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मोदी हराओ-कांग्रेस बचाओ !

"केजरीलाल कांग्रेस पार्टी "की नौटंकी थमने का नाम ही नही ले रही है ! कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बनाई गयी उनकी पार्टी अब "मोदी हराओ-कांग्रेस बचाओ" के नारे लगाने लगी है-कांग्रेस भी तो यही चाहती है ! पिछले कुछ दिनो के चुनावी भाषण अगर सुने तो यह मालूम ही नही पड़ेगा कि बोलने वाला केजरीलाल है या राहुल गाँधी क्योंकि अब दोनो के मुद्दे एक ही हो गये है ! ऊपर से इन लोगों ने इस नौटंकी को रचाने की भरपूर कोशिस की कि यह दो अलग अलग राजनीतिक पार्टियाँ लगें, लेकिन इनकी पोल पट्टी जल्दी ही खुल कर जनता के सामने आ गयी ! कांग्रेस सरकार ने पिछले 60 सालों मे और खासकर पिछले 10 सालों मे जिस तरह से अरबों खरबों के भ्रष्टाचार और घोटाले किये है, उससे कांग्रेसियों को यह पूरी तरह अंदेशा हो गया था कि भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा मुददा इन चुनावों मे बनने वाला है ! लोगों को बेबकूफ बनाकर ,कभी देश को धर्म के नाम पर कभी जाति के नाम पर बांटकर सत्ता मे बने रहने का कांग्रेस के पास बहुत लम्बा अनुभव है ! इनके सलाहकारों की नींद उड़ी हुई थी कि जिस तरह से हम लोगों ने घोटाले किये है उनके चलते कांग्

प्रियंका का जादू सर चढकर बोलेगा ?

पैसों के जादूगर श्री रॉबर्ट वाड्रा जी की धर्मपत्‍नी और गाँधी परिवार की राजनीति मे आखिरी उम्मीद प्रियंका गाँधी आजकल महिला सशक्तीकरण को लेकर काफी चिंतित नज़र आ रही हैं ! वे इस बात से भी काफी खफा नज़र आ रही है कि उनके माननीय पति श्री रॉबर्ट वाड्रा पर 3-4 साल के कम समय मे 1 लाख रुपये से 300 करोड़ रुपये बनाये जाने के जादुई कारनामे को लेकर वेवजह सवाल खड़े किये ज़ा रहे हैं ! उन्होने यहाँ तक कह दिया कि इस तरह के आरोपों से उन्हे और उनके परिवार को काफी जलील किया जा रहा है ! वह सिर्फ यहीं पर नही रुकीं और यह भी कह डाला कि भाजपा के नेता और पी एम उम्मीदवार मोदी तो बंद कमरे मे महिलाओं के फोन सुनते हैं और इसलिये वह महिला सशक्तीकरण कैसे करेंगे ? प्रियंका जी के इस अचानक पैदा हुये आक्रामक रुख को देख कर मोदी जी एकदम घबरा गये हैं और थर- थर कांपने लगे हैं. प्रियंका जी की बातों को सुनकर कुछ ऐसा भी लगा जैसे महिला सशक्तीकरण और जादुई तरीके से एक लाख रुपये के 300 करोड़ रुपये बनाने मे आपस मे कोई सम्बंध जरूर है ! हो सकता है कि वह यह बताने की कोशिस कर रही हों कि क्योंकि मोदी जी ने बंद कमरे मे महिलाओं के फोन सु

मोदी को हराने की पाकिस्तानी साज़िश का पर्दाफाश !

हाल ही मे पाकिस्तान से लौटे श्रद्धालुओं के एक दल ने यह बताया है कि जब वे पाकिस्तान मे थे तो पाकिस्तान की सरकार के प्रवक्ता ने एक अधिकारिक बयान जारी करके नरेन्द मोदी को हराने की अपील की है और सबसे यह भी अपील की है कि वे भारत वापस जाकर अपने जानकारों को भी इस बात के लिये प्रेरित करें कि वे मोदी को हराने मे पाकिस्तान की मदद करें ! इस खबर को पढने सुनने के बाद कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान को हमारे अंदरूनी मामलों मे दखल देने की आखिर क्या जरूरत आ पड़ी ! हमारे अपने ही देश मे पिछले 12 सालों से मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों की कोई कमी थोड़े ही है-लल्लू से लेकर नीतीश तक, माया से लेकर मुलायम तक,सोनिया-राहुल से लेकर मनमोहन-प्रियंका तक, सब यही तो कह रहे है जो पाकिस्तान ने अब कहा है-उसने कौन सी नयी बात कह दी है जो इतना हंगामा खड़ा हो गया है ! ममता,जयललिता,केजरीवाल,उमर अब्दुल्ला और अखिलेश यादव भी तो छाती पीट पीट कर यही विलाप किये जा रहे है क़ि कुछ भी कर लो, लेकिन मोदी को हराओ ! और तो और कुछ देशद्रोही लोग, जिन्होने "सेकुलरिज्म" का नकली चोला पहना हुआ है, वह भी दिन रात इसी बा

NOTA इस्तेमाल करने से पहले उसकी हकीकत जान लें !

