Monday, April 16, 2018

मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति

मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति

कठुआ में एक बालिका की कुछ रोहिंग्या आतंकवादियों ने हत्या कर दी और उसकी लाश को एक मंदिर में रख दिया. बालिका का नाम आसिफा था और वह मुस्लिम समुदाय से थी. इस वारदात को हमारा मीडिया और टी वी चैनल कुछ अलग ढंग से ही पेश कर रहे हैं. मीडिया की माने तो इस बालिका का रेप इस मंदिर में किसी हिन्दू ने किया था. इस सफ़ेद झूठ को टी वी चैनल और मीडिया २४ घंटे इसलिए दिखा रहे हैं ताकि वह कहावत सही साबित हो जाए कि अगर एक झूठ को भी सौ बार दोहराया जाए तो वह सच लगने लगता है. कर्नाटक में १२ मई को चुनाव होने हैं और उसीके मद्देनज़र इस तरह से झूठ को फैलाया जा रहा है जिस तरह से हर चुनाव से पहले "अवार्ड वापसी गैंग" कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की मदद करने के लिए झूठ के सहारे दुष्प्रचार करना शुरू कर देता है. इस बार इस झूठ और दुष्प्रचार में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया ने भी अपनी निर्णायक भूमिका अदा की है. रोहिंग्या आतंकवादियों द्वारा एक बालिका की निर्मम हत्या और उसकी लाश को एक मंदिर में रखकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की नापाक साज़िश में इस बार मीडिया भी शामिल हो गया है. आतंकवादियों के गुनाहों पर पर्दा डालकर हिन्दुओं को बदनाम करने की कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की बहुत पुरानी आदत रही है. जिस तरह से आसिफा के तथाकथित "रेप" की झूठी खबर मीडिया में और टी वी चैनलों में कांग्रेस पार्टी और इसके सहयोगी दलों के इशारे पर फैलाई जा रही हैं, उससे यही साबित होता है कि यहां पर मंशा एक तीर से दो शिकार करने की है. पहले तो इस झूठ के सहारे रोहिंग्या आतंकवादियों के काले कारनामों पर पर्दा पड़ गया. दूसरें उस बालिका की लाश को हिन्दू मंदिर में रखकर यह बताने की भी कोशिश की गयी कि किसी हिन्दू ने उस बालिका से साथ पहले तो मंदिर में रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी. फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी इस झूठ को सच बताते हुए कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की ताल में ताल ठोंकने लगे. इन लोगों कि नौटंकी कुछ इस हद तक बढ़ गयी मनो इस देश में कोई "रेप" पहली बार हुआ है. केरल और पश्चिम बंगाल में सैंकड़ों हिन्दू बालिकाओं के साथ जब रेप होता है, तब इन सभी फ़िल्मी नौटंकीबाजों, मीडिया वालों और कांग्रेस और उनके सहयोगियों के मुंह पर ताले लग जाते हैं. पहले तो यहां "रेप" जैसी कोई घटना नहीं हुयी, लेकिन अगर देश में कहीं भी "रेप" जैसी वारदात होती है तो उस पर राजनीति क्यों होनी चाहिए ? रोहिंग्या आतंकवादियों के अपराध पर पर्दा डालने के लिए और हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए "आसिफा का रेप" जैसी मनगढंत कहानी बनाने वाले कांग्रेसी, मीडिया वाले और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ , रेप की असली घटनाओं पर अक्सर चुप्पी क्यों साध लेते हैं ?

