मोदी ने कैसे किया वामपंथ का अंत !

पूर्वोत्तर राज्यों में नरेंद्र मोदी का जादू कुछ इस तरह से सर चढ़कर बोला कि वामपंथ और वामपंथी विचारधारा का एक ही झटके में अंत हो गया. इस देश में आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के लिए वामपंथी ताकतों और उनकी विचारधारा को पनपने का भरपूर मौका दिया. वामपंथ की अपनी कोई विचारधारा नहीं है. इन लोगों की विचारधारा यही रही है कि “जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो”. दूसरे शब्दों में वामपंथ, माओवाद या फिर नक्सलवाद , यह सभी विचारधाराएं देशद्रोह पर आधारित हैं. जाहिर है कि जो भी व्यक्ति या संगठन इस विचारधारा का पक्षधर है, वह अव्वल दर्ज़े का  देशद्रोही  है.

कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए इन लोगों को देश का इतिहास लिखने पर लगा दिया और यह लोग अपनी मन मर्ज़ी से मन गढंत इतिहास लिख लिखकर देश के लोगों को गलत मलत इतिहास पढ़ने पर मजबूर करते रहे. इन लोगों का लिखा हुआ इतिहास कितना हास्यास्पद है, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन लोगों की माने तो “राहुल गाँधी एक करिश्माई नेता” हैं और “शहीद भगत सिंह एक आतंकवादी” हैं. इन लोगों को पिछले ६०-७० सालों में तरह तरह के अवार्ड भी दे दिए गए, ताकि समय-समय पर यह लोग अपने इन फ़ोकट के मिले पुरस्कारों को वापस करके देशभक्त ताकतों के खिलाफ अपना विरोध जता सकें. बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. इन लोगों की मौज मस्ती के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे तथाकथित शिक्षा संस्थान भी बना दिए गए, जहां पर यह लोग देशवासियों के खून पसीने की  कमाई पर अधेड़ अवस्था तक स्टूडेंट बने रहकर मौज कर सकें.

वैसे तो वामपंथी अपने आप को आस्तिक बताकर मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं लेकिन एक देशद्रोही लेनिन की मूर्ति इन्होने त्रिपुरा में लगा रखी थी, जिसे वहां की जनता ने बुलडोज़र चलाकर अब तोडा है जब वहां इनकी सरकार का अंत हुआ है. जब तक इन देशद्रोहियों की सत्ता पूर्वोत्तर में कायम रही, इन लोगों का भय और आतंक इतना ज्यादा था कि जनता इस देशद्रोही लेनिन की पत्थर की मूर्ति का भी बाल-बांका नहीं कर सकी. इसके विपरीत पिछले ७० सालों में वामपंथियों ने  संघ और भाजपा का समर्थन करने वाले लाखों देशभक्तों को मौत के घाट उतारकर अपनी हैवानियत का सुबूत दिया है. पूर्वोत्तर के अलावा केरल और  पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी इन लोगों ने अपना आतंक और भय काफी भयानक तरीके से फैला रखा है. क्योंकि यह  सारा खून खराबा  केंद्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के इशारे पर किया जा रहा था, इन वामपंथियों को अपने कारनामे अंजाम देने में कभी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा.

मोदी के सत्ता में आते ही इन लोगों को यह लगने लगा कि अब यह लोग अपनी इन आपराधिक वारदातों को मनमाने ढंग से अंजाम नहीं दे पाएंगे, इसी के चलते इन लोगों ने मोदी के हर बढ़िया से बढ़िया काम का बेबकूफ़ाना तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया. कांग्रेस पार्टी का तो समर्थन सदा से ही इन लोगों के साथ ही था क्योंकि वामपंथी इतिहासकारों ने आज़ादी की असली लड़ाई लड़ने वालों को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ “नेहरू और गाँधी” का महिमा मंडन जिस तरह से अपने मन गढंत इतिहास में किया था, उसका क़र्ज़ तो कांग्रेस को चुकाना ही था.

यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था जिसने पहले विश्व युद्ध में  रूसी सैनिकों से कहा था कि  अपने देश की जगह जर्मनी की मदद करो. देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के विरूद्ध ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का फलसफा पढ़ा.

आज से ३०-४० साल पहले तक जब देश में लोग कम पढ़े लिखे थे और सोशल मीडिया का भी इतना प्रभाव नहीं था, तब तक कांग्रेसियों और वामपंथियों के कारनामे लोगों तक नहीं पहुँच रहे थे. लेकिन अब समय बदल चुका है और लोग यह समझ चुके हैं कि किस तरह से इन लोगों ने मिलकर भ्रष्टाचार और देशद्रोह पिछले ७० सालों में किया है.  इसीलिए जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ” भारत तेरे टुकड़े  होंगे” के देशद्रोही नारे वामपंथियों द्वारा लगाए गए तो उसका समर्थन करने न सिर्फ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी वहां पहुँच गए. केजरीवाल के वारे में मीडिया में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चूका है और उनके कारनामों को देखकर तो कभी कभी खुद कांग्रेसी   और वामपंथी भी शर्मा जाते होंगे. वामपंथी कन्हैया की  दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत दिलवाने में केजरीवाल ने कैसे मदद की थी, उसके ऊपर मेरा एक पूरा लेख इसी मंच पर प्रकाशित हो चुका है.

संक्षेप में लिखा जाए तो कांग्रेसी, वामपंथी और केजरीवाल कमोबेश एक ही विचारधारा का समर्थन करते हैं और वह है कि “जहां मौका मिले-जिस थाली में खा रहे हो, उसी में छेद करना शुरू कर दो”. जो व्यक्ति या संगठन इनकी इस देश विरोधी विचारधारा का विरोध करता है, उसे यह बेहद मूर्खतापूर्ण ढंग से “सांप्रदायिक” कहते हैं.

देश  के मौजूदा कानून इन लोगों से निपटने के लिए पूरी तरह नाकाफी हैं. कानून बनाने का काम कांग्रेस पार्टी के हाथ में था, सो वह ऐसे कानून भला क्यों बनाती  जिनके चलते उन्हें या वामपंथियों को किसी परेशानी का सामना करना पड़े. अब जब मोदी जी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा है, तो इनके पैरों के नीचे की जमीन भी खिसक रही है. इन्हे यह भी लग रहा है कि राज्य सभा में भाजपा का जैसे ही बहुमत हुआ नहीं, इनकी शामत आने वाली है क्योंकि उसके बाद उस तरह के कानून बनाये जाने तय हैं, जिनके तहत इस तरह की विघटन कारी ताकतों को समय रहते दण्डित किया जा सके.

वामपंथियों और कांग्रेसियों को धूल चटाकर जो बहुमत जनता मोदी को दे रही है, वह इसी उम्मीद के साथ दिया जा रहा है. केरल और पश्चिम बंगाल की मौजूदा सरकारें तो बेहद घटिया तरीके से खून खराबे में लगी हुई हैं, उन्हें भी अपनी सत्ता आने वाले समय में खिसकती दिख रही है, लेकिन यह लोग चाहे भी तो अपने कामकाज के तौर तरीकों में सुधार नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी  लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इन लोगों को कोई विश्वास  ही नहीं है.

यह लोग इस गलतफहमी में हैं  कि सिर्फ संघ, भाजपा और मोदी के खिलाफ जबरदस्त दुष्प्रचार करके ही मोदी को हराया जा सकता है लेकिन  जिस तरीके से यह लोग काम करते आये हैं और कर रहे हैं, उसके चलते तो यह लोग कुछ भी कर लें, अगले किसी भी चुनाव में जीतने वाले नहीं हैं. देशद्रोह और भ्रष्टाचार यह छोड़ नहीं सकते और जनता देशद्रोह और भ्रष्टाचार के लिए अब बिलकुल तैयार नहीं है.

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