दिल्ली के जी का जंजाल-केजरीवाल-केजरीवाल !!!
प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली की जनता ने जिस पार्टी को दिल्ली की सत्ता इस उम्मीद के साथ सौंपी थी कि दिल्ली की जनता कुछ नये तरीके की और साफ सुथरी राजनीति का चेहरा देख पायेगी, वह उम्मीद तो काफी पहले ही टूट चुकी है क्योंकि हर आने वाले दिन के साथ यह साफ होता जा रहा है कि दरअसल दिल्ली मे जिस पार्टी को एतिहासिक जीत के साथ 70 मे से 67 सीटें मिली हैं, वह एक तरह से "अन्धे के हाथ बटेर लगने " जैसा ही है ! क्योंकि चुनावों से पहले इस पार्टी को 7 या 8 सीटों से ज्यादा मिलने की उम्मीद नही थी,इस चक्कर मे इसने अपने चुनाव घोषणा पत्र मे ऐसे ऐसे वादे कर डाले जिन्हे पूरा करने के लिये सरकार चलानी भी पड़ती है और सरकार के विधायकों और मंत्रियों को मेहनत भी करनी पड़ती है ! सरकार चलाना और मेहनत करना जिन लोगों के डी एन ए मे ही नही हो, उनके हाथ मे अगर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता सौंप दी जायेगी, तो वही होगा जो दिल्ली मे आजकल हो रहा है ! सरकार चलाने के लिये 36 विधायक काफी हैं-लेकिन सरकार चलाने की नीयत ही नही हो तो 67 तो क्या, 70 विधायक भी कम ही पडेंगे !
दिल्ली की तथाकथित सरकार हर रोज़ कुछ ना कुछ ऐसा विवाद खड़ा कर रही है, जिससे दिल्ली की जनता का ध्यान चुनावी वादों से हटकर कहीं और चला जाये और सरकार जनता के प्रति अपनी जबाबदेही से जितने लंबे समय तक बच सकती है,बची रहे ! चुनावों से पहले भी सभी राजनीतिक दलों को यह अच्छी तरह मालूम था कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नही है और वहा काफी मामले ऐसे हैं जिन पर राज्य सरकार का कोई दखल नही है क्योंकि संविधान के अनुसार वे सब केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र मे आते हैं ! सब कुछ जानते हुये भी अब जब काम करने का मौका आया तब कहीं जाकर यह पता लगा कि चुनावी वादे प़ूरे करना तो दूर की बात है, सामान्य तरीके से भी सरकार चलाना भी इन अनुभवहीन लोगों के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है ! अब हालत यह हो गयी है कि अपनी सभी नाकामियों और निकम्मेपन के लिये केन्द्र मे बैठी भाजपा सरकार को कोसने के अलावा इन लोगों के पास और कोई काम नही रह गया है-हालत इतनी हास्यास्पद हो गयी है कि अगर इनकी पार्टी के किसी नेता को खांसी,सर्दी,जुकाम या सिर् दर्द भी होगा तो उसके पीछे भी ये लोग भाजपा या मोदी का हाथ बताकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटने की पूरी कोशिश कर रहे हैं !
अपने दुष्कर्मों को दिल्ली और देश की जनता से छिपाने की नीयत से इनकी सरकार एक ऐसा सर्कुलर ले आई जिसने लोगों को 1975 के आपातकाल की यादें ताज़ा करा दी-वह तो भला हो सर्वोच्च न्यायालय का, जिसने इस गैरक़ानूनी सर्कुलर को कूड़े दान मे फेंकते हुये ना सिर्फ इन लोगों को कडी फटकार लगाई, बल्कि इनके दोनो गालों पर एक करारा तमाचा भी रसीद कर दिया ! अब यह लोग अपनी उस तिलमिलाहट को छुपाने के लिये दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ रोजाना विवाद खड़ा करके, अपनी झेंप मिटाने के चक्कर् मे हैं ! लेकिन उप-राज्यपाल जो कि एक संवैधानिक व्यवस्था और मर्यादा के अंतर्गत काम कर रहे हैं, उन्हे लगातार अराजकता के लिये उकसाया जा रहा है ताकि दिल्ली मे किसी ना किसी तरह एक संवैधानिक संकट स्थिति की पैदा हो जाये और राष्ट्रपति को मजबूरन यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाना पड जाये ताकि यह सब लोग अपनी अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएं और इन्हे उन वादों को पूरा करने से छुटकारा मिल जाये, जो इन्होने गलती से दिल्ली की जनता से कर दिये थे !