"रेप" एक जघन्य अपराध है और इसमें बिना किसी जाति-पाति या धर्म देखे बिना दोषियों को कठोर सजा देनी चाहिए. लेकिन मीडिया और फिल्म जगत के नौटंकी बाज़ इन घटनाओं में भी गंभीरता से चिंतन करने की बजाय उस पर भी कांग्रेसी पार्टी के हाथों बिकते नज़र आते हैं. उत्तर प्रदेश में उन्नाव के भाजपा विधायक सेंगर के तथाकथित "रेप" पर शोर शराबा करने वाले लोग भोपाल के कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे के अपराध पर चुप्पी साध लेते हैं जो "रेप" के एक मामले में एक महीने से फरार चल रहा है. मसलन कुल मिलाकर रेप की उन्ही घटनाओं का पर्दाफाश मीडिया और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ों द्वारा किया जाएगा जिसमे दोषी या तो कोई हिन्दू होगा या फिर उसका भाजपा से कोई ताल्लुक होगा. पिछले ७० सालों में मीडिया की इतनी किरकिरी पहले कभी नहीं हुई है जितनी इस बार "आसिफा के रेप" की काल्पनिक कहानी को खबर बनाकर परोसने वाले चैनलों ने खुद अपने आप कर ली है. इस "रेप" की झूठी वारदात के लिए कुछ कांग्रेसी नौटंकी बाज़ों ने कैंडल मार्च भी निकाला लेकिन कैंडल मार्च निकालने वाले नेता खुद यह भूल गए कि इस "फ़र्ज़ी रेप " जिसके लिए वे कैंडल मार्च निकाल रहे हैं, जब "रेप" की सैंकड़ों वारदातें असल में घटित हुई थीं और ज्यादातर रेप की वारदातें गैर भाजपा शासित राज्यों में घटित हुई थीं, तब इन लोगों ने कैंडल मार्च क्यों नहीं निकाला था ? 
इस सारे घटनाक्रम से जो एक और बात साबित होती है वह यह कि चाहे कांग्रेस और उसके सहयोगी राजनीतिक दल हों या फिर उनके हाथों बिक चुके मीडिया और फ़िल्मी नौटंकीबाज़ हों, यह सभी कहीं न कहीं, रोहिंग्या आतंकवादियों को बचाने में लगे हुए हैं और सरकार को इस बात की गहन जांच करनी चाहिए कि आखिर यह सब मिलकर इन रोहिंग्या आतंकवादियों को किसके इशारे पर बचा रहे हैं ?

Wednesday, March 28, 2018

“पाकिस्तान जिंदाबाद” से “पाकिस्तान नंगाबाद ” तक का सफर

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की  अमेरिका के हवाई अड्डे पर सारे कपडे उतारकर तलाशी ली गयी है. इस खबर की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी हैं. देखा जाए तो यह कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम के ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के उतारे गए हैं और अमेरिका ने एक बार पूरी दुनिया को “आतंकवाद का मजहब” बताते हुए पाकिस्तान को सभी के सामने निर्वस्त्र  कर दिया है.

भारतीय मीडिया और टी वी चैनलों के साथ साथ खुद पाकिस्तानी मीडिया और टी वी चेनल इस खबर को काफी रोचकता के साथ पेश कर रहे हैं. दरअसल  यह मामला इतना सीधा नहीं है, जितना लग रहा है. कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम या पाकिस्तान के ही नहीं उतरे हैं. हमारे अपने ही देश में ऐसे हज़ारों लोग हैं तो खाते तो हिन्दुस्तान का हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का हैं. उन सब के भी यकायक सभी कपडे उतर गए हैं. आइये देखते हैं, ऐसे कौन कौन से लोग हैं, जिनके कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं :

१. वे सभी लोग जो भाजपा की हार पर “पाकिस्तान जिंदाबाद-भारत तेरे टुकड़े होंगे” के नारे लगाते हैं, उनके सभी कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं.

२. वे सभी लोग जो जे एन यू जैसे तथाकथित शिक्षा संस्थानों में “पाकिस्तान जिंदाबाद” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” के नारे लगाते हैं, वे सब तो निर्वस्त्र हो ही गए हैं, उनके साथ उन तथाकथित नेताओं के भी कपडे उतर गए हैं, जो इन देशद्रोहियों का समर्थन करने के लिए जे एन यू में जाकर भाषणबाज़ी करते हैं.

३. कपडे तो कांग्रेस पार्टी के उन नेताओं के भी उतर गए हैं तो पाकिस्तान जाकर वहां की सरकार से “मोदी को हटाने” की मांग करते आये हैं. सवाल यह है कि जो देश अपने प्रधान मंत्री के कपडे उतरने से भी नहीं बचा सकता, वह मोदी का भला क्या बिगाड़ लेगा ?

४. कपडे तो उन “अवार्ड वापसी गैंग” के सभी सदस्यों के भी उतर गए हैं जो पाकिस्तानी आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के विरोध में अपने “अवार्ड” वापस कर चुके हैं.

