मोदी जी, भ्रष्टाचारियों से नहीं निपटे तो आपकी सरकार निपट जाएगी !

हाल ही मे 2जी घोटाले मे स्पेशल सी बी आई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करते हुये यह कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई भी ठोस सुबूत पेश नही कर सका है, लिहाज़ा सभी आरोपियों को बरी किया जाता है. जयललिता और सलमान ख़ान के मामले मे जिस तरह से हमारे देश मे अदालती फैसले आते रहे हैं, उन्हे देखते हुये इस फैसले पर भी कोई बहुत ज्यादा हैरानी किसी को नही होनी चाहिये. समय समय पर मैं अपने लेखों मे यह लिखता रहा हूँ कि सरकार को न्यायालय की अवमानना से सम्बंधित कानून Contempt of Courts Act को या तो पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिये या फिर इसमे इस तरह से संशोधन करना चाहिये ताकि अदालतों द्वारा किये गये गलत फैसलों की समीक्षा और आलोचना का लोकतांत्रिक रास्ता खुला रहे. न्यायपालिका निष्पक्ष रूप से पूरी पारदर्शिता के साथ काम करे, इसकी जिम्मेदारी सरकार की है. सीधे और सरल शब्दों मे कहा जाये तो न्यायपालिका को बेलगाम नही छोड़ा जा सकता अन्यथा जयललिता, सलमान ख़ान और 2 जी जैसे फैसले आते रहेंगे और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी. रोज शाम को टी वी चेनल वाले जिस तरह से हर छोटे-बड़े मुद्दे पर बहस शुरु कर देते हैं, वे सब भी  इस तरह् के मामलों पर बहस करने की बजाय ,न्यायालय की अवमानना के डर से चुप्पी लगाकर बैठ जायेंगे. किसी भी लोकतंत्र मे इससे अधिक शर्मनाक बात और कोई नही हो सकती है.

यह तो हुई न्यायालय की निष्पक्षता और उसकी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की बात जिस पर हमारी मोदी सरकार भी कोई ठोस कदम उठाने मे अभी तक पूरी तरह से नाकाम रही है. पिछले 60 सालों के कुशासन मे जिस तरह से भ्रष्टाचार चल रहा था और जिस की दुहाई देकर मोदी सरकार को 2014 मे सत्ता मे आई थी, देखा जाये तो किसी भी भ्रष्टाचारी को मोदी सरकार आज तक सज़ा दिलवाने मे पूरी तरह नाकाम रही है. मोदी सरकार को सत्ता मे आये हुये साढ़े तीन साल से ऊपर का समय हो चुका है लेकिन ऐसा नही लगता कि बाकी के बचे हुये अपने शासन काल मे यह सरकार किसी भ्रष्टाचारी को ठिकाने लगा पायेगी. बिना किसी ठोस इच्छा शक्ति के ना तो भ्रष्टाचारियों का कुछ बिगड़ने वाला है और ना ही उन देशद्रोहियों का, जिन पर मोदी सरकार पूरी तरह से चुप्पी लगाये बैठी हुई है. शायद मोदी जी इस गलतफ़हमी मे हैं कि सिर्फ “सबका साथ-सबका विकास” उनकी 2019 मे भी नैया पार करा देगा लेकिन ऐसा होना संभव नही है. कोई भी सरकार जन-आकांक्षाओं के विरुद्ध काम करके बहुत समय तक सत्ता मे नही रह सकती. सिर्फ विकास के मुद्दे पर मोदी सरकार सत्ता मे नही आई थी. जनता ने मोदी सरकार को इस लिये चुना था कि मोदी सरकार भ्रष्टाचारियों, देशद्रोहियों और आतंकवादियों पर कडी कार्यवाही करेगी और उसके साथ देश मे इस तरह् का माहौल तैयार करेगी जिससे सबका विकास सुनिश्चित हो सके.


2 जी घोटाले मे जिस तरह् से सभी आरोपी बरी कर दिये हैं, उसे देखकर यही लगता है कि न्यायपालिका के साथ साथ यह सी बी आई और मोदी सरकार की भी बहुत बड़ी नाकामी है. सी बी आई की सीधी रिपोर्टिंग प्रधान मंत्री कार्यालय को है. लिहाज़ा सी बी आई के निकम्मेपन से पी एम मोदी अपना पल्ला नही झाड़ सकते हैं. इस 2 जी मामले को अगर एक बार छोड़ भी दें तो हम यही देखते हैं कि किसी और भ्रष्टाचारी या देशद्रोही को पिछले साढ़े तीन सालों मे सज़ा नही हुई है. कश्मीर मे हुरियत के आतंकवादी हों या फिर अब्दुल्ला बाप बेटे-यह सभी अपनी देश विरोधी गतिविधियों मे लगे हुये हैं और मोदी जी की उदारता का मजाक उड़ा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के नेता पाकिस्तान मे जाकर खुले आम वहां की सरकार से कहते है कि मोदी को हटाने मे हमारी मदद करो, लेकिन ऐसी देशद्रोह की घटनाओं का मोदी जी अपनी चुनाव सभाओं मे तो जिक्र करते हैं, उस पर किसी भी तरह की ठोस कार्यवाही करके देशद्रोहियों को अपने अंज़ाम तक पहुंचाने का लेशमात्र भी प्रयास करते नही दिखते हैं. कभी कांग्रेस पार्टी के नेता चोरी छिपे चीन के नेताओं से मिलते हैं और कभी पाकिस्तान के नेताओं से, लेकिन किसी पर कोई कार्यवाही होती नही दिखती है. ऐसे ना जाने कितने भ्रष्टाचार और देशद्रोह के मामले हैं, जिन पर पिछले साढ़े तीन साल के शासन काल मे कडी कार्यवाही होनी चाहिये थी और दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिये था. लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ और इस बात की संभावना बहुत कम है कि बचे हुये डेढ़ साल मे भी कुछ खास हो पायेगा. अगर मोदी सरकार को 2019 मे सत्ता मे वापसी करनी है तो उसे सभी काम धंधे छोड़कर सभी भ्रष्टाचारियों और देशद्रोहियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्यवाही करनी होगी. गुजरात चुनावों मे सिर्फ 99 सीटों पर भी भाजपा इसी लिये सिमटी है. लगभग 16 सीटों पर जहाँ पार्टी की हार हुई है, वहां हार के वोटों की संख्या नोटा के वोटों की संख्या से बहुत कम है. यह सभी निर्वाचन क्षेत्र वह हैं, जो भाजपा का गढ माने जाते रहे हैं. इसका सीधा सा मतलब यही है कि कट्टर भाजपा समर्थक जो कांग्रेस को किसी भी हालत मे वोट नही देना चाहते थे, उन्होने मोदी सरकार के निकम्मेपन से नाराज़ होकर नोटा का इस्तेमाल किया है.

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