'गुजरात के गधों' से कैसे निपटेगी कांग्रेस?
उत्तर प्रदेश में आजकल चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और सभी पार्टियां और उनके नेता जनता को अपनी और आकर्षित करने के लिए तरह तरह के बयान दे रहे हैं. कोई नेता विकास की बात कर रहा है तो कोई नेता विकास के वजाए कोरी लफ़्फ़ाज़ी और बयानबाज़ी से ही चुनाव जीतने के सपने देख रहा है.
कांग्रेस ने अपनी डूबती नैया को पार लगाने के लिए यहां समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है और अखिलेश यादव-राहुल गाँधी संयुक्त रूप से चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए किसी तरह से यह उम्मीद लगाए हुए हैं कि जैसे तैसे करके इस बार भी यह लोग सत्ता हथियाने में कामयाब हो जाएँ -फिर ५ साल तक तो जमकर मौज़ करनी है.
लेकिन चुनावी विश्लेषकों और जनता के बीच से जिस तरह कि जमीनी हकीकत की रिपोर्ट इन लोगों के पास पहुँच रही है, उसमे इन लोगों के सफाये की खबर ने , पहले से ही निराशा में डूबे हुए इस गठबंधन को घोर हताशा की और धकेल दिया है और यह लोग अपनी हताशा में ऐसे ऐसे अनर्गल बयान दिए जा रहे हैं, जिनका न कोई सिर नज़र आ रहा है और न पैर. इसी तरह का बेतुका बयान देते हुए पिछले दिनों एक चुनावी सभा में सपा-कांग्रेस गठबंधन की अगुआई कर रहे अखिलेश यादव ने गुजरात की जनता को गधा कहकर न सिर्फ गुजरात के लोगों का अपमान किया, बल्कि चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायलय के उन दिशा निर्देशों कि भी धज्जियाँ उड़ा डालीं जिनके अनुसार किसी भी धर्म, जाति या समुदाय को अपने चुनावी लाभ के लिए निशाना न बनाने की सख्त हिदायत दी गयी है.
चुनावों में हार जीत तो लगी रहती है लेकिन आने वाली संभावित हार से इतनी भी हताशा नहीं होनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश के चुनाव तो हाथ से जाएँ ही, साथ ही इसी साल गुजरात में होने वाले विधान सभा चुनावों में भी कांग्रेस का पहले की तरह सूपड़ा साफ़ हो जाए.
इसी वर्ष गुजरात में भी विधान सभा चुनाव होने हैं. गुजरात के लोग गधे हो सकते हैं, लेकिन इतने गधे नहीं हो सकते कि उन्हें गधा कहने और समझने वालों को वे चुनावों में माकूल जबाब न दे सकें. जिस गुजरात की जनता को कांग्रेस और उनके सहयोगी विपक्षी दल गधा समझते हों, वे किस मुंह से “गुजरात के इन गधों” से वोट मांगने जाएंगे, यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
गुजरात के लोगों को गधा बताने वाले इस बयान की भाजपा को छोड़कर किसी और राजनीतिक दल ने अभी तक निंदा नहीं की है. आम आदमी पार्टी गुजरात विधान सभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाना चाहती है लेकिन सोशल मीडिया पर इस पार्टी के समर्थक भी सपा-कांग्रेस के इस शर्मनाक बयान पर तालियां बजाते नजर आ रहे हैं. गुजरात क़ी जनता इन लोगों को आगामी विधान सभा चुनावों में किस तरह से दण्डित करेगी, उसका शायद इन लोगों को लेशमात्र भी अंदाजा नहीं है.
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