५. याकूब मेमन को फांसी पर चढ़ने से रोकने के लिए जिन लोगों ने राष्ट्रपति महोदय से माफी की गुहार लगाई थी और उनमे से कुछ लोग तो रात के दो बजे सुप्रीम कोर्ट तक उसकी फांसी की सज़ा को रुकवाने के लिए पहुँच गए थे. जाहिर है कि इन सभी पाकिस्तान प्रेमियों के भी कपडे पूरी तरह उतर गए हैं.

६. भारत में बैठे जिन पाक-प्रेमियों के कपडे इस घटना के बाद से यकायक उतर गए हैं, वे सभी मिलकर मोदी को २०१९ के चुनावों में टक्कर देने के लिए एक “महाठगबंधन” बनाने जा रहे हैं. अब इस तरह का “ठगबंधन” मोदी के लिए कितनी बड़ी चुनौती खड़ी कर पायेगा, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल काम नहीं है.

Thursday, March 22, 2018

मोदी ने अगर कुछ नहीं किया तो विपक्ष घबराया हुआ क्यों है ?

मोदी सरकार को सत्ता संभाले लगभग ४ साल का समय पूरा हो चूका है. मोदी सरकार बनने से पहले देश में ज्यादातर समय या तो कांग्रेस पार्टी का शासन था या फिर कांग्रेस के समर्थन से चलने वाली सरकारों का शासन था. कांग्रेस और इसके समर्थन से चलने वाली सभी सरकारों ने देश को जी भरकर लूटा और अपने जबरदस्त भ्रष्टाचार और कुशासन से देश को लगभग महाविनाश के कगार पर पहुंचा दिया. क्योंकि पिछले ६०-७० सालों से कांग्रेस और उसके सहयोगी मिल बांटकर देश को लूट रहे थे,मोदी सरकार के आने से इन सबकी कमाई भी बंद हो गयी और इन लोगों के समर्थन और सहयोग से चलने वाली वे सभी दुकाने भी बंद हो गयीं, जो सामाजिक कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री , फिल्मकार, इतिहासकार और कलाकार आदि के नामों से चल रही थीं. यह सभी लोग “अवार्ड वापसी गैंग” का हिस्सा बन गए और अपनी दुकानों के बंद होने के विरोध में अपने अपने अवार्ड भी वापस करने लगे.
देखा जाए तो इन विपक्षी राजनीतिक दलों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है. किसी भी व्यक्ति ने बड़ी मुश्किल से पिछले ६०-७० सालों में जनता को निर्ममता से लूटने की जो दुकाने खोल रखी हों, अगर उन्होंने अचानक ही बंद करना पड़ जाए तो उसकी पीड़ा को कोई भ्रष्ट-देशद्रोही ही समझ सकता है. इनके नुक्सान को मोदी सरकार ने तब कई गुना और बढ़ा दिया जब नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की कवायद भी सरकार ने शुरू कर दी. पहले तो इन भ्रष्ट-देशद्रोहियों की समस्या यह थी कि मोदी के आने से इनकी आगे की कमाई बंद हुई थी, लेकिन नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का मतलब यह हुआ कि इन लोगों ने पिछले ६०-७० सालों के कुशासन में जो काला धन इकठ्ठा किया था, उसके भी पकड़ में आने की पूरी संभावनाएं बनने लगीं.
मोदी सरकार के इन कड़े फैसलों से घबराये यह लोग जनता को पिछले ४ सालों से लगातार गुमराह किये जा रहे हैं कि मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया है. अगर मोदी सरकार ने वास्तव में कोई काम नहीं किया है तो उसका फैसला जनता एक साल बाद कर ही देगी और उसके लिए तो विपक्ष के नेताओं और पार्टियों को तो खुश होना चाहिए कि चलो मोदी ने कुछ काम नहीं किया है, लिहाज़ा २०१९ में जनता मोदी को हटाकर इन्हे सत्ता में वापस ले आएगी ताकि यह लोग अपनी लूट का सिलसिला एक बार फिर से शुरू कर सकें. लेकिन इन राजनीतिक दलों और इनके नेताओं को भी मालूम है कि इन लोगों की २०१९ के चुनावों में जमानत जब्त होने वाली है. इसका सबसे बड़ा सुबूत यही है कि यह सारे के सारे राजनीतिक दल सिर्फ अकेले मोदी को हराने के लिए “ठगबंधन” बनाकर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं. अगर मोदी ने कुछ काम ही नहीं किया है तो फिर इस “गठबंधन” या “ठगबंधन” की क्या जरूरत है ?

