गाज़ियाबाद वोटर लिस्ट से लाखों नाम गायब !

देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद  क्षेत्र में विधान सभा की सभी सीटों के लिए लगभग सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपना अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इस हाइ प्रोफाइल इलाके  मे जहां कांटे का मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है,वहीं दूसरी तरफ  यहाँ के लाखों निवासियों की शिकायतें भी आ रही है कि उनके नाम अभी तक वोटर लिस्ट मे शामिल नही किये गये है !

जिन इलाकों के निवासियों की ज्यादा शिकायतें आ रही है, उनमे इंदिरापुरम,वैशाली और वसुंधरा जैसे क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल है-यहाँ पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सरकारी कर्मचारियों ने लगभग 1 साल पहले बहुमंजिला इमारतों मे रहने वाले निवासियों की सोसाइटी कॉम्प्लेक्स मे जाकर फार्म 6 एकत्रित किये थे ! काफी लोगों ने यहाँ ऑनलाइन आवेदन भी किया है ! लेकिन हालत इतनी ज्यादा बदतर है कि लाखों नाम अभी तक वोटर लिस्ट मे शामिल नही किये गये है जबकि यहाँ ११ फरवरी  को वोट डाले जाने हैं ! जो निवासी ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज़ करा रहे है उन्हे गोल मोल जबाब देकर चलता किया जा रहा है और इस बात की उम्मीद कम ही है की ये लाखों लोग ११ फरवरी  को होने वाले चुनावों मे अपना वोट डाल पायेंगे ! हैरानी की बात तो यह भी है कि सोसाइटी काम्पलेक्स मे आये अधिकारियों को जिन निवासियों ने अपने परिवार के कई सदस्यों के फार्म 6 जमा कराये थे, उनमे से कुछ के नाम मतदाता सूची मे दर्ज़ हैं और कुछ के नही !

गाज़ियाबाद RWA फेडरेशन ने भी इस विषय मे सम्बंधित अधिकारियों को इस बाबत लिखकर इस बात की आशंका जताई है कि इतनी भारी संख्या मे जागरूक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट मे शामिल ना किया जाना एक राजनीतिक साज़िश भी हो सकती है ! उम्मीद यह की जाती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त कार्यालय इस मामले मे तुरंत दखल देकर सभी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट मे शामिल करवाने की दिशा मे कोई ठोस कदम उठायेगा !

सभी राजनीतिक दल आजकल गाज़ियाबाद मे जोर शोर से प्रचार मे लग गये है- जब तक मतदाताओं के नाम ही मतदाता सूची मे ना शामिल हों, इस प्रचार का कोई मतलब नही है ! कौन किसे वोट देगा, इस बारे मे लोग अपना मन बना चुके हैं-अब वक्त इस बात का है कि सभी राजनीतिक दल,बेमतलब के इस चुनाव प्रचार को रोककर पहले यह सुनिश्चित करें कि जिनसे वे वोट मांग रहे हैं, वे वोट दे भी पायेंगे या नही !

देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद की हालत अगर यह है तो देश के बाकी स्थानों पर हालत इससे बेहतर होगी, इसकी उम्मीद कम ही है !

नियमों के अनुसार वोट डालने के लिये सिर्फ वोटर कार्ड होना ही काफी नही है-मतदाता को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि उसका नाम वोटर लिस्ट में शामिल भी है या नही क्योंकि काफी मतदाता ऐसे भी हैं जिन्हे वोटर कार्ड तो मिल चुका है लेकिन उनका नाम वोटर लिस्ट मे नही है !

गौर देने लायक बात यह है कि इस समस्या कि तरफ मैंने २०१४ के लोकसभा चुनावों से पहले भी सभी सम्बंधित अधिकारियों और चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन सरकारी निकम्मापन इस हद तक फैला हुआ है कि आज तीन सालों के बाद भी हालात जस के तस हैं और जिन लोगों को मतदाताओं को पहचान पत्र जारी तीन साल पहले ही जारी कर देने चाहिए थे, वे आज भी वोटर कार्ड का इंतज़ार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जंगल राज के यह हालात कब सुधरेंगे, इस पर कोई भी टिप्पणी करना आज पूरी तरह फ़िज़ूल की  बात लगती है.
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