अभी हाल ही मे दिल्ली मे एक महिला जो अपनी बाइक पर बिना हेल्मेट लगाये तीन सवारियों के साथ बैठी थी और जिसके पास अपनी गाड़ी के कागज़ात भी नही थे, उसका जब एक पुलिस वाले ने नियमानुसार चालान करने की कोशिस की, तो उस महिला ने ना सिर्फ उस पुलिस वाले पर पत्थर से जानलेवा हमला किया, अपनी नौटंकी से उसकी नौकरी लेकर उसे जेल तक पहुँचा दिया ! क्योंकि वह महिला, दिल्ली सरकार के मुखिया के बताये रास्ते पर चल रही थी, इसलिये उन्होने अगले ही दिन उस अपराधी महिला को यह कहते हुये खूब महिमा मंडित किया कि दिल्ली सरकार को ऐसी महिलाओं पर गर्व है जो इस तरह से कानून को अपने हाथों मे लेकर नौटंकी को अंज़ाम देना जानती हों ! इस घटना से उत्साहित होकर एक और महिला ने ग्रेटर कैलाश इलाके मे दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर के सरे आम यह कहकर थप्पड़ जड दिया कि अगर उस इंस्पेक्टर ने ज्यादा चू चपड़ की तो उसे भी नौकरी से निकलवा देगी ! यह दोनो घटनाएं इस बात का सुबूत हैं कि नौटंकीलाल की शह पर दिल्ली किस तरह बहुत तेजी के साथ अराजकता और जंगल राज की ओर बढ रही है ! अभी तक यह दोनो अपराधी महिलाएं पुलिस की गिरफ्त से बाहर है क्योंकि उन्हे एक तरह से सरकारी संरक्षण मिला हुआ है क्योंकि दिल्ली सरकार को ऐसे अपराधियों पर गर्व महसूस होता है ! दिल्ली के पहले से ही बेकाबू हुये आटो रिक्शा वालों को सरकार की तरफ से गुंडागर्दी करने का लाइसेंस दिया जा चुका है और उन्हे पुलिस अब पहले की तरह सभी अपराधों के लिये दंडित नही कर सकेगी और वे जब चाहे बहाना बनाकर यात्रियों को उनके गंतव्य तक ले जाने के लिये मना कर सकेंगे !
दिल्ली मे संवैधानिक संकट और जंगल राज जैसे हालात इसलिये पैदा किये ज़ा रहे हैं ताकि सर्वोच्च न्यायालय,उप-राज्यपाल या राष्ट्रपति- कोई ना कोई तो अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुये दिल्ली मे राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करेगा-दिल्ली सरकार तो यह काम नही कर सकती- हालांकि उनके उप मुख्यमंत्री ने तो "तख्ता पलट" करवाने की हास्यास्पद बात करके अपने मंसूबे साफ कर दिये हैं - कि सरकार-वरकार चलाना हमारे बस की बात नही है-सो फटाफट राष्ट्रपति शासन लगाओ ताकि हम लोग उसे "तख्ता पलट" का नाम देकर एक बार फिर अपने पसंदीदा काम यानि कि धरना, प्रदर्शन और रैली करने की नौटंकी करके जनता को एक बार फिर से दिग्भ्रमित कर सकें ! दरअसल दिल्ली सरकार को मिला प्रचंड बहुमत ही उनके गले की फाँस बन गया है और उनके लिये सरकार छोड़कर भागने के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं-उनकी अखिरी उम्मीद यही है कि किसी तरह से दिल्ली मे संवैधानिक संकट पैदा करके या अराजकता की स्थिति पैदा करके ऐसा माहौल बना दिया जाये की दिल्ली मे राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा और कोई विकल्प ही ना बचे ! इन लोगों की यह इच्छा कब पूरी होती है, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा !
Published on 19/5/2015
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