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बहुत मंहगी पड़ेगी ये "मोदी ब्रांड" चाय !

जी हाँ यहाँ किसी पांच सितारा होटल मे 100-200 रुपये मे एक कप मिलने वाली घटिया चाय की बात नही हो रही है. यहाँ उस चाय की बात हो रही है जिसके सपा नेता नरेश अगरवाल से लेकर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर तक दीवाने हैं और उस चाय का एक घूँट पीने के लिये ये दोनो नेता और इनकी पार्टियाँ युगों युगों से तरस रही हैं. कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी राजनीतिक दल और उत्तर प्रदेश मे गुंडा राज की स्थापना करने वाली पार्टी सपा के नेता जब यह बोले कि मोदी तो चiय बेचने वाले हैं और वह क्या खाकर पी एम बनेंगे, तो किसी को बहुत ज्यादा हैरानी नही हुई- दरअसल उत्तर प्रदेश को पूरी तरह से जंगल राज मे तब्दील कर चुके सपा के नेताजी की योजना यह थी कि धीरे धीरे इस गुंडा राज और जंगल राज की स्थापना  प़ूरे   भारत मे की जाये क्योंकि सभी देशवासियों का यह पूरा अधिकार है कि उन्हे भी इस अभूतपूर्व गुन्डाराज और जंगलराज का आनन्द मिले-यह आनन्द सिर्फ उत्तर प्रदेश के लोगों की बपौती थोड़े ही है-लेकिन सपा के मनसूबों पर तब पानी फिरने लगा जब सब तरफ से यह चुनाव सर्वे आने लगे कि मोदी जी उत्तर प्रदेश मे भी जंगल और गुंडा राज को समाप्त करने का मन बना

तीसरे मोर्चे की अंतिम यात्रा निकलेगी इस बार ?

हिन्दी मे एक बड़ी ही मशहूर कहावत है-धोबी का कुत्ता, न घर का ना घाट का ! हमारे बड़े बुजुर्गों ने पता नही क्या सोचकर यह कहावत बनाई होगी लेकिन उन्हे क्या मालूम था कि उनकी बनाई हुई यह कहावत आज की तथाकथित राजनीति मे समय समय पर बनने वाले "थर्ड फ्रंट " यानि कि तीसरे मोर्चे पर बखूबी लागू हो जायेगी ! पहले तो यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह तीसरा मोर्चा है किस चिड़िया का नाम ? दरअसल कुछ ऐसे नेता और राजनीतिक दल हमारी व्यवस्था मे अपने आप पैदा हो गये हैं जिनका मुख्य कार्य ही देश, समाज और सरकार के अंदर "अव्यवस्था" पैदा करना है ! यह वे लोग हैं जो गलती से किसी तरह जीत कर विधान सभा या संसद मे पहुंच तो जाते हैं लेकिन उसके बाद क्या करें, उसका पता ना तो इन्हे होता है और ना ही उस जनता को जो इनको चुनकर भेजती है. ये वह राजनीतिक दल या नेता होते हैं जो चुनावों से पहले तो जनता से यही कहते रहते हैं कि हम किसी भी दूसरे दल के साथ किसी भी तरह का कोई गठबंधन नही करेंगे और सभी 545 सीटों पर चुनाव लडकर किसी ना किसी तरह प्रधान मंत्री बन जायेंगे, लेकिन जैसे जैसे चुनावों का समय नज़दीक आता है औ

केजरीवाल को पी एम बनने से कोई नही रोक सकता !

दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के  अभूतपूर्व  नेता अरविन्द केजरीवाल जी को पिछले कुछ दिनो से इस बात का खूब शौक चर्राया हुआ है कि वह बिना मांगे ही लोगों को ईमानदारी और बेईमानी का प्रमाण पत्र दे देकर खुद को धन्य समझ रहे हैं-मीडिया ने भी एकता कपूर के सास बहू के धारावाहिकों को छोड़कर इस चटपटी नौटंकी पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करने मे ही अपनी भलाई समझ ली है. खबर तो यह भी आ रही है की खुद एकता कपूर ने अपनी बदहाली से परेशान होकर यह फैसला किया है कि अब वह सिर्फ एक ही सीरियल पर अपना ध्यान केन्द्रित करके मनचाहा पैसा कमाएँगी. सीरियल का नाम होगा-"केजरीवाल को पी एम बनने से कोई नही रोक सकता." यह धारावाहिक लोगों को तब तक झेलना पड़ेगा जब तक केजरीवाल जी का पी एम के रूप मे राज्याभिषेक नही हो जाता. इशारा सॉफ है कि या तो केजरीवाल को पी एम बनाओ या फिर 24 घंटे हर चैनल पर यह सीरियल देखो-इस सीरियल को बनाने मे कलाकारों का खर्चा कोई नही आयेगा-यह भी एक बहुत बड़ी बचत होगी,क्योंकि कलाकारों की तो केजरीवाल साहब के पास कोई कमी नही है. सर्वगुण संपन्न और अनोखी प्रतिभा से युक्त ये कलाकार

चंदा वसूलने के लिये किये जा रहे हैं अंबानी पर हमले ?

