केजरीवाल कर रहे हैं जनता को गुमराह !

21 जनवरी 2015 को मेरे मोबाइल पर एक मेसेज सर्व वैश्य समाज,दिल्ली की तरफ से आया-"कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार श्री अरविन्द केजरीवाल एवं उनके उम्मीदवारों को परिवार व मित्रों सहित वोट करें ! " देखा जाये तो इस मेसेज मे कुछ भी गलत नही है- दिल्ली की सियासत मे एक वार फिर से अपने वज़ूद को तलाशते हुये केजरीवाल जी को यह पूरा हक है कि वह जाति, धर्म, सम्प्रदाय और बेबुनियाद आरोपों की राजनीति उतनी ही बेशर्मी के साथ करें जितनी बेशर्मी के साथ और सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ करती आई हैं-आखिर खेल के नियम तो सबके लिये एक जैसे ही होने चाहिये ! समस्या यही है कि की अगर यह बात मान ली जाये तो कांग्रेस,सपा,बसपा, जनता दल (युनाइटेड),तृणमूल कांग्रेस जैसी घटिया राजनीति करने वालों और केजरीवाल की पार्टी मे कोई अंतर ही नही रह जायेगा ! ऐसी हालत मे जनता केजरीवाल या फिर उनकी पार्टी को वोट देकर अपने पैरों मे कुल्हाड़ी मारने जैसा काम भला क्यों करे ?

केजरीवाल जी ने पिछले साल हुये दिल्ली विधान सभा चुनावों मे अन्ना आन्दोलन का पूरा श्रेय खुद लेते हुये 28 सीटें जीतकर जिस तरह से कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली मे सरकार बनाई थी और दिल्ली की जनता को 49 दिनों तक जो जबरदस्त कुशासन झेलना पड़ा था, उसे शायद दिल्ली क्या, देश की जनता कभी भुला नही सकेगी ! रातों रात प्रधान मंत्री बनने के अपने सपने को साकार करने के लिये, केजरीवाल जी ने जिस तरह से दिल्ली की जनता को उनके हाल पर छोड़कर अपनी आगे की राजनीति के लिये जो रास्ता अपनाया, वह अपने आप मे एक शर्मनाक दास्तान है !


* सबसे पहले केजरीवाल जी ने अपने उस मुद्दे को ही पूरी तरह से तिलांजलि दे डाली जिसकी बदौलत दिल्ली की जनता ने उन्हे मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया था- लोकसभा चुनावों से ठीक पहले केजरीवाल जी ने सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा कर दी कि इस देश मे "साम्प्रदायिकता" एक ऐसा मुद्दा है जो "भ्रष्टाचार" के मुद्दे से भी कहीं अधिक बड़ा है और लिहाज़ा  आगे से वे इसी मुद्दे पर काम करेंगे ! बाद मे केजरीवाल जी ने "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगने वाले कुछ देशद्रोहियों के समर्थन मे उतरकर अपने "सेक्युलर" होने का सबूत भी जनता को दिया था-जिसके चलते लोकसभा चुनावों मे ज्यादातर सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जमानतें भी जब्त हो गयी थी ! केजरीवाल जी की इस काली करतूत का पूरा लेखा जोखा मेरे 6 मार्च 2014 को प्रकाशित ब्लॉग-"देशद्रोहियों को बचाने मे जुटे अब्दुल्ला,अखिलेश और केजरीवाल" मे उपलब्ध है !

