क्या मोदी अपना "राज-धर्म" निभा पायेंगे ?
पिछले लगभग 12 सालों से जिन असामाजिक, अराजक और देश विरोधीताकतों ने मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार चला रखा था, उन सभी के मुंह पर जनता ने हालांकि करारा तमाचा जड दिया है, लेकिन समस्या वही है कि जैसे "कुत्ते की दुम" को सीधा नही किया जा सकता, उसी तरह इन मोदी विरोधी ताकतों का मानसिक असुंतलन भी ठीक नही किया जा सकता ! हालांकि शर्मा-शर्मी मोदी के खिलाफ लिखने-बोलने वालों पर 16 मई के बाद कुछ लगाम लगी थी, लेकिन आदत से मजबूर यह देश विरोधी तत्व एक बार फिर से अपना सर उठाने लगे हैं और इनके "मोदी विरोधी दुष्प्रचार" का सिलसिला अपने आकाओं के इशारे पर एक बार फिर से शुरु हो चला है !
हाल ही मे पुणे मे कुछ तथाकथित असामाजिक तत्वों ने किसी अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की उसके किसी तथाकथित दुष्कर्म के लिये दंडित करते हुये उसकी हत्या कर दी ! अब जिन लोगों के दिमाग से अभी तक "सेकुलरिज्म के पाखंड" का भूत उतरा नही है, उन्होने आव देखा ना ताव, इस घटना के लिये भी मोदी को कोसना शुरु कर दिया और मोदी को "राज धर्म" की भी याद दिलाने लगे ! यह पाखंडी यह भूल गये कि पुणे महाराष्ट्र मे आता है और वहा अभी तक कांग्रेस की सरकार है और सभी दोषियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करने की और "राज धर्म" निभाने की जिम्मेदारी कांग्रेस सरकार की है, ना की मोदी की !
सवाल यह है कि "सेकुलरिज्म के इन पाखंडियों" को राज धर्म की जब भी याद आती है, मोदी के संदर्भ मे ही आती है ! जैसे कि मोदी और भाजपा को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों और नेताओं को "राज धर्म " के पालन करने से छूट मिली हुई हो ! उत्तर प्रदेश मे भले ही सरकार द्वारा दंगे प्रायोजित कराये जाये, हर रोज सरकार अपराधियों को सामूहिक बलात्कारों के लिये प्रोत्साहित करे या फिर अपराधियों को संरक्षण देकर खुले आम राजनीतिक विरोधियों की हत्याएं करवाये, इन पाखंडियों को मुलायम्, अखिलेश या सपा के "राज धर्म" की बिल्कुल भी याद नही आती है-और आये भी क्यों ? इन्ही लोगों के सहारे तो इन पाखंडियों की रोजी रोटी चल रही है !!!
दिल्ली मे हाल ही मे आये भयंकर आंधी-तूफ़ान के बाद बिजली कम्पनियों का ढुलमुल इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग तहस नहस हो गया और बिजली की उपलब्धता होने के बाबजूद उसे घर घर तक पहुंचाने का भयंकर संकट उत्पन्न हो गया है ! एक तरफ तो रेकार्ड तोड गर्मी और ऊपर से लोगों को बिजली की किल्लत ! बस कांग्रेस और केजरीवाल को तो दिल्ली मे आ रहे विधान सभा चुनावों की राजनीति से मतलब है सो यह भूलकर कि इस सारी मुसीबत के लिये वे दोनो खुद दोषी है, हफ्ते भर पहले बनी मोदी सरकार को कोसने लगे ! अगर इन लोगों ने बिजली का वितरण निजी कम्पनियों को सौंपने से पहले इस बात की भी व्यवस्था की होती कि यह कम्पनियाँ दिल्ली मे बिजली वितरण के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी समय समय पर कुछ खर्च करेंगी, तो आज यह मुसीबत नही आई होती ! केजरीवाल ने तो अपनी आदत के अनुसार एक ऐसी हास्यास्पद बात भी कह दी, जिसे शायद कांग्रेसी भी कहते हुये शरमायें-वह यह कि उनके 49 दिन के कार्यकाल मे जब दिल्ली मे भयंकर ठंड पड रही थी, उन्होने जनता को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई और जनता पर बड़ा उपकार किया !!! मतलब यह कि दिल्ली मे जो आंधी तूफ़ान आ गया उसके लिये भी मोदी और भाजपा एक हफ्ते के अंदर जबाबदेह हो गये और जो लोग पिछले 15 सालों से बिजली कम्पनियों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ध्यान नही दे रहे थे और अपनी ही मस्ती मे मस्त थे, वे अब मोदी और भाजपा को "राज धर्म" का पाठ पढ़ाने निकल पड़े हैं !
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rajeevg@hotmail.com
Published on 10/6/2014
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