मुकेश अंबानी ने देश को लूट लिया-अनिल अंबानी ने भी देश को लूट लिया ! अब हम लुटे पिटे मरे कुचले लोग जाएं तो जाएं कहाँ ? यह लोग सभी राजनीतिक दलों को दिल खोलकर चंदा देते हैं क्योंकि इस चंदे से सभी राजनीतिक दल अपना चुनाव प्रचार करते हैं-लेकिन यह लुटेरे इतने अजीब है कि अभी तक इन लोगों ने राजनीति मे हमारी उपस्थिति का संज्ञान ही नही लिया ! अगर बाकी के राजनीतिक दल राजनीति कर रहे हैं तो हम राजनीति मे क्या जनसेवा करने के लिये आये है जो चंदा बाकी के राजनीतिक दलों को मिलता है-एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल होने के नाते उस चंदे पर हमारा भी तो उतना ही हक है- देखा जाये तो हमारा हक कुछ ज्यादा ही है क्योंकि हम राजनीति मे नये नये आये हैं और हमारी जरूरतें भी कुछ ज्यादा ही है क्योंकि चुनाव प्रचार के अलावा हमे एक और भारी खर्चे का सामना भी करना पड सकता है दरअसल हम लोगों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिये लोगों पर भ्रष्टाचार के अनाप शनाप मनगढ़ंत और झूठे आरोप लगा तो दिये है-सब लोगों के पास तो मानहानि का दावा ठोंकने के लिये समय नही है लेकिन अगर कुछ लोगों ने भी हमारे ऊपर मानहानि का दावा ठोंक दिया तो हमारी बची

इस तरह बनेंगे केजरीवाल पी एम !

अन्ना हज़ारे यकायक भारत की राजनीति  मे पूरी तरह से सक्रिय होकर कूद पड़े है और राजनीति मे एक एक कर करके जितने भी खोटे सिक्के हैं, उनको आज़माकर उन पर अपना दाव खेलने के चक्कर मे हैं ! इस सारी कवायद मे यह भी सॉफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ किये गये अपने तथाकथित आन्दोलन से उन्होने जनता की जितनी भी सहानुभूति और सम्मान पाया था, उसकी भी उन्होने लगभग बलि चढ़ाने का फैसला कर लिया है ! आजकल अन्ना हज़ारे महाराज पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी की वकालत करते घूम रहे हैं ! पश्चिम बंगाल मे सरकार किस तरह चल रही है यह सभी को    मालूम है- पश्चिम बंगाल के जंगल राज को देखकर लल्लू द्वारा किसी जमाने बिहार मे फैलाये गये गुन्डाराज और जंगल राज की याद ताज़ा हो जाती है- शायद पश्चिम बंगाल के कुशासन की सही तुलना उत्तर प्रदेश मे बसपा और सपा के गुन्डाराज और जंगल राज से ही की जा सकती है-ऐसे मे सवाल यह पैदा होता है कि अपने पुराने चेले केजरीवाल तो अराजकता मे धकेलने के बाद क्या अन्ना हज़ारे अब ऐसे नेताओ के समर्थन का बीड़ा उठाने चले है, जो अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुके हैं ?  लल्लू जिस

"मोदी का रास्ता रोको" अभियान !

भ्रष्ट कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली मे 49 दिनों तक गठबंधन सरकार चलाने मे पूरी तरह से नाकाम होने के बाद   केजरीवाल जी आजकल मीडिया पर बुरी तरह बरस रहे है ! जिस मीडिया ने उन्हे एक सड़कछाप आन्दोलनकारी से उठाकर मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया, वही मीडिया आज उन्हे बिका हुआ लगने लगा है ! उनकी इस अपराधिक सोच का समर्थन उनके आका यानि कि हमारे गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे भी करते नज़र आ रहे है जो मीडिया को धमकाते हुये उसकी आई बी से जांच कराकर उसे कुचलने की बात कहते है ! दरअसल 1975 मे एमर्जेन्सी की आग मे देश को झोंकने वाली कांग्रेस अपनी बौखलाहट के जुनून मे किसी भी हद तक जा सकती है ! अपने राजनीतिक विरोधियों को नीचा दिखाने के लिये कांग्रेस कुछ भी कर सकती है यह तो शिन्दे के बयान से साफ हो ही चुका है- पहले भी कांग्रेस के इशारे पर एक तथाकथित पत्रिका "तहलका" के संपादक तरुण तेजपाल के जरिये  भाजपा पर हमला साधने की नाकाम कोशिस की गयी थी ! तरुण तेजपाल महोदय कांग्रेस पार्टी के इशारों पर नाच नाचकर लगातार दुष्कर्म करते रहे और अपने सभी दुष्कर्मों को उन्होने "तहलका" का नाम दे दिया !

मोदी से 7 तीखे सवाल !

मोदी से लोग पहले भी बहुत सवाल कर चुके हैं- आजकल आम आदमी पार्टी को भी मोदी से सवाल करने का चस्का लग गया है ! ठीक भी है, अब दिल्ली का काम काज़ तो देखना नही है, वक़्त गुजारने के लिये सबके पास कुछ ना कुछ काम तो होना ही चाहिये- सो मोदी से सवाल पूछ पूछकर ही अपना वक़्त काटते रहो ! सवाल पूछने की इसलिये भी जल्दी रहती है कि पिछले 65 सालों से जुबां पर ताले पड़े हुये थे- इसलिये जो सवाल पिछले 65 सालों मे नही  पूछ पाये वह फटाफट मोदी से  पूछ लिये जाएं- कहीं ऐसा ना हो कि कल को हमारे ना चाहते हुये भी मोदी जी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाएं और फिर मामला उल्टा पड जाये और मोदी जी हम लोगों से ही सवाल पूछने शुरु कर दे और 65 सालों मे हम लोगों ने जो भयंकर दुष्कर्म किये है, उनका हिसाब किताब ना चाहते हुये भी देना पड जाये ! क्योंकि सवाल पूछने का मौसम चल रहा है इसलिये हमने सोचा कि हम भी एक दो सवाल मोदी जी से कर ही डालें ! हमारे मोदी जी से यह सवाल हैं : 1. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन लोगों के लिये किस प्रकार के दंड का प्रावधान किया जायेगा जो लोग "देशद्रोह" नामक वस्तु को "सेकुलरिज्म"