी व्यस्त होने के बाबजूद पूरे आधा घंटा पहले ही स्टूडियो मे पधार चुके थे. उनकी बेचैनी और हैरानी परेशानी को देखकर प्राइम टाइम शो को एँकर करने वाले पत्रकार भी बेहद हैरान थे लेकिन उन्होने अपनी हैरानी वाले सवाल को भी प्राइम टाइम शो के लिये ही बचा कर रख लिया.

शो शुरु होते ही पत्रकार ने अपना पहला सवाल क्रेजीवाल जी के ऊपर दागा-" क्रेजीवाल जी, आप जरूरत से ज्यादा व्यस्त होने के बाबजूद भी, हमारे स्टूडियो मे पूरे आधा घंटा पहले पहुंच गये, इसके पीछे भी कोई खास राजनीतिक चाल है या कोई और वजह है ?"

क्रेजीवाल : नही इसके पीछे कोई खास वजह नही है- मैं दरअसल अपने घर से आपके स्टूडियो तक पैदल ही चलकर आया हूँ और इसलिये शाम को 6 बजे ही चल दिया था, इसी चक्कर मे आधा घंटा पहले ही पहुंच गया.

पत्रकार : क्रेजीवाल जी, आपकी गाड़ी क्या खराब हो गयी है, जिसके चलते आपको पैदल आने की जरूरत पड गयी ?

क्रेजीवाल : नही पत्रकार महोदय, अब नोट बंदी के बाद हमारे पास इतने पैसे ही कहाँ बचे हैं कि हम लोग कहीं कार से आ जा सकें.


पत्रकार (हैरान होते हुये) : क्रेजीवाल जी, आपके पास तो पुराने 500 और 1000 के नोटों का अपार भंडार हुआ करता था-उसे बैंक मे जमा करवाकर आप नये नोट निकलवा सकते थे या फिर ई-पेमेन्ट कर सकते थे.

क्रेजीवाल : पहले तो में आपकी जानकारी दुरुस्त कर दूं कि मेरे पास सिर्फ 500 के नोटों का भंडार था-1000 के नोटो का भंडार मेरे पास नही था. दूसरी बात यह है कि बैंको मे सिर्फ वही नोट जमा हो रहे हैं जिन्हे रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया है-मेरे पास जो नोट हैं उन्हे पाकिस्तान सरकार ने छापा है.

पत्रकार एकदम सन्न रह गया और अपनी सीट से उठकर खड़ा हो गया: इसका मतलब क्रेजीवाल जी, आप पाकिस्तान से भेजे गये नकली नोटों के सौदागर हैं ?

क्रेजीवाल (अपना मफलर कसकर लपेटते हुये) : हाँ जी, मैं सिर्फ 500 के नकली नोटों मे ही डील करता हूँ लेकिन इस नोट बंदी से मेरा सारा धंधा चौपट कर दिया है मोदी ने .

पत्रकार (बेहद हैरानी के साथ) : क्रेजीवाल जी, आप बार बार यह कह रहे हैं कि आप सिर्फ 500 रुपये के नकली नोटों के भारत मे अधिकृत सौदागर है तो फिर यह बताएं कि पाकिस्तान से जो 1000 के नकली नोट छपकर देश मे आते हैं, उनका भारत मे होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर कौन है ?

क्रेजीवाल : अपनी मनता दीदी.........मेरे कहने का मतलब मनता सनर्जी . 1000 के नकली नोटो की इस देश मे वे इकलौती अधिकृत सौदागर हैं.

पत्रकार : फिर तो क्रेजीवाल जी, सिर्फ आपका ही नही, मनता दीदी का भी नकली नोटों का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया ?

क्रेजीवाल : हाँ जी, अब आप बिल्कुल सही समझे हैं- हम दोनो का का ही नकली नोटों का धंधा मोदी ने पूरी तरह चौपट कर दिया है. काले धन के सौदागर तो बैंकों मे अपने पैसे को जमा करा रहे हैं और उसे टैक्स देकर सफेद कर रहे हैं लेकिन हमारे जैसे नकली नोटों के सौदागार आखिर कहाँ जाएं ?

पत्रकार : क्रेजीवाल जी, मैं आपकी परेशानी और चीख पुकार को अच्छी तरह समझ चुका हूँ और हमारे दर्शक भी यह जान गये हैं कि नोट बंदी की सबसे ज्यादा मार सिर्फ आप दोनो पर ही क्यों पड़ी है. हम इस चर्चा को कल भी जारी रखेंगे. आज प्राइम टाइम शो का वक्त अब खत्म होता है. स्टूडियो मे पधारने के लिये आपका धन्यवाद. कल इसी वक्त आपका इस स्टूडियो मे एक बार फिर से स्वागत किया जायेगा.

पत्रकार की बात सुनते ही क्रेजीवाल ने अपने चिर परिचित ढंग से खाँसना शुरु कर दिया.
इससे पहले कि क्रेजीवाल जी कुछ और बोल पाते, टी वी पर कामर्शियल ब्रेक शुरु हो गया.

(इस काल्पनिक व्यंग्य रचना मे वर्णित सभी पात्र, घटनाएं एवं संवाद पूरी तरह से काल्पनिक हैं और उनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति,संस्था या संगठन से कोई लेना देना नही है.)

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