क्या मोदी टिक पायेंगे केजरीवाल के सामने ?

भ्रष्टाचार को खत्म करने की नीयत से राजनीति मे आये और दुनिया के सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दल के साथ दिल्ली मे गठबंधन सरकार चला रहे केजरीवाल जी को लोकसभा चुनावों मे जाने की इस कदर हड़बड़ी मची हुई है कि वह सही और गलत का फर्क ही नही कर पा रहे हैं. अब तो उनकी चौकड़ी इतनी शातिर हो चुकी है कि उन्होने जनता से एस एम एस करके राय लेना भी बंद कर दिया है.

आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वाश केजरीवाल जी को प्रधान मंत्री बनाने को लेकर किस हद तक बढ़ा हुआ है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यह पार्टी दूसरी राजनीतिक पार्टियों से अपने आपको कई मायनों मे अलग दिखाने की नाकाम कोशिश कर रही है. दिल्ली विधान सभा के चुनाव नतीजे 8 दिसंबर को घोषित हुये थे जिसमे 28 विधायक आम आदमी पार्टी के भी चुने गये थे-दल बदल कानून के हिसाब से अगर 28 के एक तिहाई विधायक यानी कि 10 विधायक अपने आप को अलग करके किसी दूसरी पार्टी को समर्थन दे देते है तो उनकी विधान सभा की सदस्यता भी बनी रहेगी और आम आदमी पार्टी का कानूनी तरीके से विभाजन भी हो जायेगा.

आम आदमी पार्टी के नेताओं के पस कुछ ऐसी दिव्य शक्ति भी मौजूद है जो उन्हे 8 दिसंबर के पहले ही इस बात का आभास करा देती है कि 8 दिसंबर को नतीजे आयेंगे उसमे उनकी पार्टी को कम ना ज्यादा बिल्कुल 28 सीटें मिलेंगी- इसीलिये उनके विधायक मदन लाल को 7 दिसंबर की रात को ही "विदेश मे बैठे भाजपा के शीर्ष नेताओं"का फोन भी आ जाता है कि मदन लाल जी आप खुद को मिलाकर 10 विधायक लेकर अपनी पार्टी से अलग हो जाओ और भाजपा की सरकार बनबा डालो.

भाजपा मे हालांकि राजनीति के जानकiर तो कई नेता हैं लेकिन इस तरह की दिव्य शक्ति( जो आने वाले चुनाव नतीजों का एकदम सही पूर्वाभास करा सके) से युक्त तो एक भी नेता नही है. मोदी जी तो हर्गिज़ भी यह काम नही कर पायेंगे- लिहाज़ा जहां तक प्रधान मंत्री की कुर्सी की दौड़ का सवाल है, वह यहाँ केजरीवाल जी से पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं.

चलिये अब दिव्य शक्तियों के अलावा और योग्यताओं की भी बात कर लेते हैं- हो सकता है यहाँ मोदी जी हाथ मार ले जाएं. लेकिन हमे यहाँ भी निराशा ही हाथ लगी है- दरअसल हमारे केजरीवाल जी तो भारतीय राजस्व सेवा से आये अधिकारी हैं और मोदी जी का बॅकग्राउंड चाय बेचने का रहा है- तो मोदी जी यहाँ भी मात् खा गये. आखिर मोदी जी क्या सोचकर पी एम की दौड़ मे शामिल हुये है ? उन्हे शायद केजरीवाल जी और उनकी पार्टी की दिव्य शक्तियों का अंदाज़ा नही है. क्या खाकर मोदी जी केजरीवाल जी के आगे टिक पायेंगे ?
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rajeevg@hotmail.com
Published on 6/2/2014

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