क्या 5 साल चल पायेगी "आप" की सरकार ?

जैसी कि उम्मीद जताई जा रही थी, एक सोची समझी साज़िश के तहत 67 सीटों के "प्रचंड" बहुमत से हथियाई हुई सत्ता आम आदमी पार्टी, उसके नेताओं और अंध भक्तों से हज़म नही हो पाई और एक एक करके यह लोग ऐसे बिखर गये कि हर आने वाले दिन के साथ जबरदस्त कीचड़ बहती ही जा रही है ! अपनी कड़वी बातों को मधुर भाषा मे कहने के लिये मशहूर योगेन्द्र यादव जी भी कीचड़ की इस बढ़ती हुई मात्रा से काफी परेशान नज़र आ रहे हैं लेकिन इस समय उनकी आवाज़ भी नक्कारखाने मे तूती की आवाज़ की तरह दबकर रह गयी है और इस पार्टी मे इस समय जितने नेता हैं,वे सब अलग अलग दिशाओं मे भाग भागकर अपने लिये चुल्लू भर पानी की तलाश मे जुट गये है ! मुफ्त बांटने की वजह से पानी वैसे भी कम मात्रा मे है और आगे आने वाले गर्मी के मौसम मे इसकी कमी बढ़ने की ही ज्यादा संभावना है !

दिल्ली मे पिछले एक महीने से जो हालात बन गये है, उनसे यही लगता है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल मे जिस तरह का जंगल राज चल रहा है, उसकी एक "प्रचंड"  झलक शायद दिल्ली के लोगों को भी निकट भविष्य मे देखने को मिल सकती है ! "प्रचंड" बहुमत के साथ सत्ता सौंपने वाले दिल्ली के लोग  दिल्ली मे जंगल राज को झेलेंगे या फिर वे सब "नागालैंड स्टाइल" मे इन नेताओं की एक-एक करके खबर लेना शुरु कर देंगे यह तो आने वाला समय ही बतायेगा ! वैसे दिल्ली की सरकार के लिये राहत की बात यह हो सकती है कि पहले से ही जंगल राज चला रहे बिहार,उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्रियों का इन्हे पूरा आशीर्वाद पहले से ही प्राप्त है और वे लोग भी इन्हे सरकार चलाने मे अपने अनुभवों का लाभ प्रदान करके इनकी काफी मदद करेंगे !

आलम यह है कि दिल्ली सरकार और उनके जिन नेताओं को इस समय गंभीरता से बैठकर इस बात के पुख्ता इंतज़ाम करने चाहिये कि आने वाले गर्मी के मौसम मे 24 घंटे बिजली और पानी की समस्या से कैसे निपटा जायेगा, वे लोग सब के सब आपस मे ही एक दूसरे से ही निपटने मे लगे हुये है और दिल्ली की असहाय जनता बड़ी बेबसी  के साथ यह सारा तमाशा देख रही है क्योंकि नेताओं के अलावा जो इस पार्टी के अंध-भक्त हैं, वे इन हालातों मे भी ताली बजाने का कोई ना कोई मौका ढूंढ रहे है !

 लगता यही है कि दिल्ली की सरकार खास तौर से "चाणक्य नीति" के अनुसार बनाई गयी है ! लोगों को अगर शिकायत करनी भी है तो जाकर चाणक्य से करें जो नाहक ही ऐसी बात लिख गया कि-" जिस राज्य की प्रजा लोभी और लालची होती है-व़हाँ ठग शासन करते हैं !" यह ठीक है कि चाणक्य नीति मे जो कुछ भी लिखा है, वही सब कुछ होता है लेकिन अगर चाणक्य इस बात को नही लिखते तो उनका क्या बिगड़ जाता या फिर चाणक्य को कुछ इस तरह लिखना चाहिये था-" जिस राज्य की प्रज़ा लोभी और लालची होती है व़हाँ का राजा बहुत काबिल और देशभक्त होता है !" 

 इस सारे तमाशे मे जो सबके साथ हुआ सो हुआ, लेकिन हमारे मुस्लिम मतदाताओं के साथ बड़ी नाइंसाफी हो गयी ! पिछले 67 सालों से कांग्रेसी, वामपंथी,लल्लू,नीतीश,ममता,माया और मुलायम-सबके सब मुस्लिम वोटों को भाजपा,मोदी और आर एस एस का झूठा डर दिखा दिखाकर हथियाते आये थे -"आप" वाले तो इन सबको एक नये तरीके की राजनीति सिखाने और व्यवस्था परिवर्तन करने के लिये आये थे-लेकिन इस पार्टी के मुखिया का तो खुद ही यह कहना है कि मुस्लिम लोग तो मोदी और भाजपा को हराने के लिये हमे वोट देंगे-भैया बाकी के "सेक्युलर" लोग भी तो पिछले 67 सालों से यही कह रहे थे और मुसलमानो को कुछ देने की वजाये उन्हे "तुष्टिकरण" की खुराक पिलाकर ही अपना काम चला रहे थे-क्या इसी नयी राजनीति के लिये दिल्ली की जनता ने अपनी जान जोखिम मे डाल ली है ?

जिस तीव्र गति से केजरीवाल के विरोध मे बोलने वाले लोग पार्टी से निकाले जा रहे है, उससे तो यही लग रहा है कि पार्टी से निकाले जाने वालों मे केजरीवाल जी खुद आखिरी व्यक्ति होंगे - लेकिन तब तक देर काफी हो चुकी होग-सब कुछ लुटाये बिना होश मे नही आने की कसम संभवत् वह खा चुके हैं ! अगर 67 सीटों का प्रचंड बहुमत एक इतिहास बन सकता है तो प्रचंड बहुमत के बाबजूद सरकार का 5 साल तक ना चल पाना एक दूसरा इतिहास भी बन सकता है-किसी भी तरह का अहंकार दिमाग मे लाने से पहले इस का भी ध्यान रखना जरूरी है !

rajeevg@hotmail.com
 Published on 16/3/2015

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