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केजरीवाल राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने आये हैं !

केजरीवाल जी राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने के लिये आये हैं- इस बात को खुद केजरीवाल, उनके साथी नेतागण,कार्यकर्ता और समर्थक हज़ारों बार चिल्ला चिल्ला कर कह चुके हैं ! राहुल,सोनिया,मनमोहन,लल्लू,माया,ममता,मुलायम,नीतीश सरीखे आला दर्जे के राजनेताओं और उनकी तथाकथित पार्टियों ने भी केजरीवाल जी के इस कदम का तहेदिल से स्वागत किया है और उन्हे उनके इस अभियान मे पूरा सहयोग करने का वचन भी दिया है ! वाम दलों की सहमति तो पहले से ही केजरीवाल जी के साथ ही थी ! सारे झगड़े और फसाद की जड भाजपा और उसके नेतागण हैं जो केजरीवाल जी की इस दूरदर्शिता को समझ नही पा रहे हैं और उन्हे वेवजह ही दिन रात लताड रहे हैं ! दरअसल हम लोगों के साथ परेशानी ही यह है कि जब भी कोई "अच्छा और ईमानदार आदमी " राजनीति की जगह व्यवस्था परिवर्तन करना चाहता है,हम उसे लताडना शुरु कर देते हैं ! आगे कुछ लिखने से पहले एक नज़र जरा केजरीवाल जी के तथाकथित व्यवस्था परिवर्तन पर भी डाल लेते हैं, ताकि जो भाजपा और उनके कमअक्ल समर्थक हैं,उनकी आंखे भी खुल सकें और वे केजरीवाल जी के इस अभूतपूर्व व्यवस्था परिवर्तन का पूरा आनन्द उठा सकें

क्या AK-47 टिक पायेगी AK-49 के सामने ?

खूब चाव से देख रहे  सब झाडू वाली नौटंकी ! कठपुतली भी शर्माती हैं, देख हमारी नौटंकी!! "देशप्रेम" तो "राजनीति" है, "देशद्रोह" है "जनसेवा" हमको  तो जारी  रखनी है, जनसेवा  की  नौटंकी !! सदा कैमरों मे हम रहते इस नौटंकी की खातिर हमको तो है जान से प्यारी, अपनी न्यारी नौटंकी फूलों का जो नही मिले तो, जूतों का ही हार मिले मेहनत तो हमने भी की है, खूब रचाई नौटंकी !! फेल हुई AK-47 , अब AK-49 की बारी है ! दोनो  की प्रतिस्पर्धा  मे भारी पड़ती नौटंकी !! AK-47 और AK-49 का रिश्ता  बड़ा पुराना है ! दोनो का ही एक निशाना-बने "बनारस" नौटंकी !! जिन मुददों पर आये यहाँ तक, उन मुददों को भूल गये जनता  क्या इतनी  पागल है, नही समझती नौटंकी ? दौड़ा- दौड़कर  के जनता, हमे  खूब  तब  मारेगी ! अगर कहीं ये फ्लॉप हो गयी, सबकी प्यारी नौटंकी हार जीत से नही वास्ता, हम तो बस  कठपुतली हैं ! कुछ भी हो मोदी रुक जाये, तभी सफल हो नौटंकी !!                     ----------**********-------------- Published on 27/3/2014

पी एम पद की दौड़ मे मोदी किस नंबर पर ?

आजकल टेलीविजन पर "कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?" नाम से खूब कार्यक्रम दिखाये जा रहे हैं-ठीक भी है जब लोकसभा चुनाव सर पर हों और हर ऐरे गैरे नत्थू खैरे को पी एम बनने के सपने दिन दहाड़े आ रहे हों,तो इस तरह के प्रोग्राम अगर टेलेविजन पर 24 घंटे भी दिखाये जाएं, तो उसमे मेरे हिसाब से कोई हर्ज़ नही है ! जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके देश का प्रधानमंत्री कैसा और किस पार्टी से होना चाहिये ! पिछले लगभग 66 सालों से हमारे देश मे "सेकुलरिज्म" के नाम पर जो देश विरोधी और जन विरोधी माहौल बनाया जा रहा है और जिसका मीडिया अपनी पूरी जी जान से मेहनत लगा लगाकर प्रचार कर रहा है, उसके चलते आम राय यही बन रही है कि हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है और उसका प्रधानमंत्री भी किसी बहुत बड़े "धर्मनिरपेक्ष" नेता (मीडिया की जुबान मे "सेक्युलर" नेता) को बनना चाहिये ! अब हमारे यहाँ कौन कौन से नेता ऐसे हैं जो इस "सेकुलरिज्म" की कसौटी पर पूरी तरह से खरे उतरते है, उनकी लिस्ट पर भी गौर कर लिया जाये : 1. सभी मोर्चों पर बुरी तरह मार खाकर पिछड़ रहे राहुल गाँधी इस कसौ

रोक नही सकता अब कोई मोदी की सरकार !

============================ देशद्रोहियों  पर अब  होगी कोडों की बौछार ! क्योंकि अब आने वाली है मोदी की सरकार !! मोदी-विरोधियों की अब पड़ेगी जमकर मार ! आयेगी  जब अबकी  बार मोदी की सरकार !! चीन और पाकिस्तान मे- मचा है हाहाकार ! आने वाली है क्योंकि अब, मोदी की सरकार !! नही  फैलने  पायेगा अब  आगे  भ्रष्टाचार ! आखिर अब तो आयेगी ही मोदी की सरकार !! जाति-धर्म की राजनीति का होगा बंटाधार ! जब आयेगी  देश  मे मोदी  की  सरकार !! हर हाथ को काम मिलेगा, निर्बल को अधिकार ! आने  ही वाली है  अब तो मोदी की सरकार !! राम-रहीम, श्याम-सलीम-सबकी यही पुकार ! अब तो बस आ  जाने दो मोदी  की सरकार !! झेल चुके 66 सालों से  व्यापक अत्याचार ! जल्दी ही आ जाये अब तो मोदी की सरकार !! गद्दारों जितना मर्ज़ी तुम कर लो दुष्प्रचार ! रोक नही सकता अब कोई मोदी की सरकार !! देश छोड़कर भाग जायेंगे, सबके सब गद्दार ! जैसे ही बनने को होगी मोदी की सरकार !! ========================== rajeevg@hotmail.com Published on 2/4/2014

केजरीलाल फेल- कांग्रेस ने शुरु किया सांप्रदायिकता का खेल !!