*अगर इन बातों को एक तरफ रख भी दें तो हम पायेंगे कि केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता को दिल्ली की बिजली कम्पनियों के  CAG   ऑडिट को लेकर इतना ज्यादा गुमराह किया है कि उनकी विश्वसनीयता पूरी तरह से सवालों के घेरे मे आ गयी है ! दिल्ली मे मौजूद बिजली कम्पनियाँ प्राइवेट है और उनका ऑडिट हर साल कम्पनी कानून के अंतर्गत किया जाता है !CAG   का काम सिर्फ और सिर्फ सरकारी कम्पनियों का ऑडिट करने का होता है-केजरीवाल जी के पास प्रशांत भूषण जैसे कानून के जानकर पहले से ही मौजूद हैं और वह यह नही कह सकते कि उन्हे खुद इसकी जानकारी नही है और वह दिल्ली की जनता को गुमराह नही कर रहे है-क्योंकि निजी बिजली कम्पनियों का ऑडिट CAG    द्वारा संभव नही है-इसीलिये यह मामला अदालत मे अटका पड़ा हुआ है क्योंकि बिजली कम्पनियों ने कानून का हवाला देते हुये केजरीवाल जी के इस तमाशे को ही चुनौती दे डाली है ! निजी बिजली कम्पनियों का CAG   ऑडिट का शगूफा दिल्ली की जनता को गुमराह करने की एक बेहूदा चाल है और कुछ भी नही !

*दिल्ली की जनता को जिस एक और बड़े मुद्दे पर केजरीवाल जी ने गुमराह किया-वह है -"जनलोकपाल बिल" ! केजरीवाल जी ने तो अपनी 49 दिनों तक चली सरकार भी यह कहते हुये छोड़ी थी कि क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने उन्हे विधान सभा मे "जनलोकपाल बिल" पास नही करने दिया, इसलिये उनके पास इस्तीफा देने के सिवाय और कोई चारा नही बचा है ! हकीकत मालूम पड़ेगी तो दिल्ली की जनता को मालूम पड़ेगा कि उन्हे केजरीवाल जी इस मुद्दे पर भी कैसे गुमराह किया है-दरअसल दिल्ली मे पहले से ही "दिल्ली लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम,1995" मौजूद है जिसे भाजपा सरकार के शासनकाल मे लाया गया था-दिल्ली के वर्तमान लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन इसी कानून के अंतर्गत नियुक्त किये गये है और सफलतापूर्वक अपने काम को अंज़ाम दे रहे हैं ! अगर यह कानून दिल्ली मे पहले से ही मौजूद है तो केजरीवाल जी किस जनलोकपाल बिल की बात करके जनता को गुमराह कर रहे हैं ? एक ही मकसद को पूरा करने के लिये क्या अलग अलग नामों से दो अलग कानून बना दिये जायेंगे ? मामला कानूनी है और यह भी नही कह सकते कि केजरीवाल जी अनजाने मे ही जनता को गुमराह कर रहे है क्योंकि प्रशांत भूषण जैसे दिग्गज कानून के जानकर उनके साथ हैं ! फिर जानबूझ कर जनता को हैरान परेशान करने की क्या जरूरत है ! इतना गुमराह तो वे राजनीतिक पार्टियाँ भी नही करती, जिन्हे हम दिन रात पानी पी पीकर कोसते रहते हैं-फिर केजरीवाल जी अपनी आदत से बाज़ क्यों नही आते ?

केजरीवाल जी ने जिस तरह से एक के बाद एक झूठ बोलकर जनता को गुमराह किया है, उसकी मिसाल हमे कम से कम भारतीय राजनीति मे तो खोजने से भी नही मिलेगी और यही एक बात अपने केजरीवाल जी को एकदम बेमिसाल बना देती है ! केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पाने के लिये जिस तरह से कुछ भी कर गुजरने पर उतारू हो गये हैं, उसे देखते हुये उनके सभी समझदार साथियों ने एक एक करके किनारा कर लिया है-पार्टी के संस्थापक सरंक्षक श्री शान्ति भूषण उन समझदार व्यक्तियों की सूची मे अंतिम व्यक्ति होंगे-इसमे भी संदेह है ! केजरीवाल जी के बचे खुचे साथी और समर्थक हालांकि अभी भी इसी बात को कह रहे है कि केजरीवाल को हराना इतना आसान भी नही है !

---rajeevg@hotmail.com
Published on 23/1/2015

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