Saturday, March 17, 2018

थूककर चाटने वाले को केजरीवाल कहते हैं

केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब के एक विरोधी राजनीतिक नेता मजीठिया से मानहानि मामले में कोर्ट के सामने जाकर अपना लिखित माफीनामा दाखिल किया है. पंजाब चुनावों के समय केजरीवाल ने अपनी गन्दी आदत के मुताबिक बेबुनियाद और गंभीर आरोप मजीठिया पर लगाए थे, जिन्हे वह अदालत में साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहे. केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का यह कोई पहला मामला नहीं है और न ही आखिरी मामला है. जब से केजरीवाल  राजनीति में आये हैं, पहले ही दिन से उनकी यह आदत रही है कि विपक्षी पार्टी के नेताओ पर गंभीर आरोप लगाकर किसी भी तरह चुनाव जीत जाओ और बाद में जब वह व्यक्ति केजरीवाल के ऊपर मानहानि का दवा ठोंक दे तो उन आरोपों को साबित करने की बजाये लिखित में  माफी मांग लो.
इसी तरह का एक बड़ा मानहानि का मामला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी केजरीवाल के ऊपर कर रखा है और इस मामले में भी केजरीवाल अभी तक कुछ भी आरोप साबित नहीं कर पाए हैं. इस बात की पूरी सम्भावना है कि अरुण जेटली समेत बाकी से सभी मानहानि के मामलों में भी केजरीवाल लिखित माफीनामा ही दाखिल करेंगे.
जहां तक मुझे ध्यान है केजरीवाल के खिलाफ सबसे अधिक और सबसे पहले ब्लॉग पर मैंने लिखना शुरू किया था क्योंकि जिस तरह की घटिया राजनीति केजरीवाल ने शुरू की थी, उसे ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पा रहे थे. उस समय बड़े बड़े और तथाकथित वरिष्ठ लेखक पत्रकार -” हारकर जीतने वाले को केजरीवाल कहते हैं.” जैसे चाटुकारिता भरे लेख लिख रहे थे. लेकिन उस समय भी मैं लगातार केजरीवाल की काली करतूतों का लगातार पर्दाफाश कर रहा था.
केजरीवाल ने जब अपनी गन्दी राजनीति शुरू की थी, उस समय केंद्र में और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. केजरीवाल ने जिस कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को पानी पी पी कर गालियां देकर अपनी राजनीति चमकाई थी, आज हालत यह है कि केजरीवाल खुद उसी कांग्रेस पार्टी और उसकी नीतियों के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं. मजे की बात यह है कि केजरीवाल जिस तरह से कांग्रेस की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढाने की एकतरफा चेष्टा कर रहे हैं, उस पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई भी जबाब नहीं आ रहा है. अभी जब कांग्रेस की बड़ी नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सभी विपक्षी पार्टियों को इकठ्ठा करने की गरज़ से एक डिनर मीटिंग रखी, उस मीटिंग में भी केजरीवाल को न बुलाया जाना इस बात को साबित करता है कि केजरीवाल का राजनीतिक असितत्व पूरी तरह समाप्त हो चला है.
मानहानि के मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल के कभी सहयोगी रहे कुमार विश्वास ने भी यही प्रतिक्रिया दी है कि जिस व्यक्ति को खुद थूककर चाटने की आदत हो उस पर थूकना भी बेकार है. एक दूसरे पूर्व सहयोगी, योगेंद्र यादव ने तो माफीनामे की खबर आने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर यह खबर सही है तो केजरीवाल को तुरंत ही राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए. सत्ता लोलुप केजरीवाल पर इस तरह की नेक सलाहों का कोई असर पड़ेगा, इस पर सभी को संदेह है.

Tuesday, March 6, 2018

मोदी ने कैसे किया वामपंथ का अंत !

