नोटबंदी: सरकार पास, बैंक फेल !!!

नोट बंदी के ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले की जहाँ एक तरफ हर व्यक्ति, तकलीफ़ें उठाने के बाबजूद भी तारीफ कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमारे भ्रष्ट बैंक अधिकारियों और निकम्मे बैंक कर्मचारियों की वजह से देश की जनता को ऐसी तकलीफों का भी सामना करना पड रहा है, जिनसे बचा जा सकता था. दरअसल पिछले 70 सालों मे बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरदस्त कामचोरी की आदत पड चुकी है और ऐसा लग रहा है मानो उन्हे पहली बार काम करना पड रहा है. बैंक की शाखाओं मे किस तरह से आधे-अधूरे मन से काम होता आया है, वह इस देश की जनता से छिपा हुआ नही है. ग्रामीण इलाकों की बैंक शाखाओं मे तो यह हालत और भी अधिक खराब है.

नोट बंदी से एक तो आम आदमी पहले से ही परेशान है क्योंकि जिन लोगों ने पुराने नोट बैंक मे जमा कराये हैं, उन्हे नये नोट बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते नही मिल रहे हैं. अभी हाल ही मे चेन्नई मे आयकर के छापे मे 70 करोड़ रुपये के नये नोट पकड़े गये हैं- ऐसे और भी मामले सामने आ रहे हैं. यह रुपया बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना तो बैंको से बाहर नही गया होगा. कायदे मे यह सभी रुपया अगर भ्रष्ट बैंक अधिकारियों ने इस तरह से अपने चहेतों को नही दिया होता तो यह सारा का सारा रुपया बैंको के पास जनता को बांटने के लिये उपलब्ध रहता और बैंको मे उतनी लम्बी लाइने नही लगतीं, जितनी कि आज लग रही हैं. अब तो बैंकों ने रुपये बदलने का काम भी बंद कर दिया है और बैंकों के आगे लगी हुई लाइने उनके अपने खाताधारकों की ही हैं-अगर बैंक वाले इन लोगों को भी नये नोट उपलब्ध नही करवा पा रहे हैं तो उसका कारण यह नही है कि नये नोट पीछे से नही आ रहे हैं, उसका मुख्य कारण यही है कि बैंकों के पास जो रुपये खाताधारकों को बांटने के लिये आ रहे हैं, उनका जबरदस्त ढंग से दुरुपयोग किया जा रहा है.

अभी हाल ही मे बैंकों की एक नयी मूर्खता सामने आई है जिसके चलते आम जनता को काफी परेशानी से दो चार होना पड रहा है. बैंकों मे आजकल "कोर बॅंकिंग सिस्टम" यानी CBS  है, जिसमे आपका खाता किसी भी बैंक शाखा मे हो, आप उसी बैंक की देश मे स्थित किसी भी दूसरी शाखा मे रुपये जमा भी कर सकते है और निकाल भी सकते हैं. लेकिन ज्यादातर बैंको ने अभूतपूर्व बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुये, यह कहना शुरु कर दिया है कि वे सिर्फ उन्ही लोगों का पैसा जमा करेंगे या उन्ही को पैसा निकालने देंगे, जिनका उनकी शाखा मे खाता होगा. इसका मतलब हुआ कि अगर किसी का बैंक खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की फ़रीदाबाद ब्रांच मे है और इस समय अगर वह गाज़ियाबाद मे रह रहा है या काम कर रहा है, तो उसे अपने रुपये जमा करवाने या रुपये निकालने के लिये गाज़ियाबाद मे अपना काम धंधा छोड़कर फ़रीदाबाद जाना पड़ेगा और फ़रीदाबाद जाने के बाद भी अगर वहाँ पर उस ब्रांच ने उसे पैसा नही दिया तो उसे अपना सा मुंह लेकर वापस आना पड़ेगा क्योंकि इस बात की भी पूरी संभावना है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की फ़रीदाबाद ब्रांच के अधिकारी भी नये नोटो को इधर उधर कर दें और जनता के लिये "नो कैश" का बोर्ड बैंक के बाहर लगाकर अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा पा जाएं.

सरकार और वित्त मंत्रालय ने हालांकि कुछ भ्रष्ट बैक अधिकारियों पर कार्यवाही की है लेकिन वह हालात को देखते हुये नाकाफी लगती है. सभी भ्रष्ट बैंक अधिकारियों और निकम्मे बैंक कर्मचारियों को यह सख्त हिदायत देने की जरूरत है कि जो नये नोट जनता मे बांटने के लिये भेजे जा रहे हैं, उनका दुरुपयोग किसी भी हालत मे ना हो. जो बैंक अधिकारी और कर्मचारी सरकार की पकड मे आ भी रहे हैं, उन्हे सिर्फ सस्पेंड करने की औपचारिकता निभाई जा रही है-जिससे इन लोगों का गलत काम करने का हौसला और भी बढ रहा है. जरूरत इस बात की है कि जो बैंक कर्मचारी या अधिकारी इस तरह के अपराध मे लिप्त पाये जाएं, उन्हे तुरंत नौकरी से बर्खास्त करके हवाला कानून के अंतर्गत जेल की हवा खिलाई जाये. बैंकों को यह हिदायत भी तुरंत दी जानी चाहिये कि वे किसी भी खाताधारक को सिर्फ इसलिये रुपये जमा करने या निकालने के लिये मना नही करें, क्योंकि उसका खाता उस ब्रांच मे ना होकर किसी दूसरी ब्रांच मे है. रिजर्व बैंक की तरफ से ऐसा कोई नियम नही है-बैंक वाले यह किसके कहने पर कर रहे हैं, इसकी गहन जांच होनी चाहिये,.

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