बलात्कारियों के हौसले इसलिये बुलंद हैं !

अभी कुछ ही दिनो पहले अखबार मे एक खबर छपी थी-गुवाहाटी हाइ कोर्ट ने जेल मे बंद कैदियों की याचिका पर सुनवाई करते हुये सरकार को यह आदेश दिया था कि जेल मे बंद कैदियों के लिये केबल टी वी की सुविधा उपलब्ध कराई जाये ताकि कैदी समाचारों के साथ साथ साथ टी वी पर आने वाले सभी मनोरंजक कार्यक्रमों का भरपूर लुत्फ ले सकें ! यह समाचर कोई चौंकाने वाला नही है-देश भर की ज़ैलों मे बंद लगभग सभी कैदी करदाताओं के पैसे पर ज़ैलों मे ऐसे ही मौज़ उड़ा रहे है ! जब तक जेल से बाहर रहते है तो यह लोग बलात्कार और आतंकवाद जैसे जघन्य अपराध करते हैं और जब सरकार को लगता है कि अगर यह लोग जेल से बाहर रहे तो लोग इन्हे इनके दुष्कर्म की सज़ा के तौर पर इन्हे पीट पीट कर मार डालेंगे तो सरकार उन्हे अपना संरक्षण प्रदान करते हुये उन्हे जेल मे डालकर उनके लिये ऐसी सहूलियतें मुहैय्या करवा देती है जो शायद उन्होने अपने घर पर रहते हुये भी नसीब नही होती !

बलात्कारियों की पैरवी करने वाले वकीलों और मानवाधिकार संगठनो की बेशर्मी तो उस समय देखते ही बनती है जब यह लोग बलात्कारियों के बचाव मे आकर उनकी चरण वन्दना शुरु कर देते हैं ! यह लोग भी बलात्कारियों के तलवे इसीलिये चाटते है क्योंकि हमारी न्यायपालिका, कानून और सरकार सभी का लचीला रवैया बलात्कारी के पक्ष मे रहता है-जितने मर्ज़ी बलात्कार हो जाएं-मज़ाल है कि किसी बलात्कारी का बाल भी बांका हो जाये ! सरकार और उसके मंत्रियों का फ़र्ज़ सिर्फ गाल बजाकर पूरा हो जाता है -इसलिये उसे कुछ और करने की जरूरत ही नही है ! अभी हाल ही मे देश के इतिहास मे पहली बार किसी बलात्कारी को सड़कों पर घसीट घसीट कर मौत के घाट उतारा गया है-सरकार को यह बात इतनी नागवार गुजरी है कि उसने इस घटना के लिये एक-दो नही प़ूरे तीन वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुये उन्हे नौकरी से सस्पेंड कर दिया है ! जिन ऑफिसर्स को वीरता और अदम्य साहस के लिये  "अति विशिष्ट सेवा मैडल" जैसा कोई सरकारी पुरस्कार मिलना चाहिये था, उन्हे सरकार ने पुरस्कार दिया भी तो नौकरी से सस्पेंड करने का !

हाल ही मे बी बी सी ने कुख्यात निर्भया गैंग रेप पर बनी एक डॉक्युमेंटरी बनाई है जिसका उन्होने अपने यहाँ प्रसारण भी किया है-हमारी सरकार उस फिल्म को लेकर इतनी ज्यादा चिंतित हो गयी है कि उसके प्रसारण को रुकवाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रही है लेकिन सरकार ने अभी तक इस बात की कोई व्यवस्था नही की है कि इस सारे मामले के लिये जिम्मेदार बलात्कारियों और उनके समर्थक वकीलों को कैसे जल्द से जल्द मौत के घाट उतारा जाये ! नागालैंड मे जिस  बलात्कारी ने कई लड़कियों का रेप किया था और जिसे देश की जनता ने उचित दंड देते हुये मौत के घाट उतार दिया है-उस घटना से सरकार को सबक लेते हुये-इस बात के पुख्ता इंतज़ाम करने चाहिये कि बलात्कारी और उसके समर्थन मे खड़े हुये हर उस व्यक्ति को जनता के हवाले कर दिया जाये जिसके साथ हमारी न्यायपालिका समयाभाव के कारण न्याय करने मे असमर्थ है ताकि देश की समझदार जनता अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुये हर बलात्कारी और उसके समर्थक को सड़कों पर दौड़ा- दौड़ाकर मौत के घाट उतार सके !

कहने को तो सरकार ने "बेटी बचाओ" अभियान चलाया हुआ है-पिछली सरकारों ने भी ऐसे ही गाल बजाये थे लेकिन हकीकत मे लग ऐसा रहा है कि जब से देश आज़ाद हुआ है तब से ही "बलात्कारी बचाओ" अभियान जोर शोर से चल रहा है-यह बात इसी से साबित हो जाती है कि इस समय बी बी सी की निर्भया डॉक्युमेंटरी पर अनावश्यक विवाद चल रहा है लेकिन जो बलात्कारी और वकील इस बलात्कार के लिये दोषी है वे अभी भी मौज़ उड़ा रहे है और उनकी पिटाई अभी तक शुरु नही की गयी है !जब हमारी सरकार,कानून ,वकील और मानवाधिकार संगठन बलात्कारियों को बचाने के लिये इतनी मुस्तैदी के साथ खड़े नज़र आयेंगे तो उनके हौसले भला क्यों बुलंद नही होंगे और वे क्यो बार-बार बलात्कार नही करेंगे ?
 Published on 7/3/2015

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