कश्मीर समस्या पर सरकार को अब्दुल्ला की खरी-खरी

सारे देश में कश्मीर में बढ़ती देशद्रोह की घटनाओं को लेकर जब सभी टी वी चैनल अपनी अपनी टी आर पी बढ़ाने में लगे हुए थे, उस वक्त “खबरदार” न्यूज़ चैनल के  सीनियर एडिटर ने अपने एक सीनियर रिपोर्टर और कैमरामैन को बुलाया और उन्हें यह हिदायत दे डाली: “देखों हमें भी धंधे में बने रहने की लिए कुछ न कुछ करना होगा और बाकी सभी लोगों की तरह अपनी टी आर पी बढ़ाने की लिए हाथ पाँव इधर उधर मारने होंगे. तुम लोग ऐसा करो कि तुरंत कश्मीर के लिए रवाना हो जाओ. वहां थोक में देशभक्त नेता उपलब्ध हैं. उन नेताओं से एक धमाकेदार इंटरव्यू लेना है जिसे हम लोग कम से एक हफ्ते तक अपने चैनल पर दिखा दिखा कर अपने दर्शकों को भी देशभक्ति के  लिए प्रेरित कर सकें..”
सीनियर रिपोर्टर और कैमरामैन दोनों ही गर्मियों में कश्मीर यात्रा के इस अचानक मिले अवसर पर मन ही मन बहुत खुश हुए लेकिन अपनी खुशी को दबाते-छुपाते हुए उन्होंने सीनियर एडिटर से यह सवाल किया, “कहीं आपका इशारा मारूक अब्दुल्ला और उसके बेटे कुमर अब्दुल्ला की तरफ तो नहीं है?”
सीनियर एडिटर: “हाँ मेरा इशारा इन्ही दोनों की तरफ है, क्योंकि यह दोनों ही ऐसे नेता हैं जो न सिर्फ अव्वल दर्ज़े के देशभक्त हैं, वरन यह लोग हमेशा अपने देशभक्ति के कारनामों का बखान करने में भी सबसे आगे रहते हैं.”
सीनियर रिपोर्टर ने एडिटर साहब की हिदायत की मुताबिक फोन लगाकर मारूक अब्दुल्ला से बात की और उनसे इंटरव्यू की लिए वक्त माँगा.
अब्दुल्ला को तो मानो मुंह माँगी मुराद मिल गयी. कहने लगे, “अरे पत्रकार महोदय, हम बाप- बेटे तो कब से इस इंतज़ार में हैं कि दिल्ली से कोई बड़े टी वी चैनल का रिपोर्टर आये और हम लोगों की भी सुध ले, हमारे ऊपर पाकिस्तान में बैठे हमारे आकाओं का बड़ा दबाब है. आप जल्द से जल्द हवाई जहाज़ का टिकट कटाइए और सीधे हमारे पास पहुंचिए. हम लोगों ने आपको देने की लिए बहुत सारा मसाला तैयार कर रखा है.”
सीनियर रिपोर्टर और कैमरामैन दोनों का ही अब्दुल्ला बाप बेटों ने कश्मीर पहुँचने पर जोरदार स्वागत किया और बोले, “देखिये इससे पहले कि आप कोई सवाल करें, हम दोनों ही यह बात साफ़ साफ़ बता देना चाहते हैं कि अखबारों में छप रही  और कुछेक टी वी चैनल पर चल रही ख़बरों में जो कुछ भी कहा जा रहा है, उसका हम पूरी तरह खंडन करते हैं.”
सीनियर रिपोर्टर ने हैरान होते हुए कहा, “आपके देशभक्ति के कारनामें सभी अखबारों और टी वी चैनलों की सुर्खियां बने हुए हैं.”
अब्दुल्ला: रिपोर्टर महोदय, हमें इसी बात पर सख्त ऐतराज़ है. देशभक्त होने का संगीन आरोप हम लोगों पर हरगिज़ नहीं लगाया जा सकता है. ऐसा कोई प्रमाण किसी के भी पास उपलब्ध नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि हम लोग गलती से भी “देशभक्ति” की गतिविधियों में लिप्त हों. हम लोगों ने पिछले लगभग ७० सालों से कश्मीर समस्या को जस का तस बनाये रखने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है और जब तक हम दोनों जिन्दा हैं, हम इस बात का वचन देते हैं कि यह समस्या इसी तरह कायम रहेगी.
रिपोर्टर: आपने टेलीफोन पर बताया था कि आप लोगों ने हमारे चैनल पर दिखाने की लिए कुछ मसाला तैयार कर रखा है, उसके बारे में भी कुछ रोशनी डालें.
अब्दुल्ला: हाँ हम लोगों ने अपनी प्राइवेट कैमरा टीम से कुछ ऐसे मनगढंत वीडियो बनबाये हैं, जिन्हे दिखाकर देश की सेना और सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है. यह वीडियो इस पेन ड्राइव में उपलब्ध हैं. यह मनगढंत वीडियो हमने राष्ट्रीय दानवाधिकार संगठन को भी उपलब्ध करा दिए हैं, ताकि वे लोग भी अपने लेवल पर सेना पर सवाल खड़े करके सरकार को घेरने में हमारी और हमारे आकाओं की मदद कर सकें.
रिपोर्टर (अब्दुल्ला की हाथ से पेन ड्राइव लेते हुए): आप दोनों पर यह आरोप भी लग रहा है कि आपकी देशभक्ति का स्तर इतना अधिक बढ़ गया है कि आप खाते तो हिन्दुस्तान का हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का हैं.
अब्दुल्ला: देखिये हम  हिंदुस्तान की सरकार से मिला एक भी रुपया अपने ऊपर खर्च नहीं करते हैं. उस सारे रुपये को हम कश्मीरी जनता की भलाई में खर्च कर देते हैं. अब आप ही बताइये कि भला मुफ्त में तो कोई सेना के जवानों की ऊपर पत्थर फेंकने से रहा. लिहाज़ा  उस खर्चे का भी हमें ही ख्याल रखना होता है. हमारे पास हमारे आकाओं का दिया ही बहुत कुछ है, उसमे हम लोग बहुत शाही ढंग से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
रिपोर्टर: अब्दुल्ला जी, आखिर में हमारे दर्शकों के लिए आप यह बताइये कि कश्मीर समस्या का समाधान कब और कैसे हो सकता है?
अब्दुल्ला: रिपोर्टर महोदय, हम दोनों पूरी विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ यह कहना चाहते हैं और सरकार को यह बता देना चाहते हैं कि हम लोगों के जिन्दा रहते इस समस्या का कोई भी समाधान निकलना मुमकिन नहीं है.
रिपोर्टर: यह आपकी चेतावनी है?
अब्दुल्ला: नहीं, इसे हमारा विनम्र निवेदन ही समझा जाये.
(इस व्यंग्य रचना में वर्णित सभी पात्र एवं घटनाएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं और उनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति या संगठन से कोई लेना देना नहीं है)

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