पूर्वोत्तर राज्यों में नरेंद्र मोदी का जादू कुछ इस तरह से सर चढ़कर बोला कि वामपंथ और वामपंथी विचारधारा का एक ही झटके में अंत हो गया. इस देश में आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के लिए वामपंथी ताकतों और उनकी विचारधारा को पनपने का भरपूर मौका दिया. वामपंथ की अपनी कोई विचारधारा नहीं है. इन लोगों की विचारधारा यही रही है कि “जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो”. दूसरे शब्दों में वामपंथ, माओवाद या फिर नक्सलवाद , यह सभी विचारधाराएं देशद्रोह पर आधारित हैं. जाहिर है कि जो भी व्यक्ति या संगठन इस विचारधारा का पक्षधर है, वह अव्वल दर्ज़े का  देशद्रोही  है.

कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए इन लोगों को देश का इतिहास लिखने पर लगा दिया और यह लोग अपनी मन मर्ज़ी से मन गढंत इतिहास लिख लिखकर देश के लोगों को गलत मलत इतिहास पढ़ने पर मजबूर करते रहे. इन लोगों का लिखा हुआ इतिहास कितना हास्यास्पद है, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन लोगों की माने तो “राहुल गाँधी एक करिश्माई नेता” हैं और “शहीद भगत सिंह एक आतंकवादी” हैं. इन लोगों को पिछले ६०-७० सालों में तरह तरह के अवार्ड भी दे दिए गए, ताकि समय-समय पर यह लोग अपने इन फ़ोकट के मिले पुरस्कारों को वापस करके देशभक्त ताकतों के खिलाफ अपना विरोध जता सकें. बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. इन लोगों की मौज मस्ती के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे तथाकथित शिक्षा संस्थान भी बना दिए गए, जहां पर यह लोग देशवासियों के खून पसीने की  कमाई पर अधेड़ अवस्था तक स्टूडेंट बने रहकर मौज कर सकें.

वैसे तो वामपंथी अपने आप को आस्तिक बताकर मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं लेकिन एक देशद्रोही लेनिन की मूर्ति इन्होने त्रिपुरा में लगा रखी थी, जिसे वहां की जनता ने बुलडोज़र चलाकर अब तोडा है जब वहां इनकी सरकार का अंत हुआ है. जब तक इन देशद्रोहियों की सत्ता पूर्वोत्तर में कायम रही, इन लोगों का भय और आतंक इतना ज्यादा था कि जनता इस देशद्रोही लेनिन की पत्थर की मूर्ति का भी बाल-बांका नहीं कर सकी. इसके विपरीत पिछले ७० सालों में वामपंथियों ने  संघ और भाजपा का समर्थन करने वाले लाखों देशभक्तों को मौत के घाट उतारकर अपनी हैवानियत का सुबूत दिया है. पूर्वोत्तर के अलावा केरल और  पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी इन लोगों ने अपना आतंक और भय काफी भयानक तरीके से फैला रखा है. क्योंकि यह  सारा खून खराबा  केंद्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के इशारे पर किया जा रहा था, इन वामपंथियों को अपने कारनामे अंजाम देने में कभी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा.

मोदी के सत्ता में आते ही इन लोगों को यह लगने लगा कि अब यह लोग अपनी इन आपराधिक वारदातों को मनमाने ढंग से अंजाम नहीं दे पाएंगे, इसी के चलते इन लोगों ने मोदी के हर बढ़िया से बढ़िया काम का बेबकूफ़ाना तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया. कांग्रेस पार्टी का तो समर्थन सदा से ही इन लोगों के साथ ही था क्योंकि वामपंथी इतिहासकारों ने आज़ादी की असली लड़ाई लड़ने वालों को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ “नेहरू और गाँधी” का महिमा मंडन जिस तरह से अपने मन गढंत इतिहास में किया था, उसका क़र्ज़ तो कांग्रेस को चुकाना ही था.

यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था जिसने पहले विश्व युद्ध में  रूसी सैनिकों से कहा था कि  अपने देश की जगह जर्मनी की मदद करो. देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के विरूद्ध ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का फलसफा पढ़ा.

