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नरेन्द्र मोदी के नाम खुला खत !

आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी, इस समय पूरे देश मे भाजपा की और खुद आपकी जबरदस्त लहर चल रही है- इसमे कोई दो राय नही है ! आपका प्रधानमंत्री बनना भी पूरी तरह तय है. लल्लू,नीतीश,ममता,माया,मुलायम, राहुल,सोनिया और केजरीवाल जैसे लोगों के बस की यह बात नही है कि आपको प्रधानमंत्री बनने से रोक सके ! लेकिन आपकी अपनी ही पार्टी द्वारा किये गये कुछ बेहद गलत फैसले आपके इस प्रधानमंत्री बनने की हकीकत को कभी ना पूरा होने वाले सपने मे तब्दील कर सकते है. अभी हाल ही मे बिहार मे पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के साथ किया गया गठबंधन और तमिलनाडु मे डी एम के के करुणानिधि से बढ़ती नज़दीकियाँ निश्चित रूप से ऐसे गलत कदम हैं, जो भाजपा के अच्छे खासे चलते हुये विजय रथ को रोकने के लिये पर्याप्त हैं. ऐसी नरपिशाची शक्तियाँ जिनका भाजपा को हर हाल मे विरोध करना चाहिये, उन्ही के साथ गठबंधन करने का मतलब यही होगा कि जितनी सीटों पर इन पार्टियों के लोग खड़े होंगे, उतनी सीटे तो सीधे सीधे अपने 273 की संख्या मे से घटाकर चलना ही ठीक होगा ,क्योंकि जहां जहां भी इन लोगों के गुंडे,डाकू,बलात्कारी,हत्यारे,देशद्रोही और भ्रष्ट उम्मीदवार खड

देशद्रोहियों को बचाने मे जुटे अब्दुल्ला,अखिलेश और केजरीवाल !

बुधवार 5 मार्च को चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही आदर्श चुनाव संहिता जम्मू-कश्मीर समेत प़ूरे देश मे लागू हो गयी है, यह सभी को मालूम है ! सेकुलरिज्म का पाखंड कर के वोट बैंक की घटिया राजनीति करने वालों को लगता है, उन पर यह संहिता लागू नही होती है और वे देशद्रोहियों का समर्थन "सेकुलरिज्म" के नाम पर सिर्फ इसलिये किये जा रहे हैं, ताकि आने वाले लोकसभा चुनावों मे उनकी वोट बैंक की राजनीति चमकती रहे ! चुनाव आचार संहिता लागू होने के अगले ही दिन यानी 6 मार्च को जम्मू कश्मीर के माननीय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी का बयान आता है कि मेरठ की एक यूनिवर्सिटी मे 67 छात्रों पर देशद्रोह के लगाये गये आरोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं और वापस लिये जाने चाहिये- वे इतने पर ही नही रुके-अपने नापाक इरादों को आगे अंज़ाम देने के लिये उन्होने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात भी कर ली और उनसे उन्होने देशद्रोह के मामले वापस लेने के लिये औपचारिक रूप से अनुरोध भी कर डाला !  खास आदमियों के लिये बनी " आम आदमी पार्टी " भी भला कहा पीछे रहने वाली थी सो वह भी खुलकर इन देशद्रोह

केजरीलाल की "मीडिया सैटिंग"

