मोदी विरोधियों के "अच्छे दिन" आखिर कब आयेंगे ?
मोदी सरकार को बने हुये लगभग एक महीना पूरा हो चुका है- हालांकि मोदी विरोधियों की बौखलाहट तो काफी पहले यानि कि16 मई 2014 वाले दिन ही अपने चरमोत्कर्ष पर आ गयी थी ! अपनी इस चिर परिचित बौखलाहट मे ये लोग इस बात की तमीज़ करना भी भूल चुके हैं कि पिछले लगभग 60 सालों मे इन मोदी विरोधियों के आकाओं ने देश मे कुशासन,भ्रष्टाचार और निकम्मेपन को फैलाकर देश की अर्थव्यवस्था की जो दुर्गति की है-उसे किसी जादू की छडी घुमाकर 60 दिनो या 60 हफ्तों मे दुरुस्त नही किया जा सकता !लेकिन अगर इतनी ही तमीज़ इन लोगों को होती तो देश की जनता ने इन नरपिशाचों की इतनी निर्ममता से पिटाई थोड़े ही की होती ! बेशर्मी का आलम यह है कि इस पिटाई का इन लोगों पर ज्यादा समय तक असर नही रहा और इन्होने सरकार बनने के कुछ ही दिनो के अंदर अपनी वही चिर परिचित बेसुरी बीन बजानी शुरु कर दी जो यह लोग पिछले 12 सालों से बज़ाते चले आ रहे थे और जिसके लिये इन्हे जनता समुचित रूप से दंडित भी कर चुकी है !
जिन लोगों ने जिंदगी मे खुद कभी कुछ ढंग का काम नही किया और जिन लोगों की जुबान पर पिछले उन 60 सालों मे ताले पड़े रहे जब उनके आका इस देश मे एक के बाद एक दुष्कर्म करके लोगों के "बुरे दिन" लाने पर आमादा थे, अब इन्ही पाखंडियों को भाजपा सरकार बनने के कुछ दिनो मे नही कुछ घंटों के अंदर ही "अच्छे दिनो" की उम्मीद है और उसी को लेकर सभी लोग अपना अपना राग और अपनी अपनी अपनी बीन बहुत ही बेहूदे ढंग से बजाने मे लगे हुये हैं !
मोदी और भाजपा सरकार को अच्छे दिनों का ताना देने मे लगे यह लोग 60 सालों मे खुद तो कुछ कर नही सके और अपने आकाओं के साथ मिलकर "सेकुलरिज्म के पाखंड" और देश को लुटवाने मे लगे रहे और जब देश की लूट बंद होने लगी है और इन लोगों को लूट की मलाई मे हिस्सा मिलना बंद हो गया है तो इन्हे "अच्छे दिनो" की रह रहकर याद आ रही है !
दरअसल "अच्छे दिनो" का ताना देने वाले ये पाखंडी मोदी और भाजपा को इस बात की चुनौती देने के चक्कर मे हैं कि भैया हमने पिछले 60 सालों मे इस देश का ऐसे बैंड बजाया है और इतनी बेरहमी के साथ लूटा है कि अब जल्दी तो अच्छे दिन आने से रहे और जब तक ऐसे हालात बने रहेंगे, हम अपने विरोध की नौटंकी जारी रखते हुये सड़कों पर लोट लोटकर जनता को फिर से भ्रमित करने की कोशिश करते रहेंगे !
असल मे इन लोगों की तकलीफ को बहुत आसानी से समझा जा सकता है ! हुआ यह है कि जबसे मोदी की सरकार आई है इन लोगों के यकायक ही "बुरे दिन" आ गये है-क्योंकि इन लोगों को एक तो लूट के माल मे से अपने हिस्से की मलाई मिलनी बंद हो गयी है और दूसरे इन लोगों को अपने 60 सालों मे किये गये दुष्कर्मों का कड़ा दंड भी मिलना शुरु हो गया है- कुछ लोगों को तो अदालत ने हाल ही मे सम्मन भेजा है और उन्हे भी इस बात का डर सताने लगा है कि पता नही कब जेल मे चक्की पीसनी पड जाये !
मतलब यह है कि पिछले 60 सालों के कुशासन मे जिन लोगों के "अच्छे दिन " चल रहे थे, उनके लिये अब "बुरे दिन" आ गये है और इनके लिये "अच्छे दिन" उनके इस जीवन काल मे आ पायेंगे, इस पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है ! इन लोगों के पास अपने 60 सालों मे किये गये भयंकर दुष्कर्मों के लिये अपने मुंह पर खुद ही तमाचे जड़ने और अपना सिर् इधर उधर पटकने के सिवाय दूसरा विकल्प फिलहाल नही बचा है !
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rajeevg@hotmail.com
Published on 28/6/2014
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