जब कांग्रेस ने देखा कि अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाबजूद भी केजरीलाल जी मोदी और भाजपा का रास्ता रोकने मे नाकाम साबित हो रहे हैं-तो उसके आला नेता एकदम हरकत मे आ गये-आखिर चुनावों के लिये समय ही कितना बचा है? 60 साल तक कांग्रेस और उसके "सेक्युलर" सहयोगी दलों ने दुष्प्रचार का सहारा लेकर ही तो सत्ता सुख का आनन्द लिया है ! मनमोहन और राहुल को तो जनता ने पहले ही पूरी तरह धिक्कार दिया था-लिहाज़ा अब बारी सोनिया गाँधी की थी सो उन्होने ही मोर्चा संभाल लिया-अब तक सोनिया जी को यह तो समझ मे आ चुका है क़ि उनके केजरीलाल जी भाजपा और मोदी का कुछ खास नही बिगाड़ पायेंगे-अब तो सोनिया जी को डर इस बात का सता रहा है कि केजरीलाल जी की नौटंकी का अब जनता के बीच मे उल्टा असर पड़ना शुरु हो गया है और उसका भाजपा को नुकसान कम और फायदा ज्यादा पहुंचने की संभावना है ! कांग्रेस को सत्ता मे रहने की खराब आदत आज़ादी के बाद से ही पड गयी थी- कैसे ना कैसे करके जनता को हर बार कोई ना क़ोई नया झुनझुना पकड़ा कर कांग्रेसी लोग जबरदस्ती सत्ता पर क़ाबिज़ होते आये हैं- पहली बार जब उन्हे लगा कि इस बार कोई झुनझुना

किसके इशारे पर किये ज़ा रहे हैं मोदी पर हमले ?

नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा पिछले लगभग 12 सालों से जिस तरह का दुष्प्रचार किया जा रहा है उसका कारण 2002 मे गुजरात मे हुये दंगे नही है. अगर दंगों की वजह से ही यह दुष्प्रचार हो रहा होता तो फिर यह दुष्प्रचार बाकी सभी राजनीतिक दलों के लगभग सभी नेताओं के खिलाफ भी किया जाता क्योंकि ऐसा कोई भी राजनीतिक दल नही है जिसकी सरकार मे दंगे नही हुये हों और शायद ही किसी पार्टी का कोई ऐसा नेता होगा जो दंगों के लिये दोषी ना हो ! फर्क यही है कि दुष्प्रचार के चलते मोदी जैसे नेता के खिलाफ दुनिया भर के झूठे मुकदमे दायर कर दिये जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट से बार बार क्लीन चिट मिलने के बाबजूद यह दुष्प्रचार और देशद्रोहियों द्वारा किये जा रहे हमले बंद नही होते जबकि मुज़फ़्फरनगर दंगों के लिये आज तक ना तो किसी ने अखिलेश यादव और ना ही आज़म ख़ान की गिरफ्तारी की मांग की है और ना ही 1984 के देशव्यापी दंगों के लिये किसी ने सोनिया गाँधी या राजीव गाँधी की गिरफ्तारी की मांग की थी ! इन लोगों के खिलाफ किसी तरह का दुष्प्रचार नही हुआ और यह लोग तब भी "सेक्युलर" थे, आज भी "सेक्युलर" हैं

16 मई के बाद क्या करेंगी सोनिया और उनकी कांग्रेस पार्टी ?

दुनिया की सबसे भ्रष्ट और निकम्मी पार्टी की मुखिया सोनिया गाँधी आजकल अपनी बौखलाहट को छुपाने मे पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है और उन्हे 24 घंटे इस बात का डर सता रहा है कि केन्द्र मे आने वाली अगली भाजपा सरकार उन्हे उनके दुष्कर्मों के लिये कैसे जेल मे चक्की पीसने को मजबूर कर सकती है ! सोनिया ने जैसे जेल मे चक्की पीस रहे लल्लू को बिहार मे अपनी सेवा करने के लिये जेल से बाहर निकाला है, शायद सोनिया को जेल से निकालने कोई भी ना आये क्योंकि लल्लू ने तो सिर्फ चारा घोटाला करके बिहार की ही दुर्दशा की थी, लेकिन "नौटंकी क्वीन" सोनिया गाँधी और उनकी पार्टी के काले कारनामे तो खुल खुलकर जनता के सामने जैसे किश्तों मे सामने आ रहे हैं, उसका सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है ! अरबों-खरबों के हज़ारों घोटाले करने के बाद अब चुनावी मौसम मे सोनिया गाँधी को अपने किये हुये अपराधों के दंड का भय सता रहा है और वह किसी ना किसी तरह से यह चाहती है कि या तो उनकी सरकार दुबारा से सत्ता मे आ जाये या फिर खंडित जनादेश के जरिये कुछ ऐसी खिचडी सरकार बन जाये जिसकी कमान उनके हाथ मे ही रहे- वैसे तो मनमोहन सरकार की असली