किन मुददों पर लड़े जायेंगे 2014 के चुनाव ?

आम आदमी पार्टी के समर्थकों को इस बात से कुछ निराशा हो सकती है और कांग्रेस के समर्थकों को इस बात से कुछ राहत मिल सकती है कि पहले की तरह ही 2014 के लोकसभा चुनावों मे भी भ्रष्टाचार कोई बहुत बड़ा मुद्दा नही बन सकेगा ! इस आकलन के पीछे मुख्य कारण यही है कि भ्रष्टाचार एक राजनीतिक समस्या नही है जैसा कि इसे प्रचारित किया जा रहा है, बल्कि यह एक सामाजिक समस्या है और जिस देश मे संतरी से लेकर मंत्री तक सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हों, वहां सिर्फ यह मान लेना कि सिर्फ हमारे राजनेता ही भ्रष्ट है,बिल्कुल गलत होगा !

हम लोग वही नेता चुनकर संसद या विधान सभा मे भेजते है, जो हमे पसंद होते है और हम उन्ही को चुनकर भेजते है जो हमारी विचारधारा से मेल खाते है ! पिछले 65 सालों के शासन मे भी अगर हम देखें कि जब जब किसी राजनीतिक दल ने भ्रष्टाचार से लड़ने की कोशिश की, उसे वहा की जनता ने चुनावी शिकस्त देकर भ्रष्ट या फिर ज्यादा भ्रष्ट लोगों के हाथ मे सत्ता सौंप दी ! कर्नाटक, उत्तराखंड और हिमाचल मे विधान सभा चुनावों मे हुई भाजपा की हार को इसी संदर्भ मे लेकर देखा जाना चाहिये ! कर्नाटक मे भाजपा ने भ्रष्ट येदुरप्पा पर तुरंत कार्यवाही करते हुये उसे जेल का रास्ता दिखाया तो वहा की जनता ने भाजपा को दंडित करने मे जरा भी देरी नही लगाई और भाजपा को वहा की सत्ता से फटाफट बेदखल कर दिया !

यही हाल उत्तराखंड मे हुआ-उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य था जहां के लोकपाल कानून की ना सिर्फ अन्ना हज़ारे ने बल्कि केजरीवाल ने भी तारीफ की थी, लेकिन इससे पहले कि वहा पर उस कानून पर अमल हो और कुछ लोग जेल मे चक्की पीसें, वहा भी चुनावों मे जनता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करके दंडित किया और उसके बाद जब कांग्रेस की सरकार विजय बहुगुणा जी ने बनाई तो सबसे पहला काम उन्होने यही किया की उस सख्त लोकपाल कानून को रद्द करके अपने मन माफिक लोकपाल कानून बनाया !

हिमाचल की कहानी भी कमोबेश कुछ इसी तरह की है जहां भ्रष्टाचार मे लिपटे वीरभद्र सिंह के नेत्रत्व मे कांग्रेस सत्ता मे आने मे कामयाब रही और भाजपा को बहा भी जनता ने कम भ्रष्ट होने के लिये दंडित किया ! इसके विपरीत जो राजनीतिक दल भरपूर मात्रा मे भ्रष्टाचार कर रहे है उनकी सरकारें पूरी तरह से सुरक्षित रहती है- शायद यही कारण है कि जिस पूर्ण बहुमत के लिये भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियाँ उत्तर प्रदेश मे तरसते रहते है, वह सपा और बसपा जैसी पार्टियों को बड़ी आसानी से सुलभ हो जाता है क्योंकि यह लोग जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चल रहे है ! कांग्रेस ने काफी अधिक समय तक इस देश पर अगर शासन किया है तो उसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यह लोग जमकर भ्रष्टाचार करने मे पारंगत है ! जिसको सत्ता मे टिकना है उसे समय की धारा के साथ ही बहना होगा-जब तक भाजपा वाले भी केजरीवाल की तरह ईमानदार रहे उनकी भी लोकसभा मे 2 सीटे हुआ करती थी!

राजनीतिक दलों को ईमानदार रहना है या नही, यह दिशा निर्देश तो आखिर जनता जनार्दन के दरबार से ही आना होता है और लोग राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों को वेवजह दिन रात कोसते रहते हैं !शायद यही वजह है कि सुशासन और विकास ही इस बार के चुनावों मे असली मुद्दा बनकर उभरेगा और सभी राजनीतिक दल इन्ही दोनो मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित किये हुये हैं ! दिल्ली मे 49 दिनो तक अपनी सरकार चला चुके केजरीवाल जी ने भी अंतत: स्वीकार कर ही लिया कि "साम्प्रदायिकता" भ्रष्टाचार से भी बड़ा मुद्दा है, लिहाज़ा वह अब उसे दूर करने पर ही ज्यादा ध्यान देंगे !
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 Published on 3/3/2014

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