यह रावण मोदी को चैन नही लेने देगा
रामलीला के दिन चल रहे हैं और दशहरा पर बुराइओं के प्रतीक रावण को मार गिराने की तैयारियां खूब जोर शोर से चल रही हैं. १० सर वाले इस रावण को तो हम काफी समय से जलाते आ रहे हैं लेकिन यह रावण अब अपने विराट कलियुगी रूप में ६७ सर वाले नरपिशाच की शक्ल अख्तियार कर चुका है और अपने नरपिशाची कारनामों से जनता को इतना परेशान और आतंकित कर रहा है जितना रामलीला वाले रावण ने भी अपने समय में नहीं किया था . अभी हाल ही में इस रावण ने अपने नापाक मंसूबे जाहिर करते हुए सार्वजनिक रूप से यह घोषणा कर दी है की वह मोदी को चैन की नींद नहीं सोने देगा और अपनी नरपिशाची हरकतों को पहले की तरह ही जारी रखेगा.
रामायण में जिस रावण का उल्लेख है, उसके कुछ अपने कायदे कानून थे और वह उन्ही का पालन करते हुए कम से कम अपनी जनता को तो तंग नहीं करता था लेकिन इस कलियुगी रावण ने यह ठान ली है क़ि वह किसी कायदे कानून का पालन नहीं करेगा और अपनी अपराधिक गतिविधियों को बदस्तूर जारी रखेगा. कभी यह रावण किसानो क़ी सरे आम हत्या करके उस पर तालियां पीटता नजर आता है, कभी यह महिलाओं के ऊपर पागल कुत्ते छोड़कर उन्हें कटवाता नज़र आता है और कभी यह रावण अपने बाकी के ६६ सरों के माध्यम से बलात्कार जैसे दुष्कर्मों को अंजाम देता नज़र आता है. बेईमानी और ठगी इस कलियुगी रावण में कूट कूट कर भरी हुयी है और इसी के चलते यह अपने सभी दुष्कर्मों के लिए किसी और पर उनका आरोप लगा देता है. रामायण वाला रावण इस मामले में खास ईमानदार था और वह जो कोई भी अपराध करता था, वह डंके की चोट पर करता था. लेकिन ऐसी ईमानदारी और ऐसा साहस इस कलियुगी रावण में अभी तक देखने को नहीं मिला है क़ि यह अपने दुष्कर्मों को खुद कबूले और उनका आरोप किसी और पर लगाना बंद करे.
आज जरूरत इस बात क़ी है क़ि हम सब कागज़ और आतिशबाज़ी से बने हुए रावण को जलाकर अपने संसाधनो को बर्बाद न करें ,बल्कि इस बात की पुख्ता व्यवस्था करें क़ि समाज में ठगी,बेईमानी और धोखाधड़ी के जरिये जो इस तरह के ६७ सर वाले रावण अपना सर उठा रहे हैं, उनका सर उठाने से पहले ही कुचल दिया जाए ताकि हत्या, बलात्कार और आर्थिक घोटालों जैसी हरकतों पर समय रहते लगाम लगाई जा सके. अगर ऐसा नहीं हो सका तो सभी शातिर गुंडे और अपराधी खुल्लम खुल्ला तरह तरह के भयानक अपराधों को अंजाम देते रहेंगे और उनका ठीकरा मोदी के सर पर फोड़ते रहेंगे. अगर दशहरा पर रावण को जलाना ही है तो हम कागज़ और आतिशबाज़ी से युक्त रावण को छोड़कर ऐसे रावणों के सफाये के बारे में गंभीरता से विचार करें.
(इस लेख में दिए गए पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं और उनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है.)
Published on 19/10/2015
Comments
Post a Comment