खुल गया पाखंड मेरा-हाँ मैं केजरीलाल हूँ ! लुट गया घमंड मेरा-हाँ मैं केजरीलाल हूँ !!   हवाई यात्राएं करता -मीडिया के खर्चे पर !  रंगे हाथों पकड़ा गया मीडिया से "सेटिंग" पर !! खुद किसी सवाल का जबाब नही बन पड़ता, औरों से सवाल करूँ, हाँ मैं केजरीलाल हूँ !!  देशद्रोही- आतंकी, सब तो मेरे साथी हैं,  बन गया हूँ में दूल्हा,ये तो बस बाराती हैं !! मोदी ना बने पी एम, यह मुझे आदेश है- दंड का मैं अधिकारी, हाँ मैं केजरीलाल हूँ !!  भूल  गया  भ्रष्टाचार, यह  मेरी  मजबूरी  है!  मीडिया से "सेटिंग" करना बहुत जरूरी है !! सी एम की तर्ज़ पर ही, पी एम बनवा दो मुझे बिक गया ईमान मेरा, हाँ मैं केजरीलाल हूँ !!  "सेकुलरिज्म का पाखंड" मेरा आखिरी सहारा है !  "मोदी लहर" ने मुझे भिगो- भिगो मारा है !! फंस  चुका  हूँ , अपने  ही  किये  दुष्कर्मों में, आखिर कितना झूठ बोलूँ- हाँ मैं केजरीलाल हूँ !! बीस सवालों की  यह लिस्ट मेरी दुश्मन है कैसे दूंगा जबाब इनके,भारी यह उलझन है दुष्कर्मों को अंज़ाम देना सिर्फ मुझे आता है ! खुल

मीडिया अटेंशन पाने के लिये किये ज़ा रहे हैं मोदी पर हमले ?

कुछ समय पहले मैने एक ब्लॉग लिखा था कि- "क्या मोदी टिक पायेंगे केजरीवाल के सामने ?"   केजरीवाल जी ने लगता है मेरे उस लेख को काफी गंभीरता से ले लिया है और उस दिन के बाद से वह लगातार कुछ ना कुछ ऐसा कारनामा अंज़ाम देने की फ़िराक़ मे रहते है कि जो भी हो, मुझे जैसे तैसे करके एक बार प्रधान मंत्री जरूर बनना है-उसके बाद वह सरकार 49 दिनो तक चले , 49 घंटों तक  चले या फिर 49 मिनट चलकर ही अपना दम तोड दे-इससे मेरा कोई सरोकार नही है क्योंकि देश मे चुनाव आयोग खाली बैठा हुआ है सो दुबारा चुनाव हो जायेंगे और दुबारा चुनाव होने पर जो खर्चा होगा वह कौन सा मेरी जेब से जा रहा है- जिन लोगों को बरगला बरगलाकर मैं वोट बटोरने की नाकाम कोशिश मे लगा हूँ, इन्ही के दिये गये टॅक्स के पैसे से मध्यावधि चुनाव भी लड लिये जायेंगे- हमारा तो शुरु से ही यही कहना रहा है कि हम सब "मरे पिटे कुचले हुये आम-आदमी" हैं और हमारे पास खोने के लिये कुछ भी नही है- अगर कोई खोयेगा तो जनता खोयेगी-हम लोग दरअसल उसूलों के बहुत ज्यादा पक्के हैं और एक ही उसूल पर चल रहे है -"अपना काम बनता -भाड मे जाये जनता !" जनता

मोदी के हाथों बिका हुआ है सारा मीडिया ?

जब से मीडिया ने केजरीवाल जी और उनकी ईमानदार पार्टी की 24 घंटे की जाने वाली आरती का प्रकाशन -प्रसारण कुछ कम किया है,केजरीवाल जी  मीडिया से खासे नाराज़ चल रहे हैं ! उनका यह भी कहना कि सारा का सारा मीडिया मोदी और भाजपा के हाथों बिका हुआ है ! केजरीवाल जी सिर्फ यही पर नही रुके और मीडिया को बाकायदा धमकाते हुये उन्होने यह भी कह दिया कि अगर मीडिया इसी तरह मोदी और भाजपा के हाथों बिकता रहा तो उसको जेल भेज दिया जायेगा ! केजरीवाल जी की बात मे कुछ ना कुछ तो दम है क्योंकि उसका सुबूत तो केजरीवाल जी के यू ट्यूब पर लीक हुये वीडियो से ही मिल जाता है जहां पर पूरी दुनिया यह देख सकती है कि दरअसल मीडिया को कौन खरीद रहा है और कौन बेच रहा है ! इस यू ट्यूब के वीडियो मे दरअसल केजरीवाल जी अपने इंटरव्यू की सैटिंग थोड़े ही कर रहे थे-वे बेचारे तो नरेन्द्र मोदी और भाजपा के किसी इंटरव्यू की सैटिंग करते हुये रंगे हाथों पकड़े गये थे-इसलिये उनका यह कहना बिल्कुल सही है कि सारा मीडिया मोदी और भाजपा के हाथों बिका हुआ है और केजरीवाल जी प्रधानमंत्री बने या ना बने, उसे जेल तो भेज ही देंगे-आखिर शीला दीक्षित को भी तो उन्हो

