साम्प्रदायिक दंगों के लिये जिम्मेदार कौन ?

देश आज़ाद होने के बाद अब तक की सबसे बड़ी "हार" और "मार" झेलने के बाद भी सेकुलरिज्म का पाखंड करने वाले तथाकथित राजनीतिक दल और उसके सहयोगी दलों की बौखलाहट छुपाये नही छुप रही है ! अपनी हार से ज्यादा सदमा इन पाखंडियों को इस बात का पहुँचा है कि इनकी लाख कोशिशों के बाबजूद देश मे एक स्थिर राष्ट्रवादी सरकार की स्थापना कैसे हो गयी और इन्होने देश को जाति-धर्म और सम्प्रदाय मे बांटने के जो नापाक मंसूबे बना रखे थे,उन पर देश की देशभक्त जनता ने कैसे पानी फेर दिया ! सेकुलरिज्म की नौटंकी करने वाले जो लोग गलती से और तुक्के से जैसे तैसे जीतकर संसद मे पहुंच भी गये हैं, उन लोगों ने एक बार फिर देश हित के मुददों का विरोध और फ़िज़ूल के मुददो को जोर शोर से संसद मे उठाने का बीड़ा उठा लिया है ! अभी कुछ दिनो पहले ही किसी शिवसेना सांसद ने अल्पसंख्यक समुदाय के एक निकम्मे कर्मचारी को अपनी ही बनाई रोटी खिलाने की चेष्टा मात्र ही की थी-बस इन बौखलाये पाखंडियों ने देश की संसद मे वेवजह कोहराम मचा डाला ! मोदीजी की नेपाल मे की गयी पशुपतिनाथ मंदिर मे पूजा पर भी इन लोगो ने देश की संसद मे वेवजह अपनी छाती पीटनी शुरु कर दी!

इस घटना से कुछ ही दिनो पहले एक घटना जम्मू-कश्मीर मे हुई थी जहां सैकड़ों अमरनाथ के तीर्थयात्रियों के साथ बेहद आपत्तिजनक लूटपाट और बदसलूकी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने अंज़ाम दी ! अभी हाल ही मे मेरठ के एक गांव मे एक बहुसंख्यक समुदाय की महिला के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ नरपिशाचों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और वह दुष्कर्म भी मदरसों के अंदर अंज़ाम दिया गया ! कायदे से देखा जाये तो संसद मे सिर्फ और सिर्फ इन नरपिशाची वारदातों की चर्चा होनी चाहिये लेकिन "सेकुलरिज्म" का पाखंड करने वाले तथाकथित राजनीतिक दल और उनके तथाकथित नेता कभी सपने मे भी देश हित की बात नही सोच सकते इसलिये ऐसी नरपिशाची घटनाएं जिनके लिये "सेकुलरिज्म" का पाखंड करने वाले ये राजनीतिक दल ही कहीं ना कहीं जिम्मेदार होते हैं, उन्हे संसद मे उठाकर अपनी पोल नही खुलवाना चाहते !

इन नरपिशाची वारदातों के खिलाफ ना तो अपने भगवंत मान जी कोई कविता लिख पा रहे हैं और ना ही नौटंकी पार्टी के कोई और नेताजी कुछ कर पाने की स्थिति मे दिखाई दे रहे हैं-कायदे से इन लोगों को मेरठ के उस गांव मे जाकर धरने पर बैठना चाहिये था जहां एक महिला के साथ कुछ नरपिशाचों ने सामूहिक दुष्कर्म किया है और अपना धरना तब तक जारी रखना चाहिये जब तक सभी दोषियों को इनकी आंखो के सामने फांसी पर नही लटका दिया जाता ! लेकिन इन लोगों को तो जन्‍तर मन्‍तर पर बैठने की लत पड़ी हुई है सो वही बैठकर उन हारी और धिक्कारी हुई पार्टियों के कार्यकर्ताओं का समर्थन कर रहे हैं जो सिविल सर्विसेज छात्रों का नकली भेष बनाकर जन्‍तर मन्‍तर पर बैठकर अपने आकाओं का हुक्म बजाने के लिये मजबूर हैं !

इन्ही "सेक्युलर" कही जाने वाले लोगों के दबाब मे मीडिया के एक खास वर्ग ने जहां रोटी खिलाये जाने की मामूली सी घटना को अपने अखबार के पहले पन्ने पर नमक मिर्च लगाकर परोसा था, वही मीडिया इन नरपिशाची घटनाओं को पहले पन्ने पर छापने से अब तक बचता रहा है !



"सेकुलरिज्म का पाखंड" करने वाले इन तथाकथित नेताओं को देश के किसी भी भाग मे आनन फानन मे साम्प्रदायिक दंगे आयोजित और प्रायोजित कराने मे खासी महारत हासिल है और इसके लिये इन लोगो ने शुरु से ही एक मूलमंत्र बनाया हुआ है-"दंगे खुद करवाओ और उसका सारा दोष भाजपा या आर एस एस के सर पर मढ दो !" अब यह हारे हुये खिलाड़ी वही काम कर रहे हैं, जिसमे इन लोगों की महारत है-जब से देश मे एक स्थिर और राष्ट्रवादी सरकार बनी है इन लोगों ने जगह जगह साम्प्रदायिक दंगे करवाने शुरु कर दिये है और उनका आरोप भी भाजपा पर लगाना शुरु कर दिया है ! अपने इस झूठ को सच बनाने के चक्कर मे इनके एक तथाकथित वरिष्ठ नेता ने तो कल देश की संसद मे अपना आपा भी खो दिया और ऐसा व्यवहार किया जिसे सिर्फ बेहूदगी और घोर हताशा ही कहा जा सकता है ! अपने खोये हुये राजनीतिक वजूद को तलाशते यह लोग इस तरह के हास्यास्पद व्यवहार से अपने वजूद को बचा पायेंगे-उसमे संदेह है ! संकेत यही हैं कि उनकी यह जन विरोधी यात्रा 44 से 4 और 4 से शून्य की तरफ उन्हे काफी तेजी से आगे ले जाने मे कामयाब होगी !
Published on 7/8/2014

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