NOTA इस्तेमाल करने से पहले उसकी हकीकत जान लें !

आजकल NOTA (None Of The Above)  का बड़े जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है और लोग बड़े उत्साहित हैं कि अगर हमे किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार पसंद नही आयेगा तो हम  NOTA  का बटन दबा देंगे ! लेकिन उन्हे शायद यह मालूम नही है कि यह पूरी तरह अर्थहीन और बेकार ही साबित होगा !

NOTA का बटन दबाने का सीधा सीधा मतलब आज की तारीख मे बिल्कुल ऐसा ही है मानो कि आप घर से निकलकर वोट देने ही नही गये ! इसलिये जिन लोगों ने NOTA का बटन दबाया है और जिन लोगों ने किसी भी वजह से अपना वोट नही दिया है, उन दोनो मे कोई अंतर नही है !

NOTA का कानून लाने के लिये पहले तो हमारी सरकार राजी ही नही हो रही थी - एक NGO-"पीपुल्‍स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज"(PUCL) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते केन्द्र मे बैठी कांग्रेस सरकार NOTA का विकल्प देने पर तो सहमत हो गयी लेकिन इस के जो नियम बनाये गये है, उससे  NOTA पूरी तरह बेअसर हो जाता है !

NOTA कैसे बेअसर है, इसे एक उदाहरण से बेहतर समझा जा सकता है ! मान लीजिये कि किसी निर्वाचन क्षेत्र मे अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के 3 उम्मीदवार खड़े किये गये है-सभी की अपराधिक छवि रही है और ज्यादातर जनता उन्हे वोट नही देना चाहती  और NOTA का इस्तेमाल करना चाहती है ! इन तीनो उम्मीदवारों के नाम मान लेते हैं कि X, Y और Z हैं ! इस निर्वाचन क्षेत्र मे कुल 100000 मतदाता है और यह मानते हुये कि शत प्रतिशत मतदान हो रहा है, 90000 मतदाता NOTA का बटन दबाते हैं ! बाकी के बचे हुये 10000 मतदाता जो वोटिंग करते है, उसके परिणाम कुछ इस प्रकार से हैं :

X को 3333 मत
Y को 3333 मत
Z को 3334 मत  
कुल 10000 मत

अब इस नतीजे का मतलब यह हुआ कि 100000 के मतदाता वाले निर्वाचन क्षेत्र मे  उम्मीदवार "Z" को जिसे सिर्फ 3334 (सर्वाधिक) वोट मिले हैं, उसे विजयी घोषित कर दिया जायेगा ! यह बात हैरानी वाली तो है लेकिन नियम हमारी सरकार ने कुछ इस तरह से ही बनाये है, जिनको लोग सोचे समझे बिना ही NOTA-NOTA की रट लगाये ज़ा रहे है !

अगर NOTA को प्रभावशाली तरीके के लागू करना हो तो होना यह चाहिये कि जिस निर्वाचन क्षेत्र मे 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग NOTA का बटन दबाये, वहा पर चुनाव रद्द करके दुबारा मतदान होना चाहिये और जिन नेताओं के खिलाफ लोगों ने NOTA का बटन दबाया है, उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगना चाहिये ! अगर ऐसा नही होता तो NOTA का कोई मतलब नही है !

NOTA के चक्कर मे ना आकर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें, इसी मे समझदारी है-सभी उम्मीदवार नापसंद हों तो जो उम्मीदवार उनमे से सबसे बढिया हो, उसे वोट करें !
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Published on 28/4/2014

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