चुनाव आयोग "निष्पक्ष" है तो यह धाँधली कैसी ?
देश मे चुनावी माहौल है और चुनाव ठीक तरीके से संपन्न हों, इसमे चुनाव आयोग की मुख्य भूमिका रहती है-चुनाव आयोग, हालांकि एक संवैधानिक संस्था है और उस पर किसी तरह का कोई सरकारी दबाब नही होना चाहिये ! संवैधानिक संस्थाएं अगर सत्ता मे बैठे लोगों के इशारे पर काम करना शुरु कर देंगी, तो देश मे निष्पक्ष रूप से चुनाव कराना संभव ही नही रह जायेगा ! राजनीतिक पार्टियाँ ठीक तरह से चुनाव प्रक्रिया चलने दें और कुछ ऐसा ना करें जिससे निष्पक्ष चुनाव होने मे गतिरोध उत्पन्न हो सकता हो, यह सुनिश्चित करना भी चुनाव आयोग का काम है और इसके लिये ही चुनाव आचार संहिता बनाई जाती है ! खेद का विषय सिर्फ यही है कि चुनाव आचार संहिता की लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा धज्जियाँ उडाई जा रही है !लेकिन इस सबके लिये राजनीतिक पार्टियाँ कम,खुद चुनाव आयोग ज्यादा दोषी नज़र आ रहा है !
आइए चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और चुनाव आयोग द्वारा उस पर की गयी कार्यवाही पर एक नज़र डालते हैं :
1.चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का पहला मामला तब आया था जब उत्तर प्रदेश की एक यूनिवर्सिटी मे पुलिस ने 67 देशद्रोही छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज़ किया था और उन देशद्रोहियों को बचाने और यह सुनिश्चित करने के लिये कि इन देशद्रोहियों के ऊपर से यह देशद्रोह का मामला वापस हो जाये-उमर अब्दुल्ला, अखिलेश यादव और केजरीवाल जैसे तथाकथित "सेक्युलर" नेताओं ने अपनी वोट बैंक की तुष्टिकरण नीति को अपनाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और उन देशद्रोहियों के ऊपर से ना सिर्फ देशद्रोह का मामला वापस ले लिया गया, उन लोगों को सुरक्षित रूप से भागने की भी छूट प्रदान की गयी ! चुनाव आयोग ने इन तीनो अपराधियों के खिलाफ ना कोई नोटिस जारी किया, ना एफ आई आर दर्ज़ कराई और ना ही कोई गिरफ्तारी सुनिश्चित की ! हद तो यह हो गयी जब चुनाव आयोग ने इस बेहद गंभीर मामले का संज्ञान तक नही लिया !
2. चुनाव आयोग ने अगर इस मामले मे कोई ठोस कार्यवाही की होती तो बाकी के नेताओं के हौसले बुलंद ना हुये होते-लेकिन ऐसा हुआ नही और आचार संहिता के उल्लंघन को दूसरा बड़ा मामला तब सामने आया जब कांग्रेस पार्टी की सर्वेसर्वा सोनिया गाँधी, शाही इमाम से मिलकर यह अपील करवाती हुई रंगे हाथों पकड़ी गयी जब शाही इमाम ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से सिर्फ कांग्रेस पार्टी को वोट देने के लिये कहा ! इन दोनो अपराधियों के प्रति भी चुनाव आयोग का रवैय्या नर्म ही रहा और आज तक कोई कार्यवाही इनके खिलाफ नही हुई है !
3.आचार संहिता उल्लंघन का तीसरा बड़ा मामला तब बना था जब स्वघोषित समाजवादी और सेक्युलर नेता मुलायम सिंह ने खुलकर "रेप" करने वालों का समर्थन करते हुये उनके द्वारा किये जाने वाले "रेप" को "लड़कों से हो जाने वाली छोटी मोटी गलती" बताकर वोट बैंक की राजनीति करने की कोशिश की थी ! इन्ही की पार्टी के एक दूसरे नेता अबू आज़मी ने रेप के लिये महिलाओं को ही दंडित करने तक की बात कह डाली !जैसी उम्मीद थी, चुनाव आयोग इन अपराधियों के खिलाफ भी इस मामले मे कोई कार्यवाही नही कर सका !
4.आचार संहिता उल्लंघन का चौथा बड़ा मामला इमरान मसूद द्वारा मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान को लेकर बना और भयंकर जन आक्रोश एवं मीडिया के दबाब के चलते चुनाव आयोग ने पहली बार कुछ सख्ती दिखते हुये इस मामले मे कुछ ठोस कार्यवाही की लेकिन एफ आई आर ऐसी धाराओं मे दर्ज़ की गयी कि मसूद को फटाफट अदालत से जमानत मिल गयी !
5.समाजवादी नेता आज़म खान हालांकि दैनिक रूप से ही चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे, एक बार आयोग ने उन पर भी कार्यवाही की !
6.केन्दीय मंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हुये विवादास्पद बयान दिया कि सभी मोदी समर्थकों को समुन्दर मे डूब कर मर जाना चाहिये-लेकिन चुनाव आयोग ने इस अपराधी के खिलाफ कार्यवाही की बात तो दूर, इस गंभीर बात का संज्ञान तक नही लिया ! ममता बनर्जी,लल्लू यादव,केजरीवाल और बेनी प्रसाद जैसे लोगों के लिये तो मानो चुनाव आयोग का कोई वज़ूद ही नही है और ये लोग आये दिन(चुनाव आचार संहिता की परवाह किये बिना) जो जी मे आये बोलते रहते हैं !
7. जितनी मुस्तैदी और जल्दबाज़ी चुनाव आयोग ने अमित शाह, गिरिराज किशोर, योगगुरु रामदेव और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज़ करने मे लगाई, अगर उससे आधी मुस्तैदी भी चुनाव आयोग ने अन्य सभी मामलों मे दिखाई होती तो चुनाव आयोग जैसी संस्था के प्रति लोगों का विश्वास निश्चित रूप से डगमगाया नही होता !
जहां तक निष्पक्ष रूप से वोटिंग की बात है, चुनाव आयोग यहाँ भी ठीक से काम नही कर सका है ! नीचे दिये गये वीडियो लिंक पर अगर जाकर देखेंगे तो आपको मालूम पड जायेगा कि देश के दूर दराज़ वाले क्षेत्रों मे कैसे निष्पक्ष वोटिंग हो रही है ! यह तस्वीर असम की है और 27 अप्रैल 2014 को इसका वीडियो लिंक मैने मुख्य चुनाव आयुक्त को भी भेज दिया है लेकिन उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल और बिहार जहां पहले से ही जंगल राज चल रहा है, वहा भी चुनावों मे इसी तरह से हुई धाँधली से इंकार नही किया जा सकता !
यह रहा चुनावों मे हुई धाँधली के नमूने का वीडियो लिंक :
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Published on 5/5/2014
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