केजरीवाल :"महानायक" से "खलनायक" बनने तक का सफर !

आम तौर पर किसी भी नेता को महानायक से खलनायक बनने की जरूरत इसलिये नही पड़ती है कि उनमे से ज्यादातर तो महानायक कहलाने के काबिल ही नही होते हैं और जो लोग होते हैं, उनमे से कुछ का सफर नायक पर और कुछ का खलनायक पर खत्म तो होता है,लेकिन उसमे खासा वक्त लगता है ! अपनी हड़बड़ी के लिये मशहूर केजरीवाल जी यहाँ इसका अपवाद ही कहे जायेंगे-इनका सफर अन्ना आन्दोलन के समय एक ठीक ठाक "महानायक" की तरह ही हुआ था और इनकी सादगी,विनम्रता, साफगोई और जनसाधारण से जुड़ने की इनकी जो प्रबल इच्छा शक्ति थी, उसीके चलते लोगों ने इन्हे सिर् आँखों पर बिठाया जिसका परिणाम हमने रामलीला मैदान, जन्‍तर मन्‍तर और इंडिया गेट पर इकट्ठा हुये अपार जनसमूह के रूप मे भी देखा !

केजरीवाल चाहते तो महानायक बने रह सकते थे ! लेकिन महानायक भी गलतियाँ करते हैं- जब ऐसा लग रहा था कि लोहा लगभग पूरी तरह गर्म होने वाला है और सरकार जैसे तैसे करके अन्ना के मन मुताबिक जनलोकपाल बिल लाने ही वाली थी, उसी समय इन लोगों के सब्र का पैमाना टूट गया और इन्होने अपनी राजनीतिक पार्टी बना डाली ! पार्टी बनने का मतलब था कि यह सीधे महानायक की पदवी से लुढ़ककर नायक बन गये- नायक भी बने रह सकते थे और ऐसा नही है कि आदमी नायक बनकर कुछ अच्छा काम नही कर सकता ! आखिर सब लोगों मे तो इतना सब्र नही होता कि वे महानायक की भूमिका निभायें लेकिन यह उम्मीद तो जनता कर ही सकती है कि आदमी जनहित मे नायक की भूमिका तो निभाये !

पुरानी कहावत है की सत्ता आदमी को भ्रष्ट कर देती है और सम्पूर्ण सत्ता आदमी को पूरी तरह से भ्रष्ट करती है ! दुर्भाग्य से यही केजरीवाल के साथ यही हुआ और लोगों ने उन्हे अपने सर आँखों पर बिठाकर अपना विश्वाश उनके हाथों मे सौंपा था,मौका लगते ही उन्होने उसका दुरुपयोग किया और सत्ता के लालच मे उन्होने दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात करते हुये, भ्रष्टाचार के मुद्दों को पीछे छोड़ते हुये,दिल्ली की जनता को उसके हाल पर छोड़कर लोकसभा चुनावों मे कूदने की षड्यंत्रकारी योजना बना डाली जिसकी स्क्रिप्ट उन्होने बहुत पहले से तैयार कर रखी थी-उनके "मीडिया सैटिंग" का यू ट्यूब पर जो वीडियो लीक हुआ है,वह भी इसी बात की पुष्टि करता है! देखा जाये तो 14 फरवरी 2014 को ही केजरीवाल जी और ज्यादा पतन हुआ और वे नायक से लुढ़ककर सीधे खलनायक बन गये-इसके बाद जो हुआ उसके बारे मे पहले ही बहुत विस्तार से लिखा जा चुका है और आगे भी लिखा जाता रहेगा ! तरह तरह की नरपिशाची और देशद्रोही ताकतें एक एक करके केजरीवाल जी से जुड़ती गयी और फिर अकेले केजरीवाल ही खलनायक नही रह गये, वरन इनकी पूरी पार्टी को ही खलनायक पार्टी मे तब्दील कर दिया !

दिलचस्प बात यह है कि अभी तक लोग हरेक राजनीतिक दल मे कोई ना कोई बुराई देख रहे थे और उससे दूर जाने का विकल्प तलाश रहे थे-अब हो यह गया कि सभी पार्टियों की सभी बुराइयां अब एक ही पार्टी मे समाहित हो गयी है-दुर्भाग्य यह है कि इसके वावजूद यह पार्टी अपने आपको सबसे ज्यादा ईमानदार बता रही है- इस छलावे मे लोग कब तक आते हैं, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन तब तक केजरीवाल जी की महानायक से खलनायक बनने की यात्रा भी पूरी हो चुकी होगी !
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rajeevg@hotmail.com
Published on 18/3/2014

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