"सूटकेस" वालों के अच्छे दिन कब आयेंगे ?

"अच्छे दिनो" के वायदे पर बनी मोदी सरकार ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है लेकिन काफी लोगों की शिकायत यह है कि "सबका साथ-सबका विकास" का वायदा करने वाली मोदी सरकार आखिर ऐसा भेदभाव और नाइंसाफी कैसे कर सकती हैं कि इस एक साल मे जहां देश की जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग तो इस बात से काफी संतुष्ट और प्रफुल्लित नज़र आ रहा है कि पिछले 60 सालों के घोर कुशासन के बाद उनके अच्छे दिन आ गये हैं, वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जिसके अच्छे दिन अभी तक नही आ सके हैं ! आगे बढ़ने से पहले यह देख लेते हैं कि जिस वर्ग के अच्छे दिन अभी तक नही आ सके हैं, उस वर्ग मे कौन कौन लोग शामिल हैं :

1. जो लोग पिछले 60 सालों से देश मे जबरदस्त कुशासन,भ्रष्टाचार और घोटालों के लिये जिम्मेदार थे और जिनके शासनकाल मे राष्‍ट्रीय संशाधनो की जबरदस्त बंदरबाँट हुई थी, उनके अच्छे दिन तो क्या, दरअसल बुरे दिन आ गये हैं-लिहाज़ा इनकी शिकायत जायज़ लगती है !

2.देशद्रोही,आतंकवादी,अलगाववादी और बात बात मे दुश्मन देश पाकिस्तान का साथ देने वाले लोग, "पाकिस्तान जिंदाबाद" का नारा लगाने वाले और उसका समर्थन करने वाले लोग,या फिर देशद्रोहियों,अलगाववादियों और आतंकवादियों के तलवे चाटने वाले लोगों के भी अच्छे दिन अभी तक नही आये हैं !

3. "अल्पसंख्यक तुष्टिकरण" करने के लिये जिन लोगों ने पिछले 68 सालों से देश भर मे "सेकुलरिज्म" के दुकाने खोल रखी थी, उनकी दुकाने दरअसल धीरे धीरे बंद होने के कगार पर है-जाहिर सी बात है कि इन लोगों के भी अच्छे दिन अभी तक नही आ सके हैं !

4. दुनिया की सबसे अधिक भ्रष्ट पार्टी के लोगों को जब यह लगने लगा कि उनके बुरे दिन आने वाले हैं तो उन्होने एन चुनावों से पहले अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों को इकट्ठा करके एक नौटंकी पार्टी का गठन करवा दिया जो अपने ईमानदार होने का ढोल पीट पीट कर लोगों को बेबकूफ बना सके और अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता पर उन्ही का क़ब्ज़ा बना रहे-हालांकि वे लोग इस काम मे पूरी तरह नाकाम रहे और ज्यादातर जगहों पर अपनी जमानत भी गंवा बैठे, लेकिन एक अपूर्ण राज्य जिसके तथाकथित मुख्यमंत्री के अधिकार नगरमहापालिका अध्यक्ष के बराबर होते हैं, वहां पर यह लोग जैसे तैसे सत्ता हथियाने मे कामयाब हो चुके है लेकिन दुर्भाग्य से अच्छे दिन इनके भी नही आये है क्योंकि सत्ता मे आने के बाद काम भी करना पड़ता है जो इन लोगों के बस का नही है ! अच्छे दिनो की तलाश के लिये यह लोग उतने अधिकारों की मांग कर रहे है जितने शायद अमेरिका के राष्ट्रपति के पास भी नही हैं ! जाहिर है कि इस नौटंकी पार्टी के नेताओं,कार्यकर्ताओं और समर्थकों के भी अच्छे दिन दुर्भाग्य से अभी तक नही आ सके हैं !

ऊपर जिन चार तरह के लोगों के अच्छे दिन एक साल पूरा होने पर भी नही आ सके हैं, उन्हे इस बात की कोई उम्मीद नही है कि आगे आने वाले समय मे भी उनके अच्छे दिन आ पायेंगे-लिहाज़ा इन सब लोगों ने संयुक्त रूप से इस बात का फैसला कर लिया है कि ये सब लोग मिलकर अदालत का दरवाज़ा खटखटा कर अपने लिये अच्छे दिनो की मांग करेंगे और सुबूत के तौर पर मोदी सरकार के चुनाव घोषणा पत्र का वह अंश लगाएंगे जिसमे उन्होने -"सबका साथ-सबका विकास" करने की बात कही थी ! यह लोग अपनी चालबाज़ी मे कितने कामयाब हो पायेंगे यह तो आने वाला समय ही बतायेगा !
Published on 27/5/2015

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