पाकिस्तान के हाथ की कठपुतली हैं ये लोग ?

देशद्रोही याकूब तो अब मारा जा चुका है-उसे बचाने के लिये कुछ लोगों ने अपना दिन रात एक कर दिया था, लेकिन अपनी लाख कोशिसों के बाद भी उसे बचाने मे नाकाम रहे थे- अब अपनी उस खिसियाहट और झल्लाहट का जबाब इन लोगों ने महामहिम राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की तौहीन करके दे दिया है-देश मे अगर कोई कानून है तो इन लोगों को इस दुष्कर्म का दंड अभी तक क्यों नही मिल सका है-यह अपने आप मे एक चिंता का विषय है जिसके ऊपर मीडिया मे तो कोई चर्चा होने से रही क्योंकि जिस मीडिया को पिछले 60 सालों के कुशासन मे इन ताकतों ने पोषित किया है-मीडिया के आगे उस नमक का कर्ज़ चुकाने की मजबूरी है- एक अंग्रेज़ी अखबार के संपादक ने तो बेशर्मी की सारी सीमायें लाँघते हुये याकूब के मारे जाने की खबर का टाइटिल रखा-AND THEY HANGED YAKUB.(समाचार के इस टाइटल का  सीधा-सीधा मतलब यह निकलता है कि याकूब पूरी तरह निर्दोष था और सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने मिलकर उसे फांसी पर लटका दिया)  इस तथाकथित संपादक ने ऐसी बेहूदगी क्यों दिखाई और इसने महामहिम राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की तौहीन किसके इशारे पर की-इसका उसने अभी तक कोई जबाब देश को नही दिया है-कानून के हाथ अगर लंबे हैं तो इस तथाकथित अखबार के संपादक और मालिक दोनो से पकड़कर सख्ती से पूछताछ होनी चाहिये-हाँ, अगर देश मे कोई कायदा कानून आगे से नही चलने वाला है तो इन लोगों को भी ऐसे ही छोड़ा जा सकता है-जिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को पान की दुकान समझकर रात के दो बजे खुलवा लिया, उनके खिलाफ ही अगर कोई कार्यवाही नही हो सकी तो फिर बाकी के खिलाफ कोई कार्यवाही होगी, इसकी उम्मीद भी कम ही नज़र आ रही है- देशद्रोही याकूब के सैकड़ों हितैषियों ने राष्ट्रपति से उसको माफ करने की गुहार लगाई थी, वे सब भी अभी तक कानून की ढिलाई का पूरा फायदा उठाते हुये मौज कर रहे हैं ! हमारे देश का कानून इन लोगों के खिलाफ कुछ भी कर सकने मे पूरी तरह से लाचार नज़र आ रहा है!

अब खबर यह आ रही है कि याकूब की आखिरी अपील ठुकराने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज श्री दीपक मिश्रा को आतंकवादियों ने जान से मारने की धमकी भरी चिट्ठी भेजी है-अगर सुप्रीम कोर्ट ने उस रात ही इन लोगों की खबर ले ली होती, जब यह लोग रात के 2 बजे चीफ जस्टिस के घर जा पहुंचे थे, तो शायद जज साहब को आज यह दिन नही देखने पड़ते- यह समझना अदालतों के लिये भी जरूरी है कि आतंकवादियों से कहीं ज्यादा खतरनाक उनके हितैषी हैं-क्योंकि इन्ही की शह पर आतंकवादी  घिनौनी और देशद्रोही वारदातों को लगातार अंज़ाम देते रहते हैं.

दरअसल इन सब लोगों को सज़ा इस लिये भी नही मिल पा रही है क्योंकि जिन लोगों के इशारे पर यह सब दुष्कर्म अंज़ाम दिया जा रहा है, उन लोगों की तरफ से यह मांग संसद मे उठायी ही नही जा रही है-कोई उनसे यह सवाल ना कर बैठे कि तुम लोग इस मुद्दे को संसद मे क्यों नही उठा रहे हो-इसके लिये उन्होने यह रणनीति बनाई हुई है कि संसद मे इतना हंगामा मचाओ कि संसद चले ही नही और उनके हितैषी हर हालत मे बचे रहें और उनके दुष्कर्मों पर संसद मे चर्चा ना हो सके !

गुरदासपुर आतंकवादी हमले मे तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की मौत से जो लोग काफी मायूस हो गये थे, उनके लिये राहत और खुशी की खबर यह है कि याकूब के आतंकवादी बेटे नवेद को उधमपुर से जिंदा ही पकड लिया गया है-हालांकि यह उस याकूब का बेटा नही है जिसे अभी हाल ही मे फांसी पर लटकाया गया है लेकिन पकड़े गये आतंकवादी के पिता का नाम भी याकूब होना ही इन लोगों के लिये "डूबते को तिनके का सहारा" की तरह दिख रहा है-अब जो हसरत यह लोग याकूब की मौत को टालकर नही कर पाये, उसे यह "आतंकवादी नवेद" के जरिये पूरा करेंगे ! एक  आतंकवादी को बचाने के लिये उसके सभी हितैषी अपने अपने हथियार और कौशल का प्रदर्शन करने के लिये पूरी सजगता के साथ मुस्तैद नजर आ रहे है-सबने अपनी अपनी कमर कस ली है कि जो गलती इन लोगों से याकूब के मामले मे हो गयी, वह अब दुबारा ना होने पाये और किसी की इस देश मे हिम्मत ना पड़े कि इनके जिंदा रहते  आतंकवादी नवेद के ऊपर कोई हल्की सी खरोंच भी आ जाये !

दुश्मन और आतंकवादी देश पाकिस्तान हमारे देश मे कुछ लोगों की इस बेशर्मी पर लगातार नज़र रखे हुये है और उसी से उत्साहित हो-होकर लगातार सीमापार से आतंकी हमले करवा रहा है.
Published on 7/8/2015

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