आज से ३०-४० साल पहले तक जब देश में लोग कम पढ़े लिखे थे और सोशल मीडिया का भी इतना प्रभाव नहीं था, तब तक कांग्रेसियों और वामपंथियों के कारनामे लोगों तक नहीं पहुँच रहे थे. लेकिन अब समय बदल चुका है और लोग यह समझ चुके हैं कि किस तरह से इन लोगों ने मिलकर भ्रष्टाचार और देशद्रोह पिछले ७० सालों में किया है.  इसीलिए जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ” भारत तेरे टुकड़े  होंगे” के देशद्रोही नारे वामपंथियों द्वारा लगाए गए तो उसका समर्थन करने न सिर्फ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी वहां पहुँच गए. केजरीवाल के वारे में मीडिया में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चूका है और उनके कारनामों को देखकर तो कभी कभी खुद कांग्रेसी   और वामपंथी भी शर्मा जाते होंगे. वामपंथी कन्हैया की  दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत दिलवाने में केजरीवाल ने कैसे मदद की थी, उसके ऊपर मेरा एक पूरा लेख इसी मंच पर प्रकाशित हो चुका है.

संक्षेप में लिखा जाए तो कांग्रेसी, वामपंथी और केजरीवाल कमोबेश एक ही विचारधारा का समर्थन करते हैं और वह है कि “जहां मौका मिले-जिस थाली में खा रहे हो, उसी में छेद करना शुरू कर दो”. जो व्यक्ति या संगठन इनकी इस देश विरोधी विचारधारा का विरोध करता है, उसे यह बेहद मूर्खतापूर्ण ढंग से “सांप्रदायिक” कहते हैं.

देश  के मौजूदा कानून इन लोगों से निपटने के लिए पूरी तरह नाकाफी हैं. कानून बनाने का काम कांग्रेस पार्टी के हाथ में था, सो वह ऐसे कानून भला क्यों बनाती  जिनके चलते उन्हें या वामपंथियों को किसी परेशानी का सामना करना पड़े. अब जब मोदी जी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा है, तो इनके पैरों के नीचे की जमीन भी खिसक रही है. इन्हे यह भी लग रहा है कि राज्य सभा में भाजपा का जैसे ही बहुमत हुआ नहीं, इनकी शामत आने वाली है क्योंकि उसके बाद उस तरह के कानून बनाये जाने तय हैं, जिनके तहत इस तरह की विघटन कारी ताकतों को समय रहते दण्डित किया जा सके.

वामपंथियों और कांग्रेसियों को धूल चटाकर जो बहुमत जनता मोदी को दे रही है, वह इसी उम्मीद के साथ दिया जा रहा है. केरल और पश्चिम बंगाल की मौजूदा सरकारें तो बेहद घटिया तरीके से खून खराबे में लगी हुई हैं, उन्हें भी अपनी सत्ता आने वाले समय में खिसकती दिख रही है, लेकिन यह लोग चाहे भी तो अपने कामकाज के तौर तरीकों में सुधार नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी  लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इन लोगों को कोई विश्वास  ही नहीं है.

यह लोग इस गलतफहमी में हैं  कि सिर्फ संघ, भाजपा और मोदी के खिलाफ जबरदस्त दुष्प्रचार करके ही मोदी को हराया जा सकता है लेकिन  जिस तरीके से यह लोग काम करते आये हैं और कर रहे हैं, उसके चलते तो यह लोग कुछ भी कर लें, अगले किसी भी चुनाव में जीतने वाले नहीं हैं. देशद्रोह और भ्रष्टाचार यह छोड़ नहीं सकते और जनता देशद्रोह और भ्रष्टाचार के लिए अब बिलकुल तैयार नहीं है.

Sunday, February 25, 2018

“केजरीवाल की गुफा” में होते हैं ऐसे अपराध !