केजरीवाल :"महानायक" से "खलनायक" बनने तक का सफर !

आम तौर पर किसी भी नेता को महानायक से खलनायक  बनने की जरूरत इसलिये नही पड़ती है कि उनमे से ज्यादातर तो महानायक कहलाने के काबिल ही नही होते हैं और जो लोग होते हैं, उनमे से कुछ का सफर नायक पर और कुछ का खलनायक पर खत्म तो होता है,लेकिन उसमे खासा वक्त लगता है ! अपनी हड़बड़ी के लिये मशहूर केजरीवाल जी यहाँ इसका अपवाद ही कहे जायेंगे-इनका सफर अन्ना आन्दोलन के समय एक ठीक ठाक "महानायक" की तरह ही हुआ था और इनकी सादगी,विनम्रता, साफगोई और जनसाधारण से जुड़ने की इनकी जो प्रबल इच्छा शक्ति थी, उसीके चलते लोगों ने इन्हे सिर् आँखों पर बिठाया जिसका परिणाम हमने रामलीला मैदान, जन्‍तर मन्‍तर और इंडिया गेट पर इकट्ठा हुये अपार जनसमूह के रूप मे भी देखा ! केजरीवाल चाहते तो महानायक बने रह सकते थे ! लेकिन महानायक भी गलतियाँ करते हैं- जब ऐसा लग रहा था कि लोहा लगभग पूरी तरह गर्म होने वाला है और सरकार जैसे तैसे करके अन्ना के मन मुताबिक जनलोकपाल बिल लाने ही वाली थी, उसी समय इन लोगों के सब्र का पैमाना टूट गया और इन्होने अपनी राजनीतिक पार्टी बना डाली ! पार्टी बनने का मतलब था कि यह सीधे महानायक की पदवी से लु

केजरीवाल राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने आये हैं !

केजरीवाल जी राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने के लिये आये हैं- इस बात को खुद केजरीवाल, उनके साथी नेतागण,कार्यकर्ता और समर्थक हज़ारों बार चिल्ला चिल्ला कर कह चुके हैं ! राहुल,सोनिया,मनमोहन,लल्लू,माया,ममता,मुलायम,नीतीश सरीखे आला दर्जे के राजनेताओं और उनकी तथाकथित पार्टियों ने भी केजरीवाल जी के इस कदम का तहेदिल से स्वागत किया है और उन्हे उनके इस अभियान मे पूरा सहयोग करने का वचन भी दिया है ! वाम दलों की सहमति तो पहले से ही केजरीवाल जी के साथ ही थी ! सारे झगड़े और फसाद की जड भाजपा और उसके नेतागण हैं जो केजरीवाल जी की इस दूरदर्शिता को समझ नही पा रहे हैं और उन्हे वेवजह ही दिन रात लताड रहे हैं ! दरअसल हम लोगों के साथ परेशानी ही यह है कि जब भी कोई "अच्छा और ईमानदार आदमी " राजनीति की जगह व्यवस्था परिवर्तन करना चाहता है,हम उसे लताडना शुरु कर देते हैं ! आगे कुछ लिखने से पहले एक नज़र जरा केजरीवाल जी के तथाकथित व्यवस्था परिवर्तन पर भी डाल लेते हैं, ताकि जो भाजपा और उनके कमअक्ल समर्थक हैं,उनकी आंखे भी खुल सकें और वे केजरीवाल जी के इस अभूतपूर्व व्यवस्था परिवर्तन का पूरा आनन्द उठा सकें