CBI छापे से केजरीवाल बेचैन क्यों ?
दिल्ली के मुख्य मंत्री के प्रधान सचिव के दफ्तर और घर पर आज सी बी आई ने छापेमारी करके लाखों रुपये नकद और बेनामी जायदादों के दस्तावेज बरामद किये है. केजरीवाल ने तुरंत इस छापेमारी का विरोध करते हुये देश के प्रधानमंत्री पर अभद्र भाषा मे गाली गलौज़ की बौछार शुरु कर दी है और उन्हे "कायर और मानसिक रोगी" तक कह डाला है.
सवाल यह है कि क्या सी बी आई को उन सभी भ्रष्ट अफ़सरों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे देनी चाहिये, जिनके ऊपर केजरीवाल का वरदहस्त है ? अगर ऐसा नही है तो क्या केजरीवाल जी अपनी चिर परिचित बौखलाहट छोड़कर यह बताने की तकलीफ करेंगे कि सी बी आई ने आखिर गलत क्या किया है ?
भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करने की नौटंकी करते हुये और "जनलोकपाल" का झुनझुना बजाते हुये आदरणीय अरविन्द केजरीवाल जी दिल्ली की सत्ता हथियाने मे तो कामयाब हो गये हैं लेकिन उन्हे अपने ही दुष्कर्मों के चलते, आगे की राह काफी कठिन लग रही है -इसीके चलते जबसे उनकी सरकार बनी है, शायद ऐसा कोई भी दिन नही गया जब इन्होने,इनके साथियों ने या फिर इनकी तथाकथित सरकार ने कोई विवादास्पद काम ना किया हो और उस सबका ठीकरा पी एम मोदी के सिर ना फोड़ा हो. या तो केजरीवाल जी यही समझते हैं कि "भ्रष्टाचार" की परिभाषा वही होगी, जैसी वह चाहते हैं या फिर वह यह स्वीकार करते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका आन्दोलन एक नौटंकी मात्र थी और देश की जनता को बेबकूफ बनाकर सत्ता के सिहासन तक पहुंचने का जरिया मात्र था.
सी बी आई के छापों पर केजरीवाल की जिस तरह से बौखलाहट भरी और बेचैनी से मिश्रित प्रतिक्रिया आई है, उसके दूरगामी परिणाम होंगे. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का सी बी आई छापों मे सुबूतों के साथ रंगे हाथों पकड़े जाना और मुख्यमंत्री महोदय का देश के पी एम को गाली गलौज करते हुये अपने प्रधान सचिव का बचाव करना देश की जनता को उन्ही दिनो की याद दिला रहा है जब पिछले 60 सालों के कुशासन मे दैनिक रूप से अरबों खरबों के घोटालों से देश मे लूटमार का माहौल बना हुआ था. अभी तो गनीमत है कि दिल्ली पुलिस केजरीवाल जी के अधीन नही है. अगर दिल्ली पुलिस भी केजरीवाल जी के अधीन कर दी जाये तो फिर क्या क्या हो सकता है-इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है.
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Published on 15/12/2015
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