हम "रामजादे" नही, "आरामजादे" हैं !

भाजपा की दलित नेता साध्वी निरंजन ज्योति ने हाल ही हम लोगों के बारे मे कुछ विवादास्पद बयानबाज़ी कर दी और उस बात को लेकर हम लोग जरूरत से ज्यादा गंभीर हो गये है- दरअसल इतने गंभीर हम पिछले 60 सालों के कुशासन मे तब भी नही हुये जब चीन और पाकिस्तान ने हम पर युद्ध कर दिया क्योंकि उस युद्ध से हम लोगों के अपने वजूद पर कोई खतरा नही मंडराया था लेकिन हम लोग यह हर्गिज़ बर्दाश्त नही कर सकते कि कोई महिला जो कि दलित वर्ग से आती हो और ऊपर से साध्वी भी हो, वह हमारे बारे मे कोई टिप्पणी गलती से भी कर दे और हमारे राजनीतिक वजूद को ही चुनौती दे दे !

पहले तो साधु संत और योग गुरु हम लोगों को वैसे ही पसंद नही हैं और हम मौका देखकर उनकी ठुकाई करते रहते हैं-योग गुरु रामदेव पर भी हम लोगों ने अपनी पूरी कोशिश करके रामलीला मैदान मे जानलेवा हमला करवाया था-उनका बाल भी बांका नही हुआ,इसका हमे आज तक गहरा अफसोस है ! साध्वी निरंजन ज्योति को भी हम सही समय पर मज़ा चखाना चाहते है-साध्वी की हिमाकत तो देखो-एक तो महिला और ऊपर से दलित वर्ग से आई हुई महिला हम "आरामज़ादों" को चुनौती देकर हमारे आराम मे खलल डालने की नाकाम कोशिश कर रही है-यह हम बिल्कुल मंजूर नही करेंगे ! बेशक साध्वी दो बार नही दो लाख बार माफी मांग ले, साध्वी के बहाने मोदी सरकार को घेरने का यह सुनहरा मौका हम भला कहाँ छोड़ने वाले हैं ! हमारे पसंदीदा संत तो आसाराम और रामपाल जैसे महापुरुष है जिनका मिज़ाज़ हमारे मिज़ाज़ से पूरी तरह मेल खाता है और जिनकी चरण वन्दना करने का हम कोई भी मौका गलती से भी नही छोड़ते !

मीडिया मे तरह तरह की खबरे आ रही हैं की हम लोग साध्वी द्वारा अपने खिलाफ दिये गये बयान को लेकर चिंतित और गुस्से मे हैं-ऐसा कुछ नही है-इससे दस गुना भद्दे, आपत्तिजनक और विवादास्पद बयान तो हम लोग अपने 67 सालों के राजनीतिक जीवन मे हज़ारों बार दे चुके हैं ! हमारी परेशानी कुछ और है-पहली तो यह कि जब से मोदी जी की सरकार बनी है, हमारी लाखों कोशिसों से बाबज़ूद सरकार को घेरने का कोई मौका नही मिल रहा था-लिहाज़ा हमने इसी मुद्दे पर अपनी छाती पीट पीट कर विधवा विलाप करना और बेसुरी बीन बज़ाना शुरु कर दिया ! दूसरा यह है क़ि क्योंकि मोदी जी अपना काम ठीक तरह से कर रहे थे और हम लोगों को किसी तरह के आन्दोलन या प्रदर्शन नही करना पड रहा था-सो हम "आरामज़ादों" की जिंदगी काफी आराम से कट रही थी-साध्वी ने बीच मे ही ऐसा बयान दे दिया कि अगर हम उसका विरोध नही करें तो "चोर की दाढ़ी मे तिनका" वाली कहावत झूठी साबित हो जाती जो हम बिल्कुल भी नही चाहते थे-लिहाज़ा हम लोगों ने अपना मानसिक संतुलन पूरी तरह खोते हुये अपने बेसुरे राग को सड़क से लेकर संसद तक अलापना शुरु कर दिया मानो देश की जनता हमारी इस बेशर्मी से खुश होकर हमे कोई बहुत बड़ा इनाम दे डालेगी !

हम हारे हुये खिलाड़ी इसलिये भी बौखलाये हुये हैं कि मोदी जी ने एक दलित महिला को तो अपनी सरकार मे मंत्री बना दिया और हम शहज़ादे,साहबजादे और "आरामजादे" जैसे लोगों को लाख बार नाक रगड़ने के बाद नेता विपक्ष का दर्जा भी नही मिल सका ! दलितों और महिलाओं के उत्थान की बातें तो हम भी बहुत करते हैं लेकिन वे सब वोट बटोरने के लिये होती हैं ! मोदी जी तो सही मायने मे महिलाओं और दलितों के उत्थान मे लग गये हैं ! इसलिये जब तक इस दलित महिला का इस्तीफा नही हो जाता हम लोगों के तन बदन मे लगी हुई आग ठंडी नही होगी !

 Published on 6/12/2014

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