केजरीवाल का भाई-"चारा" ?

बिहार की अति जागरूक और जरूरत से ज्यादा प्रतिभासंपन्न जनता ने जबसे बिहार की सत्ता का बोझ आदरणीय लालू यादव जी के बहुमुखी प्रतिभासंपन्न सुपुत्रों के नाजुक कन्धों पर डाला है, तभी से भारतीय राजनीति मे तेजी से बदलते घटनाक्रम मे उडती उडती खबर यह आ रही है कि दिल्ली मे बहुत जल्द ही नये लोकपाल की नियुक्ति की जा सकती है और ईमानदारी का प्रतीक बन चुके महामहिम केजरीवाल जी आदरणीय लालू यादव जी के ईमानदार कन्धों पर यह जिम्मेदारी डाल सकते हैं. बिहार सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान महामहिम केजरीवाल जी द्वारा आदरणीय लालू यादव जी के गले मिलकर उन्हे ईमानदारी का प्रमाण पत्र देने की घटना को भी इसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है. वैसे तो पूरा देश जानता और मानता ही है कि महामहिम केजरीवाल और आदरणीय लालू यादव से ज्यादा ईमानदार व्यक्ति उन्हे शायद ढूंढने से भी ना मिले और इसीलिये इन दोनो महानुभावों की ईमानदारी की प्रशंसा मे कुछ भी कहना सूरज को दीपक दिखाने जैसा ही होगा. दिल्ली विधान सभा मे हालिया जनलोकपाल बिल के पास होने को भी बिहार चुनावों से ही जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि आदरणीय लालू यादव जी अब अपने गहन चुनाव प्रचार के कार्य से मुक्त होकर अपनी सेवाएं किसी भी ऐसे ओहदे पर देने के लिये तैय्यार हैं, जहां उनकी ईमानदारी का भरपूर फायदा उठाया जा सके.

आदरणीय लालू यादव जी वैसे भी काम करने मे विश्वास रखते हैं. किन्ही कारणोवश उनके अगले कई सालों तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी हुई है लेकिन एक कर्मशील इंसान ईमानदारी से काम करने के लिये किसी  चुनाव का मोहताज़ थोड़े ही होता है उसे तो बस ईमानदारी से जनता की सेवा करनी होती है-लिहाज़ा जिस तरह से महामहिम केजरीवाल जी ईमानदारी से दिल्ली की सत्ता संभाले हुये हैं, ठीक उसी तरह से आदरणीय लालू यादव जी अपनी चिर परिचित ईमानदारी दिखाते हुये दिल्ली मे फैले भ्रष्टाचार पर अपने फैसलों से ईमानदारी के नित नये कीर्तिमान स्थापित करेंगे.

आदरणीय लालू यादव जी अगर दिल्ली मे लोकपाल बन जायेंगे तो ऐसा भी नही है कि बिहार पूरी तरह अनाथ हो जायेगा. अपने होनहार सुपुत्रों के जिन कन्धों पर वे बिहार की सत्ता का भार छोड़कर आयेंगे, उन्हे भी आदरणीय लालू यादव जी, निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे ताकि वे दोनो प्रतिभाशाली नेता भी आदरणीय लालूजी के  बताये हुये रास्ते पर चलते हुये, बिहार को उस जगह ले जाएं, जहां कानूनी अडचनो की वजह से लालूजी भी नही ले जा सके थे. क्योंकि अगर यह "दिल्ली-बिहार" वाला प्रयोग सफल हो जाता है तो इसी ईमानदारी भरी राजनीति को यू पी और पश्चिम बंगाल मे होने वाले चुनावों मे भी अपनाया जायेगा क्योंकि  उन दोनो राज्यों की जनता का भी मूलभूत अधिकार है कि वह अपने लिये ऐसे नेता चुने जो दिल्ली और बिहार की तरह उनके राज्यों को भी विकास ने नये रास्ते पर ले जाकर ईमानदारी भरी स्वच्छ राजनीति की स्थापना करें.आदरणीय लालू यादव जी के कट्टर राजनीतिक विरोधी भी इस बात पर पूरी तरह सहमत हैं कि उनके दोनो सुपुत्रों के हाथ मे बिहार का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित और उज्जवल है.

परम देश भक्त आदरणीय श्री मणि शंकर अय्यर और आदरणीय श्री सलमान खुर्शीद भी इस बात से पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद कि दिल्ली और बिहार अब पूरी तरह से ईमानदार लोगों के हाथों मे है और विकास के नये कीर्तिमान स्थापित करने की तरफ अग्रसर है, अपनी तीर्थयात्रा के लिये पाकिस्तान चले गये हैं, जहां से उनके मधुर देशभक्तिपूर्ण प्रवचनो का सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण लगातार किया जा रहा है.

(इस व्यंग्य लेख मे जिन महानुभावों की चर्चा की गयी है, उनके "आदरणीय" और "महामहिम" होने पर बिहार की जनता का जनादेश मिल चुका है, इसलिये इन लोगों को "आदरणीय" या "महामहिम" कहने से किसी की भावनाएं आहत होने का प्रश्न ही नही उठता है. इसके बाबजूद किसी की भी भावनाओं को आहत करना इस व्यंग्य लेख का उद्देश्य नही है)
Published on 23/11/2015
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