किसके इशारे पर किये ज़ा रहे हैं मोदी पर हमले ?

नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा पिछले लगभग 12 सालों से जिस तरह का दुष्प्रचार किया जा रहा है उसका कारण 2002 मे गुजरात मे हुये दंगे नही है. अगर दंगों की वजह से ही यह दुष्प्रचार हो रहा होता तो फिर यह दुष्प्रचार बाकी सभी राजनीतिक दलों के लगभग सभी नेताओं के खिलाफ भी किया जाता क्योंकि ऐसा कोई भी राजनीतिक दल नही है जिसकी सरकार मे दंगे नही हुये हों और शायद ही किसी पार्टी का कोई ऐसा नेता होगा जो दंगों के लिये दोषी ना हो ! फर्क यही है कि दुष्प्रचार के चलते मोदी जैसे नेता के खिलाफ दुनिया भर के झूठे मुकदमे दायर कर दिये जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट से बार बार क्लीन चिट मिलने के बाबजूद यह दुष्प्रचार और देशद्रोहियों द्वारा किये जा रहे हमले बंद नही होते जबकि मुज़फ़्फरनगर दंगों के लिये आज तक ना तो किसी ने अखिलेश यादव और ना ही आज़म ख़ान की गिरफ्तारी की मांग की है और ना ही 1984 के देशव्यापी दंगों के लिये किसी ने सोनिया गाँधी या राजीव गाँधी की गिरफ्तारी की मांग की थी ! इन लोगों के खिलाफ किसी तरह का दुष्प्रचार नही हुआ और यह लोग तब भी "सेक्युलर" थे, आज भी "सेक्युलर" हैं और शायद आगे भी "सेक्युलर" ही रहेंगे !

अमेरिका जैसे देश ने यह कहकर मोदी को वीजा देने से मना कर दिया कि वह दंगों के लिये दोषी है- अगर अमेरिका का यह बहाना ठीक होता तो अमेरिका को भारत के बहुत सारे राजनीतिक दलों के बहुत सारे नेताओं को वीजा देने से मना करना पड़ता ! अमेरिका दरअसल यहीं पर पकड़ा गया और उसे भी अब लगने लगा है कि भारत मे सत्ता परिवर्तन होने वाला है अपने इस दुष्कर्म से घबराया अमेरिका मोदी के पी एम बनने के खयाल से ही बेहद खौफ मे है और उसी खौफ के चलते भारत मे अमेरिकी राजदूत नेन्सी पॉवेल दुम दबाकर भाग निकलने की फ़िराक़ मे है ! मजे की बात यह है की अमेरिका को मुस्लिम भाईओं से इतनी हमदर्दी कब से होने लगी कि उसने गुजरात दंगों की वजह से मोदी को वीजा देने से मना कर दिया!ऊपर से गुजरात दंगा भारत का आंतरिक मामला था जिसमे अमेरिका को दखल देने की जरूरत भी नही थी ! दरअसल अमेरिका मोदी से इसलिये बेहद नाराज़ था क्योंकि मोदी ने ईसाइओं द्वारा जबरन हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन पर सख्ती के साथ गुजरात मे रोक लगा दी थी और उसकी देखा देखी भाजपा शासित अन्य राज्यों ने भी यही सख्ती अपनानी शुरु कर दी थी !

दरअसल प़ूरे देश मे हज़ारों ऐसी एन जी ओ चल रही है जिनको फ़ोर्ड फाउंडेशन जैसी अमेरिकी संस्थाओं से अपार धन सिर्फ इसी काम के लिये मिल रहा है की वे भारत मे ना सिर्फ ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करें, बल्कि मौका लगते ही हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने से भी बाज़ ना आयें. इन संस्थाओं को चलाने वाले तथाकथित समाजसेवियों का कोई और धंधा तो है नही लिहाज़ा ये लोग पूरी तरह से अपने जीवन यापन के लिये इसी अमेरिकी सहायता पर आश्रित हैं-अमेरिका के इशारे पर इन तथाकथित एन जी ओ और उनके चलाने वालों ने मोदी के खिलाफ जमकर हल्ला बोल दिया ! कांग्रेस पार्टी और उसकी पिछलग्गू राजनीतिक पार्टियों को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गयी- अमेरिका तो किसी और वजह से मोदी पर हमले करवा रहा था-लेकिन इन तथाकथित "सेक्युलर" लोगों का मुफ्त मे ही उल्लू सीधा हो रहा था सो यह लोग भी उस दुष्प्रचार मे बढ चढकर शामिल हो गये !

अमेरिकी सहायता से जो एन जी ओ चलाये जा रहे है उनको चलाने मे बहुत सारे ऐसे पत्रकार भी शामिल है जो " गोबरापोस्ट" जैसी " दुष्प्रचार की दुकाने" चलाकर ही अपनी रोजी रोटी कमा रहे है और यह लोग प्राइम टाइम पर टेलीविजन पर गला फाड़ फाड़कर मोदी के खिलाफ अनाप शनाप बकवास करके अमेरिका मे बैठे अपने आकाओं को अपनी वफादारी का सुबूत देते रहते हैं!

कांग्रेस और उसकी पिछलग्गू पार्टियों को अमेरिका द्वारा करवाया जा रहा यह दुष्प्रचार खूब भा रहा था क्योंकि इसके चलते यह लोग अपने आप को जबरदस्ती "सेक्युलर" साबित करने पर तुले हुये थे ! लेकिन अब जब अमेरिका को भी यह लगने लगा है कि भारत की देशभक्त जनता अब जाग चुकी है और उसके दुष्प्रचार का अंत होने वाला है तो उसे भी अपने दुष्कर्मों के लिये मिलने वाले दंड का डर लगातार सता रहा है ! भारत मे अमेरिकी राजदूत नेन्सी पावेल की विदाई को उसी दिशा मे एक संकेत के रूप मे देखा जाना चाहिये !
Published on 10/4/2014

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