कांग्रेस अपने महाविनाश की ओर इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रही है ?

370 और 35A जैसी संविधान की अस्थायी धाराओं को मोदी सरकार ने एक ही झटके में समाप्त कर दिया है। जो काम पिछले 70 सालों में कोई भी सरकार नहीं कर सकी और जिसे बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था, आखिर उस काम को मोदी सरकार ने बिना किसी अड़चन के अंजाम देकर एक ऐतिहासिक काम किया है। इस काम को अंजाम देने की योजना 2015 से चल रही थी और इसे लागू करने में जिस तरह की गोपनीयता रखी गयी, वह काबिले तारीफ़ है।
पूरा देश इन असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण धाराओं के हटाए जाने से बेहद खुश है और जश्न में डूबा हुआ है लेकिन कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी पार्टियों को देश-हित में लिया गया मोदी सरकार का यह फैसला भी रास नहीं आ रहा है और वे सब उसका जोर-शोर से विरोध कर रही हैं. जिन पार्टियों ने जम्मू कश्मीर के सन्दर्भ में लिए गए इस क्रांतिकारी और ऐतिहासिक फैसले का विरोध किया है, उनमे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डी एम के , एम डी एम के , सी पी एम, आर जे डी, जनता दल-यूनाइटेड,पी डी पी और नेशनल कांफ्रेंस शामिल हैं कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रीय पार्टियां हैं. कांग्रेस इकलौती पार्टी है जिसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कहा जा सकता था, लेकिन देश हित में लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले के खुलकर विरोध में आने के बाद कांग्रेस अपने वजूद को कब तक बचा पाएगी, यह कहना मुश्किल है.
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के पास यह बहुत बड़ा सुनहरा अवसर था, जब वह इसका समर्थन करके अपने ऊपर “देशद्रोही पार्टी” लगे होने का ठप्पा हमेशा के लिए मिटा सकती थी लेकिन कांग्रेस एक बार फिर से चूक गयी है। इस बार कांग्रेस ने वह गलती कर दी है, जिसे कांग्रेस पार्टी चाहे भी तो आने वाले कई दशकों तक नहीं सुधार पाएगी। कांग्रेस और उसकी पार्टी के समर्थक अक्सर यह सवाल करते हैं कि उनकी पार्टी को वेवजह ही देशद्रोही कहा जा रहा है. आज कांग्रेस पार्टी के उन सभी समर्थकों को प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया होगा कि देश की अधिकांश जनता कांग्रेस को देशद्रोही क्यों मानती है।
मजे की बात यह है कि गृह मंत्री अमित शाह जब संसद में कांग्रेसी गुलाम नबी आज़ाद से यह विनती कर रहे थे कि अगर उन्हें इन धाराओं को हटाने में कुछ गलत लग रहा है, तो कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल उस पर वेवजह हंगामा करने की बजाए उस पर स्वस्थ चर्चा करें लेकिन अमित शाह की इस बात को दरकिनार करते हुए विपक्षी सांसद संसद के अंदर ही “संविधान” की प्रतियों को फाड़ने लगे और खुल्लमखुल्ला देशद्रोह पर उतर आए।
संसद की कार्यवाही का आजकल सीधा प्रसारण होता है और उसे पूरे देश की जनता देख रही होती है. सोशल मीडिया भी पिछले कई सालों में काफी ताकतवर साधन बन चुका है और देश की जनता क्या सही है और क्या गलत है, सब समझती है।
मेरे अपने विचार में इन दोनों धाराओं से सिर्फ तीन लोगों को फायदा था। जिन तीन लोगों को इन दोनों धाराओं से फायदा मिल रहा था, उनमे दो तो अपने ही देश में हैं- यानि अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा की पीडीपी तीसरा व्यक्ति जिसे इन दोनों धाराओं का सबसे ज्यादा फायदा मिल रहा था, वह है दुश्मन देश पाकिस्तान क्योंकि जम्मू-कश्मीर को मिले इस विशेष दर्ज़े की वजह से ही वह उसे “कश्मीर समस्या” का नाम देने में सफल हो रहा था। इन दोनों धाराओं के विरोध करने में कांग्रेस का अपना कोई हित नहीं था लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस पार्टी क्यों कर रही है, इसका जबाब कांग्रेस के सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को खोजना चाहिए।
जिस तरह से कांग्रेस पार्टी अपने असितत्व के संकट से जूझ रही है, उसके पास अपने असितत्व को बचाने के मौके वैसे भी बड़ी मुश्किल से आते हैं। काफी समय बाद एक सुनहरा मौका कांग्रेस के पास खुद चलकर आया था, जब कांग्रेस अपने वजूद को बचाकर खुद को दुबारा से खड़ा करने की दिशा में चल सकती थी लेकिन जो कहावत है कि -“विनाश काले विपरीत बुद्धि” उसे चरितार्थ करते हुए कांग्रेस ने अपने महाविनाश की कहानी का अंतिम अध्याय खुद ब खुद लिख दिया है।

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