मोदी विरोधियों का मानसिक संतुलन क्यों बिगड़ रहा है ?

लोकसभा चुनावों मे जिस तरह से मोदी विरोधियों के मुंह पर देश की जनता ने उनके दुष्कर्मों के लिये कड़े दंड के रूप मे करारा तमाचा रसीद किया है, उसके चलते इन सभी लोगों का मानसिक संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा गया है और यह लोग बिना किसी वजह के ही अपनी छाती पीटे जा रहे है ! भाजपा को देश की जनता ने जिस तरह से पूर्ण बहुमत दिया है, उससे एक बात तो साफ हो जाती है कि जिन देश विरोधी और जन विरोधी ताकतों ने पिछले काफी समय से मोदी और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था, उनकी "सेकुलरिज्म" की दुकाने रातों रात बंद हो गयी है और उनके राजनीतिक भविष्य पर ही खतरा मँडराने लगा है ! बिहार मे तो इतनी ज्यादा हास्यास्पद स्थिति पैदा हो गयी है कि नीतीश कुमार जो अपने आप को पी एम पद का सबसे प्रबल दावेदार समझे बैठे हुये थे, उन्हे मुख्यमंत्री की कुर्सी से भी हाथ धोना पड गया-सिर्फ इतना ही नही, जेल मे चक्की पीस रहे लल्लू को तो कांग्रेस ने अपनी मदद के लिये जेल से बाहर निकाला था, लेकिन लल्लू का मानसिक संतुलन ऐसे बिगड़ा कि कांग्रेस की वजाये वह, नीतीश की पार्टी का समर्थन करने पर मजबूर है !


जिस तरह का जंगल राज बिहार मे नीतीश और लल्लू ने मिलकर कायम किया हुआ है, उससे भी बढिया दर्ज़े के जंगल और गुंडा राज की स्थापना उत्तर प्रदेश मे मायावती और मुलायम ने पहले से ही कर रखी है क्योंकि इन दोनो मे इस बात की जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चलती रहती है कि कौन कितना अधिक जंगल राज और गुंडा राज अपने प्रदेश मे स्थापित कर सकता है-अब मुलायम सिंह के पसीने इस बात से ही छूट रहे हैं कि वे लोकसभा मे अपने गिनती के चार एम पी के साथ किस मुंह से मोदी का सामना करेंगे-कल तक तो मुलायम पी एम बनने के सपने देख रहे थे ताकि पूरे देश मे जंगल राज की स्थापना की जा सके ! सिर्फ नीतीश-लल्लू और माया-ममता तक ही बात सीमित नही है, मोदी और भाजपा के खिलाफ और भी जितनी देश विरोधी ताकते काम कर रही हैं, वे अपनी  और अपने आकाओं की शर्मनाक हार के लिये नित नये बहाने लेकर जनता के दरबार मे हाज़िर हो रही हैं ! कोई कह रहा है कि भाजपा को पूर्ण बहुमत सिर्फ 31 प्रतिशत वोटों से मिला है तो कोई यह दलील दे रहा है कि भाजपा ने "विकास" के मुद्दे पर नही "हिन्दुत्व" के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था-इसलिये उस जीत का कोई महत्व नही है !कोई कोई पाखंडी तो ऐसे हास्यास्पद बयान भी दे रहा है की कि भाजपा की जीत EVM मशीनो मे गड़बड़ी के चलते हुई है ! इन सभी लोगों को तुरंत ही "मानसिक अस्पतालों" मे भरती कराने की अब पहले से भी ज्यादा सख्त जरूरत है !यह लोग अगर इतना दंड पाने पर भी नही सुधरे तो इनका अगले चुनावों मे वही हश्र होगा जो मायावती  और करुणानिधि की पार्टी का हुआ है और इन्हे फिर ज़ीरो पर आउट होने से कोई नही रोक पायेगा !

मुलायम की तरह केजरीवाल पार्टी के भी चार आदमी संसद मे पहुंचकर अपनी "चिर परिचित" धरने की राजनीति करने के लिये काफी उत्सुक लग रहे है क्योंकि मुलायम और नीतीश की तरह इनकी पार्टी के मुखिया भी रातों रात देश का पी एम बनकर पूरे देश मे उसी अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते थे, जो इन्होने अपने 49 दिनो के कुशासन मे दिल्ली मे फैलाया था! फिलहाल तो इस तथाकथित पार्टी के स्वघोषित मुखिया अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के लिये  और जनता की सहानुभूति बटोरने के लिये खुद ब खुद जेल मे घुस गये है और अपने आप को "अमर क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह" दिखाने की असफल नौटंकी करने मे व्यस्त हैं !

कांग्रेस पार्टी, जो अक्सर ऐसे नाज़ुक हालातों मे हर बार जोड़ तोड करके मिली जुली सरकार बनाने और मिल- बांटकर खाने के लिये जानी जाती है, उसकी अपनी दुर्दशा कुछ इस तरह हुई है कि वह इस बात पर "चिंतन" करने मे लगी हुई है कि उसकी अपनी दुर्दशा ज्यादा भयंकर हुई है या उसकी सहयोगी पार्टियों की ! हालांकि,कांग्रेस पार्टी इस बात को लेकर काफी उत्साहित और प्रफुल्लित लग रही है कि जहां उसके सहयोगियो को सिर्फ 4-4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है, उसके खाते मे एक-दो नही पूरी 44 सीटें एक साथ आई है-देश की इतनी दुर्दशा करने के बाद और "सेकुलरिज्म के पाखंड" का खुल्लमखुल्ला प्रदर्शन करने के बाद अगर किसी पार्टी की इतनी सीटें भी आ जाएं, तो उसे एक तरह की महान उपलब्धि ही कहा जाना चाहिये !


Published on 26/5/2014

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