चंदा वसूलने के लिये किये जा रहे हैं अंबानी पर हमले ?
मुकेश अंबानी ने देश को लूट लिया-अनिल अंबानी ने भी देश को लूट लिया ! अब हम लुटे पिटे मरे कुचले लोग जाएं तो जाएं कहाँ ? यह लोग सभी राजनीतिक दलों को दिल खोलकर चंदा देते हैं क्योंकि इस चंदे से सभी राजनीतिक दल अपना चुनाव प्रचार करते हैं-लेकिन यह लुटेरे इतने अजीब है कि अभी तक इन लोगों ने राजनीति मे हमारी उपस्थिति का संज्ञान ही नही लिया ! अगर बाकी के राजनीतिक दल राजनीति कर रहे हैं तो हम राजनीति मे क्या जनसेवा करने के लिये आये है
जो चंदा बाकी के राजनीतिक दलों को मिलता है-एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल होने के नाते उस चंदे पर हमारा भी तो उतना ही हक है- देखा जाये तो हमारा हक कुछ ज्यादा ही है क्योंकि हम राजनीति मे नये नये आये हैं और हमारी जरूरतें भी कुछ ज्यादा ही है क्योंकि चुनाव प्रचार के अलावा हमे एक और भारी खर्चे का सामना भी करना पड सकता है
दरअसल हम लोगों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिये लोगों पर भ्रष्टाचार के अनाप शनाप मनगढ़ंत और झूठे आरोप लगा तो दिये है-सब लोगों के पास तो मानहानि का दावा ठोंकने के लिये समय नही है लेकिन अगर कुछ लोगों ने भी हमारे ऊपर मानहानि का दावा ठोंक दिया तो हमारी बची खुची साख तो मिट्टी मे मिलेगी ही, हमारी अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा सकती है-लिहाज़ा चंदे की हमे बहुत सख्त और जल्द आवश्यकता है-अगर हमारी इस जायज़ मांग का अभी भी देश के बड़े बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों ने संज्ञान नही लिया तो हम लोगों को विवश होकर उन लोगों के लिये " चोर लुटेरे " के अलावा अन्य भडकाऊ शब्दावली तलाशनी होगी !
दरअसल यह बड़े बड़े उद्योगपति इतने अधिक ढीठ हैं कि हमारी लाख कोशिशों के बाबजूद हमारे चंगुल मे फंसने को तैयार नही है- हम लोग इस बात को अपनी सबसे बड़ी अवमानना मानते हैं कि देश के इतने बड़े बड़े व्यापारी हमे कुछ समझ ही नही रहे और हमे कुछ भाव ही नही दे रहे ! इन व्यापारियों और उद्योगपतियों द्वारा लगातार की जा रही हमारी उपेक्षा से परेशान होकर हमारे एक बड़े नेता और प्रवक्ता ने तो खुले तौर पर कह भी दिया की भई हमे चंदा बंदा लेने मे कोई ऐतराज़ नही है- आओ और हमे चंदा दो और बदले मे हमसे अभयदान और ईमानदारी का अकाट्य प्रमाण पत्र भी लेकर जाओ !
हम लोगों ने अपना मुख्य राजनीतिक विरोधी मोदी को माना हुआ है और उस लिहाज़ से हमारा स्टॅंडर्ड काफी ऊँचा करके देखा जाना चाहिये और हमारे चंदे का रेट भी उसी अनुसार तय होना चाहिये !
हमारी तरफ से इसे अंतिम चेतावनी के रूप मे देखा जाना चाहिये क्योंकि अगर अभी भी इन ढीठ व्यापारियों और उद्योगपतियों के ख़ज़ाने हमारे लिये नही खुले तो इन लोगों का हम जीना दूभर कर देंगे !
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rajeevg@hotmail.com
Published on 19/2/2014
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