महाठगबंधन के ठगों की बढ़ती बौखलाहट

बिहार के विधानसभा चुनावों को लेकर जो संकेत चुनावों से काफी पहले ही मिलने शुरु हो गये थे, उनके चलते देश मे जितनी भी देश विरोधी और मोदी विरोधी ताकतें थीं, उन सबने अपनी मोदी विरोधी नौटंकी को अंज़ाम देने के लिये "महाठगबंधन" नाम की एक नौटंकी कम्पनी का गठन किया और तब से लेकर आज तक इन लोगों की नौटंकी बदस्तूर जारी है. इन लोगों की सबसे बड़ी तकलीफ इस बात को लेकर है कि भाजपा और मोदी के लगातार किये जाने वाले देश हित के कामों मे अडंगा डालकर देश को आगे जाने से कैसे रोका जाये. हालांकि इस "महाठगबंधन" की असलियत को कुछ लोगों ने समय रहते ही पहचान भी लिया और इनसे समय रहते किनारा भी कर लिया लेकिन जो शरारती और ठग लोग इस "महाठगबंधन" का हिस्सा हैं, उन्हे अपना भविष्य पूरी तरह अंधकारमय नज़र आ रहा है.


पहले तो इन लोगों ने मोदी सरकार को बदनाम करने के लिये प्रायोजित नौटंकी का अलग अलग जगहों पर बेहूदा प्रदर्शन किया. जहाँ जहाँ भी किसी दलित या अल्पसंख्यक के साथ कोई हादसा हुआ, उसे उन लोगों ने अपनी नौटंकी के बल पर सीधे सीधे मोदी और भाजपा से जोड़ने की मूर्खतापूर्ण कोशिश कर डाली. इन ठगों की बौखलाहट इस हद तक बढ गयी है कि ये लोग और मीडिया मे बैठे इनके दलाल आजकल सिर्फ इस तरह की खबरों पर नज़र बनाये हुये है जिनमे किसी भी दलित या अल्पसंख्यक के साथ कोई हादसा हो गया हो. वह हादसा किसकी वज़ह से हुआ या कौन उसके लिये जिम्मेदार था, उससे इन लोगों को कोई मतलब नही है क्योंकि ऐसे सभी हादसों के लिये सीधे तौर पर या तो मोदी जिम्मेदार है, या भाजपा जिम्मेदार है या फिर मोदी सरकार के कुछ मंत्री जिम्मेदार हैं.


जिस तरह का दुष्प्रचार इन जन विरोधी ताकतों ने मोदी के खिलाफ पिछले 12 सालों तक चलाया था, वही देश विरोधी ताकतें एक बार फिर अपना सर फन की तरह फैलाकर खड़ी हो चुकी है और बिहार की सत्ता को किसी भी कीमत पर हथियाने के लिये किसी भी हद तक गिर सकती हैं. आजकल अगर देश के किसी नागरिक के साथ कोई हादसा हो जाये तो ये लोग सबसे पहले इस बात मे दिलचस्पी दिखाते हैं कि जिस व्यक्ति के साथ हादसा हुआ है, वह अल्पसंख्यक या दलित समुदाय से था या नही ? अगर हादसे मे शामिल व्यक्ति अल्पसंख्यक या दलित समुदाय से हुआ तो फिर मोदी, भाजपा और आर एस एस की खैर नही क्योंकि फिर तो ये पाखंडी लोग और इनके इशारे पर मीडिया मे बैठे दलाल ऐसा दुष्प्रचार शुरु करेंगे मानो देश मे पहली बार किसी के साथ कोई हादसा हुआ है. अगर यही हादसा किसी बहुसंख्यक के साथ हो जाये जो दलित समुदाय से ताल्लुक ना रखता हो तो इन पाखंडियों के कान पर जूँ तक नही रेंगती है क्योंकि गैर दलित बहुसंख्यक के साथ हुआ हादसा कोई हादसा थोड़े ही होता है- उन लोगों का तो जन्म ही ऐसे  हादसों को झेलने के लिये हुआ है.

इन लोगों के कुछ चेलों-चपाटों ने जिस तरह से खैरात मे मिले अपने पुरस्कारों को लौटाने का सिलसिला शुरु किया है, उसे भी इस मूर्खतापूर्ण नौटंकी का एक हिस्सा ही समझा जाना चाहिये.देशद्रोही आतंकवादी याकूब मेमन के तलवे चाटने वाले लोग आज बिहार की सत्ता हथियाने के लिये मोदी, भाजपा और संघ को फर्ज़ी दुष्प्रचार के जरिये शिकस्त देने का षड्यंत्र रच रहे हैं और अपने इस षड्यंत्र को कामयाब बनाने के लिये "तांत्रिकों" का भी सहारा लेने से बाज़ नही आ रहे हैं. इनका यह षड्यंत्र कितना कामयाब होगा, इसका फैसला तो बिहार चुनावों के नतीज़ों के बाद ही मालूम हो सकेगा.
Published on 26/10/2015

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