अभी तक लोग गुरमीत बाबा राम रहीम की “सीक्रिट गुफा” में किये जाने वाले काले आपराधिक कारनामों के बारे में भूल भी नहीं पाए थे, एक ऐसी ही दूसरी गुफा का हाल ही में खुलासा हुआ है.
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बड़ा खुलासा करते हुए केजरीवाल की उस “सीक्रिट” गुफा के बारे में बताया है, जहां वह अपने सभी दुष्कर्मों को बखूबी अंजाम देते हैं. अभी हाल ही में जब दिल्ली के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारी अंशुल प्रकाश पर केजरीवाल की पार्टी के कुछ विधायकों और अन्य नेताओं ने गुंडागर्दी का अभूतपूर्व परिचय देते हुए , उन पर जानलेवा हमला किया तो वह आपराधिक घटना को इसी गुफा में अंजाम दिया गया. ताकि इस गुफा में किये गए आपराधिक कारनामे कानून की पकड़ में न आ सकें, इसीलिए यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस गुफा में कोई सी सी टी वी कैमरा नहीं हो.
हम सभी ने हिंदी फिल्मों में कई बार देखा है कि जब भी खलनायक, फिल्म के नायक या नायिका को पकड़कर उसे अपनी “सीक्रिट गुफा” में प्रताड़ित करता है तो उसकी “मजबूरी” और “बेबसी” का मज़ाक उड़ाते हुए खलनायक जोर जोर से राक्षसी अट्टहास लगाता है . ठीक उसी अंदाज़ जब आम आदमी पार्टी के कुछ गुंडे जब दिल्ली के वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी को घेर कर मार रहे थे, तो उस वक्त केजरीवाल और सिशोदिया बेशर्मी के साथ ठहाके लगा रहे थे. स्वतंत्र भारत की राजनीति
में संभवत यह सबसे अधिक शर्मनाक घटना है जिसके लिए दोषियों को जितना भी कड़ा दंड दिया जाए, कम ही होगा.
केजरीवाल के निजी सलाहकार (जिनकी नियुक्ति में लेफ्टिनेंट गवर्नर या केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है) वी के जैन ने कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने इस सारी आपराधिक वारदात का विस्तार से ब्यौरा दिया है, जो अपने आम में एक कानूनी सुबूत है. अपनी आदत के मुताबिक़ केजरीवाल अपने इस अपराध को भी भाजपा की साजिश बता रहे हैं मानो भाजपा ने फ़ोन करके चीफ सेक्रेटरी को रात के १२ बजे उस सीक्रिट गुफा में बुलाया हो. लेकिन अपनी आखिरी साँसे गिन रही दिल्ली सरकार अब देश की जनता, पुलिस और कानून को कब तक बेबकूफ बना पाएगी, यह देखने वाली बात है.
जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी हैं जहां ईमानदार अधिकारी गुंडों-बदमाशों और देशद्रोहियों को चुन चुन कर ठिकाने लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली जैसे राज्य भी हैं जहां इसके बिलकुल विपरीत हो रहा है और यहां पर गुंडे-बदमाश नेताओं के चोले में ईमानदार अधिकारियों को घेर घेर कर अपने गुप्त ठिकानो पर आधी रात को तबियत से पीट रहे हैं.
इस सारे मामले में सबसे बड़ा सवालिया निशान दिल्ली पुलिस की भूमिका पर लग रहा है. उत्तर प्रदेश में जब सारे गुंडे-बदमाश और देशद्रोही अपने गले में तख्तियां लटकाये घूम रहे हैं कि हमें जेल में बंद कर दो और हम लोग अब आगे से अपराध नहीं करेंगे, वहीं इस तरह का खौफ दिल्ली पुलिस कायम करने में पूरी तरह नाकाम रही है. दिल्ली में गुंडे-बदमाश और देशद्रोही न सिर्फ खुल्ले और बेख़ौफ़ घूम रहे हैं, बल्कि वे दिल्ली के सबसे सीनियर आई ए एस अधिकारी की बेशर्मी से पिटाई तक कर डालते हैं.
दिल्ली पुलिस को तुरंत सभी तरह का दबाब और लिहाज़ छोड़कर उस “सीक्रिट गुफा” में मौजूद सभी लोगों की गिरफ़्तारी करके उन सभी के लिए ऐसी कड़ी सजा की व्यवस्था करनी चाहिए जिसे देखकर आगे से किसी अपराधी की ऐसे अपराध करने की हिम्मत न पड़े.