आजकल NOTA (None Of The Above)  का बड़े जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है और लोग बड़े उत्साहित हैं कि अगर हमे किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार पसंद नही आयेगा तो हम  NOTA  का बटन दबा देंगे ! लेकिन उन्हे शायद यह मालूम नही है कि यह पूरी तरह अर्थहीन और बेकार ही साबित होगा ! NOTA का बटन दबाने का सीधा सीधा मतलब आज की तारीख मे बिल्कुल ऐसा ही है मानो कि आप घर से निकलकर वोट देने ही नही गये ! इसलिये जिन लोगों ने NOTA का बटन दबाया है और जिन लोगों ने किसी भी वजह से अपना वोट नही दिया है, उन दोनो मे कोई अंतर नही है ! NOTA का कानून लाने के लिये पहले तो हमारी सरकार राजी ही नही हो रही थी - एक NGO-"पीपुल्‍स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज"(PUCL) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते केन्द्र मे बैठी कांग्रेस सरकार NOTA का विकल्प देने पर तो सहमत हो गयी लेकिन इस के जो नियम बनाये गये है, उससे  NOTA पूरी तरह बेअसर हो जाता है ! NOTA कैसे बेअसर है, इसे एक उदाहरण से बेहतर समझा जा सकता है ! मान लीजिये कि किसी निर्वाचन क्षेत्र मे अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के 3 उम्मीदवार खड़े किये गये है-सभ

बौखलाये हुये चूहे "पिकनिक" और "हनीमून" नही मनाते !!!

भारतीय "सेक्युलर" राजनीति मे हमारे जैसे बौखलाये हुये चूहों का अपना अलग ही स्थान है   ! जब से देश आज़ाद हुआ है, ज्यादातर समय हम लोगों ने देशवासियों को कभी धर्म के नाम पर- कभी जाति के नाम पर, खूब बांटा है और किसी ना किसी तरह सत्ता को हासिल करके इस देश को खूब लूटा है ! जब जब हमारी लूट पकड़ी जाती है, हम लोग अपने "सेकुलरिज्म" की चिर -परिचित बीन बजानी शुरु कर देते हैं और जनता को दिग्भ्रमित करके जैसे तैसे सत्ता पर फिर क़ाबिज़ हो जाते हैं ! देशभक्त और राष्ट्रवादी लोग हमारी लूट के रास्ते मे सबसे बड़ा रोड़ा हैं -इसलिये वे लोग सदा ही हमारे निशाने पर रहते है ! हमारी पूरी कोशिश यही रहती है कि हमारे एक भी देशद्रोही,अलगाववादी या आतंकवादी साथी को गलती से भी सज़ा ना हो जाये और कोई देशभक्त अपनी छोटी से छोटी गलती के लिये भी ऐसी सज़ा पाये कि वह आगे से हमसे टक्कर लेने की जुर्रत ना कर सके ! अभी हाल ही मे हमने अपने 67 देशद्रोही साथी,जो एक यूनिवर्सिटी मे "पाकिस्तान ज़िदाबाद" के नारे लगा रहे थे, और गलती से पुलिस ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ कर दिया था,हम लोगों ने आनन फान

चुनाव आयोग "निष्पक्ष" है तो यह धाँधली कैसी ?

देश मे चुनावी माहौल है और चुनाव ठीक तरीके से संपन्न हों, इसमे चुनाव आयोग की मुख्य भूमिका रहती है-चुनाव आयोग, हालांकि एक संवैधानिक संस्था है और उस पर किसी तरह का कोई सरकारी दबाब नही होना चाहिये ! संवैधानिक संस्थाएं अगर सत्ता मे बैठे लोगों के इशारे पर काम करना शुरु कर देंगी, तो देश मे निष्पक्ष रूप से चुनाव कराना संभव ही नही रह जायेगा ! राजनीतिक पार्टियाँ ठीक तरह से चुनाव प्रक्रिया चलने दें और कुछ ऐसा ना करें जिससे निष्पक्ष चुनाव होने मे गतिरोध उत्पन्न हो सकता हो, यह सुनिश्चित करना भी चुनाव आयोग का काम है और इसके लिये ही चुनाव आचार संहिता बनाई जाती है ! खेद का विषय सिर्फ यही है कि चुनाव आचार संहिता की लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा धज्जियाँ उडाई जा रही है !लेकिन इस सबके लिये राजनीतिक पार्टियाँ कम,खुद चुनाव आयोग ज्यादा दोषी नज़र आ रहा है ! आइए चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और चुनाव आयोग द्वारा उस पर की गयी कार्यवाही पर एक नज़र डालते हैं : 1.चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का पहला मामला तब आया था जब उत्तर प्रदेश की एक यून

मोदी के PM बनने से कौन भयभीत है ?

आजकल लोग इस बात की नौटंकी खूब करने लगे है कि नरेन्द्र मोदी के पी एम बनने से उन्हे बहुत डर लगता है-जिन लोगों को चीन और पाकिस्तान के हमलों से ड़र नही लगा और पिछले 60 सालों से देश के लगातार लुटने से डर नही लगा, उन्हे भी बैठे- बिठाये मोदी से डर लगने लगा है- जो लोग इस भ्रष्टतंत्र और लूटतंत्र का अब तक हिस्सा बने हुये थे, उन्हे भी मोदी के पी एम बनने से डर लगने लगा है ! कुछ स्वघोषित बुद्धिजीवियों और "सेक्युलर" लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि उनका "मुख्य उद्‌देश्य" किसी भी कीमत पर मोदी को सत्ता से बाहर रखना है ! इसीलिये जब हाल ही मे पाकिस्तान द्वारा मोदी को हराने के लिये की जा रही साज़िश का पर्दाफाश हुआ तो इनमे से किसी भी "सेक्युलर" और "बुद्धिजीवी" ने पाकिस्तान की इस बात पर चूँ तक नही की कि एक आतंकवादी देश पाकिस्तान हमारे अंदरूनी मामलों मे दखल देने की हिम्मत कैसे कर रहा है- जाहिर है कि पाकिस्तान को अगर हमारे तथाकथित "सेक्युलर" और "बुद्धिजीवी" लोगों का समर्थन है, तो वह इस नापाक हरकत को अंज़ाम देने से कैसे बाज़ आ सकता है ! आइए अब