केजरीवाल राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने आये हैं !

केजरीवाल जी राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने के लिये आये हैं-इस बात को खुद केजरीवाल, उनके साथी नेतागण,कार्यकर्ता और समर्थक हज़ारों बार चिल्ला चिल्ला कर कह चुके हैं ! राहुल,सोनिया,मनमोहन,लल्लू,माया,ममता,मुलायम,नीतीश सरीखे आला दर्जे के राजनेताओं और उनकी तथाकथित पार्टियों ने भी केजरीवाल जी के इस कदम का तहेदिल से स्वागत किया है और उन्हे उनके इस अभियान मे पूरा सहयोग करने का वचन भी दिया है ! वाम दलों की सहमति तो पहले से ही केजरीवाल जी के साथ ही थी ! सारे झगड़े और फसाद की जड भाजपा और उसके नेतागण हैं जो केजरीवाल जी की इस दूरदर्शिता को समझ नही पा रहे हैं और उन्हे वेवजह ही दिन रात लताड रहे हैं !

दरअसल हम लोगों के साथ परेशानी ही यह है कि जब भी कोई "अच्छा और ईमानदार आदमी " राजनीति की जगह व्यवस्था परिवर्तन करना चाहता है,हम उसे लताडना शुरु कर देते हैं ! आगे कुछ लिखने से पहले एक नज़र जरा केजरीवाल जी के तथाकथित व्यवस्था परिवर्तन पर भी डाल लेते हैं, ताकि जो भाजपा और उनके कमअक्ल समर्थक हैं,उनकी आंखे भी खुल सकें और वे केजरीवाल जी के इस अभूतपूर्व व्यवस्था परिवर्तन का पूरा आनन्द उठा सकें :

1.अभी तक व्यवस्था यह थी कि लोकसभा के चुनावों मे केन्द्र मे जिस पार्टी की सरकार हो, उसके खिलाफ चुनाव लड़े जाते थे- केजरीवाल जी ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुये इस व्यवस्था मे परिवर्तन लाने का फैसला किया है और वे लोकसभा चुनावों मे केन्द्र मे पिछले 10 सालों से दुष्कर्म कर रही कांग्रेस पार्टी की वजाये, विपक्ष और उसके पी एम प्रत्याशी मोदी को ही अपने निशाने पर लेने को व्यवस्था परिवर्तन मानते हैं! किसी दोषी आदमी को दंड देने की व्यवस्था अब पुरानी हो चुकी है-अब तो दंड उसे दिया जायेगा जिसका कोई दोष ना हो- इसी तर्ज़ पर केन्द्र मे बैठी सरकार के दुष्कर्मों का सारा दंड अब विपक्ष मे बैठी भाजपा भुगतने के लिये तैयार रहे !


2.अभी तक यह भी व्यवस्था थी कि लोकसभा चुनावों मे केन्द्र मे बैठी दुष्कर्मों मे लिप्त सरकार के कामकाज पर मीडिया मे जोर शोर से चर्चा हो-यह व्यवस्था सड़ी गली है-केजरीवाल जी चाहते हैं कि केन्द्र मे बैठी सरकार ने पिछले 10 सालों मे जितने मर्ज़ी दुष्कर्म किये हों, उनकी चर्चा का मौका मीडिया को हर्गिज़ नही देना चाहिये-लिहाज़ा केजरीवाल और उनके सभी सखा सहयोगियों ने यह फैसला किया है कि वे सब मिलकर 24 घंटे ऐसी ऐसी रोचक नौटकियां किया करेंगे कि मीडिया उन्ही को दिखाने मे 24 घंटे उलझा रहे और केन्द मे बैठी सरकार के दुष्कर्मों पर चर्चा करने के लिये मीडिया के पास समय ही ना बचे !

3. एक और वाहियात सी व्यवस्था अभी तक मौजूद है-वह यह कि देशद्रोहियों,आतंकवादियों और अलगाववादियों को वेवजह ही कड़ा दंड दिया जाता है-इन लोगों को अपना काम बेरोकटोक करते देना चाहिये ! अभी हाल ही मे मेरठ की एक यूनिवर्सिटी मे 67 देशद्रोहियों ने "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाये तो यू पी की सरकार ने उन पर केस दर्ज़ करने का नाटक किया और जैसे ही प्रदेश के मुख्य मंत्री जी को उमर अब्दुल्ला और केजरीवाल जी की भावनाओं का पता चला, उन्होने केस वापस लेने मे एक पल की भी देर नही लगाई-आखिर केजरीवाल जी व्यवस्था परिवर्तन करना चाहते है और किसी "सेक्युलर" आदमी की क्या मज़ाल जो इसका विरोध कर सके !

अब यह सवाल तो केजरीवाल जी से कोई पूछ नही सकता कि व्यवस्था परिवर्तन की यह रोचक और आनंदवर्धक नौटंकी वे किसके इशारे पर और किसको फायदा पहुंचाने के लिये कर रहे हैं-क्योंकि नयी व्यवस्था के अनुसार सवाल पूछने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल जी को है !
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Published on 21/3/2014

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