PNB scam and its fallout is actually going to benefit BJP in the 2019 elections

On 7th February 2018, Prime Minister Narendra Modi delivered a historical speech in the Parliament. In his speech, he not only attacked the Congress party for the misdeeds done by it while it was ruling the country, but also warned that the time has now come to face the consequences of the misdeeds. Let us first see the relevant portion of the speech, which rattled the Congress party:
PM Modi said, “I have proof of how the Congress looted and plundered India. You will pay for your sins. Time has come for you to be held accountable and answerable to the people of India. Loans were given without any scrutiny, they were distributed like sweets. Your bad decisions have directly been the reason for failures.”
If we read carefully what has been said by PM Modi in the above few words, we will find that this was the most severe attack by any PM in the Parliament directed at the main opposition party. Congress party was well aware of its impact inside and outside the Parliament as the proceedings of the Parliament were live telecast and being watched by the whole country.
Congress party, in a damage control tactic, tried to divert the attention of the House and the public through Renuka Chaudhary episode. To some extent, the Congress succeeded in its tactics as the media began discussing the Renuka Chaudhary and Shoorpnakha episode instead of discussing the “organised loot” by the Congress during the last 10 years of UPA rule.
After assuming power in May 2014, Modi government has completed roughly 4 years and the people of the country were getting restless and impatient that no action is being taken by the government against the people involved in corruption during the UPA regime. The speech delivered in the Parliament on 7th February 2018 was merely a warning to the Congress and a clear message to the people of the country that enough is enough and now the time has come to take corrective action and punish the people involved in corruption.
Many people will ask that why PM Modi took almost 4 years time to initiate such steps against the corruption and misdeeds of the previous UPA Government? The Congress and other opposition parties were very much aware why he took so much time. During the last 4 years several such measures were taken, which were opposed by the Congress and other opposition parties in the strongest possible terms. These measures were demonetisation, implementation of benami property law, implementation of GST and linking of Aadhar.
If we look carefully, all these measures are designed and enforced to ensure the detection of black money already accumulated and to ensure that further generation of black money is minimised if not eliminated. Opposition parties were protesting that all these measures are anti-people and the public is badly affected by such measures taken by the government. But in reality, opposition parties were scared that after all these measures are in place, they will be trapped and all their misdeeds will be exposed.
Now we come to the infamous PNB scam. Let us first understand how there can be a scam or fraud in the banking system. Banks provide loans and other credit facilities to its clients and charge interest and other charges mutually agreed between the bank and the clients. To secure its credit facilities, banks take adequate security from the client, so that, in case of default, the bank can sell the security and realise its loan or credit facility. Only personal loans of very small amounts are exception to this rule. If any bank is providing any loan or credit facility either without taking any security or by taking inadequate security, then this is a “scam” or “fraud”.
Nirav Modi was sanctioned the letter of credit facility without taking any collateral security in 2011, during the UPA government was in power. What happened thereafter is of no relevance. Let us try to understand this scam or fraud with the help of a simple example. When a common man goes to the bank for taking a home loan, the bank gives him the loan for an amount not exceeding 80 per cent of the market value of the property, after mortgaging the property of the borrower. If the value of the property is Rs. 25 lakh, the bank will give you a loan of Rs. 20 lakh only, keeping the sufficient margin to meet any eventuality of the downward price fluctuation in the value of the property mortgaged.
Now consider the case of Nirav Modi where no security was taken at all by the bank, while the amount involved was huge. Such scams or frauds are not possible without the connivance of the erstwhile chairman of the bank or the Finance Minister.
People are also asking how this scam was not detected by the internal control systems of the bank or by the auditors. The answer to this question is that scams are executed in violation of the system. Even if there are systems in place, if you want to commit a fraud in connivance with a set of corrupt bank employees with the blessings of the top management of the bank and the finance ministry, who is going to stop you!
Now the whole scam is being investigated. It is possible that auditors have given their report clearly indicating the extent and nature of the fraud, but the question is, who is going to take action if top management of the bank or Finance Minster himself is involved in the scam. The responsibility of the auditor is to report the matter in the audit report and submit the same to the competent authority. If competent authority himself is responsible for the fraud then nothing more can be expected from the auditors or from the system. If the top management of the bank was not involved in this scam then how they allowed the same staff to work on the same seat and same branch for such a long period when staff of the bank gets transferred generally in a period of 3 years.
As PM Modi said in his speech that loans were distributed like sweets without any scrutiny, I must say that Nirav Modi scam is not the last case. One more such case of Rotomac Pens Limited has also been exposed recently, many more such cases will be exposed. All government banks have accumulated huge NPAs. Vijay Mallya was also given an unsecured clean loan despite the fact that he was already a defaulter.
Let us hope that we will see more such scams and more arrests and punishment to the relevant officers. However, merely arresting the junior officers will not serve any purpose as they have not sanctioned such huge credit facilities. The persons who have sanctioned the huge credit facilities without taking any security or inadequate security should be arrested and punished. If PM Modi can do this, then there is every possibility that the BJP will return to power in 2019 with a thumping majority.

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