थूककर चाटने वाले को केजरीवाल कहते हैं
केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब के एक विरोधी राजनीतिक नेता मजीठिया से मानहानि मामले में कोर्ट के सामने जाकर अपना लिखित माफीनामा दाखिल किया है. पंजाब चुनावों के समय केजरीवाल ने अपनी गन्दी आदत के मुताबिक बेबुनियाद और गंभीर आरोप मजीठिया पर लगाए थे, जिन्हे वह अदालत में साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहे. केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का यह कोई पहला मामला नहीं है और न ही आखिरी मामला है. जब से केजरीवाल राजनीति में आये हैं, पहले ही दिन से उनकी यह आदत रही है कि विपक्षी पार्टी के नेताओ पर गंभीर आरोप लगाकर किसी भी तरह चुनाव जीत जाओ और बाद में जब वह व्यक्ति केजरीवाल के ऊपर मानहानि का दवा ठोंक दे तो उन आरोपों को साबित करने की बजाये लिखित में माफी मांग लो.
इसी तरह का एक बड़ा मानहानि का मामला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी केजरीवाल के ऊपर कर रखा है और इस मामले में भी केजरीवाल अभी तक कुछ भी आरोप साबित नहीं कर पाए हैं. इस बात की पूरी सम्भावना है कि अरुण जेटली समेत बाकी से सभी मानहानि के मामलों में भी केजरीवाल लिखित माफीनामा ही दाखिल करेंगे.
जहां तक मुझे ध्यान है केजरीवाल के खिलाफ सबसे अधिक और सबसे पहले ब्लॉग पर मैंने लिखना शुरू किया था क्योंकि जिस तरह की घटिया राजनीति केजरीवाल ने शुरू की थी, उसे ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पा रहे थे. उस समय बड़े बड़े और तथाकथित वरिष्ठ लेखक पत्रकार -” हारकर जीतने वाले को केजरीवाल कहते हैं.” जैसे चाटुकारिता भरे लेख लिख रहे थे. लेकिन उस समय भी मैं लगातार केजरीवाल की काली करतूतों का लगातार पर्दाफाश कर रहा था.
केजरीवाल ने जब अपनी गन्दी राजनीति शुरू की थी, उस समय केंद्र में और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. केजरीवाल ने जिस कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को पानी पी पी कर गालियां देकर अपनी राजनीति चमकाई थी, आज हालत यह है कि केजरीवाल खुद उसी कांग्रेस पार्टी और उसकी नीतियों के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं. मजे की बात यह है कि केजरीवाल जिस तरह से कांग्रेस की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढाने की एकतरफा चेष्टा कर रहे हैं, उस पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई भी जबाब नहीं आ रहा है. अभी जब कांग्रेस की बड़ी नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सभी विपक्षी पार्टियों को इकठ्ठा करने की गरज़ से एक डिनर मीटिंग रखी, उस मीटिंग में भी केजरीवाल को न बुलाया जाना इस बात को साबित करता है कि केजरीवाल का राजनीतिक असितत्व पूरी तरह समाप्त हो चला है.
मानहानि के मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल के कभी सहयोगी रहे कुमार विश्वास ने भी यही प्रतिक्रिया दी है कि जिस व्यक्ति को खुद थूककर चाटने की आदत हो उस पर थूकना भी बेकार है. एक दूसरे पूर्व सहयोगी, योगेंद्र यादव ने तो माफीनामे की खबर आने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर यह खबर सही है तो केजरीवाल को तुरंत ही राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए. सत्ता लोलुप केजरीवाल पर इस तरह की नेक सलाहों का कोई असर पड़ेगा, इस पर सभी को संदेह है.
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